लखनऊ (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश कि राजधानी लखनऊ के, लखनऊ विश्वविद्यालय में आज शिक्षा शास्त्र विभाग में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में प्रो० पुरुषोत्तम टी० राव (पूर्व प्रोफेसर, शैक्षिक मनोविज्ञान विभाग, साउथ पैसिफिक यूनिवर्सिटी, आस्ट्रेलिया) उपस्थित रहे। सर्वप्रथम प्रो० दिनेश कुमार, विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष, शिक्षा संकाय ने उनका स्वागत किया। प्रो० राव ने अपने वक्तव्य में अपनी जीवन यात्रा का वृतांत प्रस्तुत किया जिससे शोध छात्रों को कई उदाहरणों के द्वारा अनुसंधान और समाज के लिए उसकी उपयोगिता के बारें में चर्चा की गयी। उन्होने समझाया की अवसर हमारे पास खुद चलकर नहीं आते बल्कि हमें अवसरों को निकालना पड़ता है। रामायाण का उदाहरण लेते हुए उन्होने कहा कि रामायण जो 'राम' और 'अयण' से मिलके बना है, यहा अयण का अर्थ है 'यात्रा इसलिए रामायण का शब्दिक अर्थ है 'राम की यात्रा जिसे हम अपनी जीवन यात्रा से जोड़ के देख सकते है। मैं कौन हूँ- खुद को जानना, अपने भीतर झॉक के देखना, हमारे जीवन का वास्तविक लक्ष्य क्या हैं, इसे पहचान्ना, इस पर भी विस्तार पूर्वक चर्चा की। शिक्षा के उदारीकरण की चर्चा करते हुए कहा कि किस प्रकार से उदारीकरण के द्वारा शिक्षा में अहम बदलाव लाये जा सकते है। व्याख्यान में प्रो० निधि बाला, (पूर्व संकायाध्यक्षा) डॉ० देवेन्द्र यादव सहित शोधार्थीयों ने प्रतिभाग किया।
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Monday, December 23, 2024
LU के शिक्षा शास्त्र विभाग में एक व्याख्यान का आयोजन
लखनऊ (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश कि राजधानी लखनऊ के, लखनऊ विश्वविद्यालय में आज शिक्षा शास्त्र विभाग में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में प्रो० पुरुषोत्तम टी० राव (पूर्व प्रोफेसर, शैक्षिक मनोविज्ञान विभाग, साउथ पैसिफिक यूनिवर्सिटी, आस्ट्रेलिया) उपस्थित रहे। सर्वप्रथम प्रो० दिनेश कुमार, विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष, शिक्षा संकाय ने उनका स्वागत किया। प्रो० राव ने अपने वक्तव्य में अपनी जीवन यात्रा का वृतांत प्रस्तुत किया जिससे शोध छात्रों को कई उदाहरणों के द्वारा अनुसंधान और समाज के लिए उसकी उपयोगिता के बारें में चर्चा की गयी। उन्होने समझाया की अवसर हमारे पास खुद चलकर नहीं आते बल्कि हमें अवसरों को निकालना पड़ता है। रामायाण का उदाहरण लेते हुए उन्होने कहा कि रामायण जो 'राम' और 'अयण' से मिलके बना है, यहा अयण का अर्थ है 'यात्रा इसलिए रामायण का शब्दिक अर्थ है 'राम की यात्रा जिसे हम अपनी जीवन यात्रा से जोड़ के देख सकते है। मैं कौन हूँ- खुद को जानना, अपने भीतर झॉक के देखना, हमारे जीवन का वास्तविक लक्ष्य क्या हैं, इसे पहचान्ना, इस पर भी विस्तार पूर्वक चर्चा की। शिक्षा के उदारीकरण की चर्चा करते हुए कहा कि किस प्रकार से उदारीकरण के द्वारा शिक्षा में अहम बदलाव लाये जा सकते है। व्याख्यान में प्रो० निधि बाला, (पूर्व संकायाध्यक्षा) डॉ० देवेन्द्र यादव सहित शोधार्थीयों ने प्रतिभाग किया।
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