नई दिल्ली(मानवी मीडिया)- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त निर्देश दिया कि वह मोटर दुर्घटना के पीड़ितों के लिए “गोल्डन आवर” यानि पहले 60 मिनट के दौरान कैशलेस चिकित्सा की व्यवस्था पूरे देश में सुनिश्चित करने के लिए तैयारी करे।
गोल्डन आवर वह समय होता है जब एक गंभीर चोट के बाद पहले 60 मिनट में चिकित्सा उपचार सबसे प्रभावी होता है। कोर्ट में ऐसे कई मामलों का उल्लेख किया गया जिनमें गोल्डन आवर के दौरान आवश्यक उपचार नहीं मिलने के कारण मरीज की मौत होगी। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मसिह की बेंच ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 162 केंद्र सरकार पर यह दायित्व डालती है कि वह गोल्डन आवर के दौरान दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार की योजना बनाए।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “यह केंद्र सरकार का वैधानिक दायित्व है कि वह योजना तैयार करे। धारा 162 के उप-धारा (2) के तहत सरकार को योजना तैयार करने के लिए पर्याप्त समय उपलब्ध था। एक बार जब योजना तैयार हो जाती है और इसके क्रियान्वयन की शुरुआत होती है, तो यह कई घायलों की जान बचाएगी। कुछ घायल इसलिए मर जाते हैं क्योंकि उन्हें गोल्डन आवर के दौरान आवश्यक चिकित्सा उपचार नहीं मिलता।” कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि गोल्डन आवर में कैशलेस उपचार के लिए योजना को 14 मार्च तक अधिसूचित किया जाए और कोई और समय विस्तार नहीं दिया जाएगा।
कोर्ट ने गोल्डन आवर में कैशलेस उपचार की आवश्यकता के पीछे के कारण को स्पष्ट करते हुए कहा, “अस्पताल के अधिकारी कभी-कभी पुलिस के आने का इंतजार करते हैं। वे हमेशा उपचार के खर्च को लेकर चिंतित रहते हैं, जो किसी मामले में अधिक हो सकता है। यही कारण है कि धारा 162 के उप-धारा (1) में यह प्रावधान किया गया है कि भारत में सामान्य बीमा व्यवसाय करने वाली बीमा कंपनियों को मोटर वाहन अधिनियम के तहत बनाई गई योजना के अनुसार सड़क दुर्घटना पीड़ितों का उपचार प्रदान करना चाहिए, जिसमें गोल्डन आवर के दौरान भी उपचार शामिल है।”