लखनऊ (मानवी मीडिया)भारत में प्रधानमंत्री बनने से पहले ही वित्त मंत्री बनने से पहिले ही संज्ञान मे आ चुका था बचपन मे मेला -ठेला दशहरा रामलीला मे घर से मिलने वाला 2 रू का नोट तब दो रू मे चाय मूंगफली समोसा इत्यादि मिल जाते थे हम इस नोट पर किये दस्तखत को देखते थेआखिर कौन होगा वो शख्स जो कागज के लाल रंग के टुकड़े पर अपने हस्ताक्षर से इसकी क्रय शक्ति को इतना बढ़ा देता है डॉ मनमोहन सिंह उस समय भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर जनरल रहे योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे UGC मे ऊंचे ओहदे पर रहे प्रधान मंत्री के आर्थिक सलाहकार वित्त मंत्री भारत सरकार एक औसत राजनैतिक पृष्ठभूमि के बावजूद 10 सालों तक भारत के प्रधान मंत्री रहे डा मनमोहनसिंह सिंह जी की शैक्षणिक योग्यताएं बहुत उच्चतम रही वो आक्सफोर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से D phill थेअपने कार्य काल में ज़्यादातर चुप रहे शांत रहे कम बोले विपक्ष द्वारा कोसे गये गरियाये भी गये पर जैसे भी रहे शानदार तरीके से बने रहे और काम बड़ा बड़ा कर गये आधार कार्ड की कल्पना, शिक्षा का अधिकार, मनरेगा 100 दिन रोजगार गारंटी योजना, आर्थिक सुधारों मे बडे काम वित्तीय घाटा कम करने पर दूरगामी पहल रैली मे कम बोले पर आफिस मे ज्यादा बोले अर्थशास्त्री थे इसलिए रूपया और डालर के रस्साकशी को समझते थे GDP और रोजगार के सामंजस्य को समझते थे लोगों को अधिक रोजगार नही दिया तो छीना भी नही देश खां म खां इतना अशांत नही रहा ऐसी शख्सियते जब तक जिस पद पर रहती है वो पद वो कुर्सी भी अपने आपको धन्य समझती है....
अपने प्रधानमंत्री काल में संसद में तमाम रस्सा कसी के बीच एक कुशल आर्थिक विशेषज्ञ प्रधानमंत्री के अंदर वहीं आम आदमी के जज्बात भी थे वो एक शायर भी थे श्रीमती सुषमा स्वराज ने उनके कार्य काल पर एक शेर के माध्यम से तंज किया तब डॉ साहब ने उस तंज का जवाब दो लाईन में दिया
माना की तेरे दीद के काबिल नहीं हूं मै
तू मेरा शौक तो देख मेरा इंतजार तो कर
डॉ मनमोहन सिंह जी अब हमारे बीच नहीं रहे मानवी मीडिया परिवार कि ओर से शत् शत् नमन सादर श्रद्धांजलि...