चंडीगढ़ (मानवी मीडिया): शहीद-ए-आजम भगत सिंह को पाकिस्तान में ‘आतंकवादी’ कहे जाने के मामले में एक नया मोड़ आया है। भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने इस बयान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए पूर्व सैन्य अधिकारी तारिक मजीद को कानूनी नोटिस भेजा है। फाउंडेशन ने मजीद से बिना शर्त माफी मांगने और 50 करोड़ रुपये का हर्जाना देने की मांग की है। यह कानूनी नोटिस एडवोकेट खालिद जमां खान के माध्यम से तारिक मजीद को भेजा गया है, जो पूर्व सैन्य अधिकारी होने के साथ-साथ मेट्रोपोलिटन कॉरपोरेशन लाहौर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी भी हैं।
नोटिस में मुख्य रूप से यह कहा गया है कि भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के चेयरमैन इम्तियाज राशिद कुरैशी एक देशभक्त और ईमानदार व्यक्ति हैं, जिन्होंने फाउंडेशन के लिए किसी भी देश से कोई आर्थिक मदद नहीं ली है। कुरैशी का उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के संबंधों को बेहतर बनाना है, जिससे दोनों देशों के आम नागरिकों को लाभ हो सके। नोटिस में तारिक मजीद द्वारा लाहौर उच्च न्यायालय में प्रस्तुत रिपोर्ट की भाषा को ‘गलत और आपत्तिजनक’ करार दिया गया है। मजीद ने लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने के मामले की सुनवाई के दौरान भगत सिंह को ‘आतंकवादी’ कहा था, जिसके परिणामस्वरूप सरकार ने चौक का नाम बदलने और वहाँ मूर्ति स्थापित करने की योजना को रद्द कर दिया। फाउंडेशन ने इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है, जिसकी अगली सुनवाई 17 जनवरी को निर्धारित है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब पूर्व सैन्य अधिकारी तारिक मजीद ने लाहौर हाई कोर्ट में एक रिपोर्ट पेश करते हुए भगत सिंह को ‘आतंकवादी’ बताया। इस बयान के बाद पाकिस्तान सरकार ने शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की योजना को रद्द कर दिया। इस मामले पर भारत में भी कड़ी प्रतिक्रिया हुई थी। पंजाब सरकार ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया था और केंद्र सरकार से पाकिस्तान सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाने की मांग की थी। जिसके बाद भारत सरकार ने इस मामले को पाकिस्तान सरकार के समक्ष उठाया था।
हालांकि, हाल ही में पाकिस्तान में पुंछ हाउस को आम लोगों के लिए खोला गया, जहाँ भगत सिंह के जीवन से जुड़ी चीजें प्रदर्शित की गई हैं। यह वही जगह है जहाँ भगत सिंह के खिलाफ मुकदमा चलाया गया था। इस कानूनी नोटिस और हर्जाने की मांग से यह मामला और भी गंभीर हो गया है। अब देखना यह है कि इस पर पाकिस्तान सरकार और संबंधित अधिकारियों की क्या प्रतिक्रिया होती है और इस कानूनी लड़ाई का क्या नतीजा निकलता है।