नई दिल्ली(मानवी मीडिया)- राष्ट्रीय राजधानी में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की धरपकड़ के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना का निर्देश सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस ने बुधवार को अपने अभियान की शुरुआत कर दी। दक्षिणी पूर्वी जिला पुलिस ने बुधवार को कालिंदी कुंज इलाके में अभियान चलाकर अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की तलाश की। पुलिस ने अभियान के दौरान दस्तावेजों की छानबीन की।
सूत्रों की मानें तो पुलिस को कई संदिग्ध भी मिले हैं। सूत्रों ने बताया कि जिन संदिग्धों की पहचान हुई है उनकी रिपोर्ट तैयार कर जल्द एफआरआरओ (फारनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन आफिस) को साझा की जाएगी। बता दें कि उपराज्यपाल ने देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश से खदेड़ने के निर्देश दिए थे। इसके तहत दक्षिणी पूर्वी जिला पुलिस की कई टीमों ने कालिंदी कुंज स्थित 100 फुटा रोड पर सत्यापन अभियान चलाया। दिल्ली पुलिस की टीमों की ओर से कालिंदी कुंज स्थित 100 फुटा रोड पर रहने वाले करीब 150 महिला, पुरुषों और बच्चों के पहचान संबंधी दस्तावेजों की वेरिफिकेशन की गई। इस दौरान पुलिस को कुछ संदिग्ध भी मिले। उन्होंने खुद को असम का बताया, लेकिन पहचान संबंधी दस्तावेज पेश नहीं कर सके। पुलिस ने इनके बारे में सारी जानकारी रिकार्ड में ली है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय ने राष्ट्रीय राजधानी में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों की धरपकड़ के लिए मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त को सख्त कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में रह रहे अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ दो महीने का विशेष अभियान चलाने की योजना बनाई गई है। उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार, मुस्लिम समुदाय की मांगों को देखते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दो महीने का विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इस अभियान में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों पर सख्त और समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। यही नहीं इस बारे में हर हफ्ते रिपोर्ट भी एलजी कार्यालय को भेजी जाएगी। सनद रहे बीते शनिवार को दरगाह हजरत निजामुद्दीन और बस्ती हजरत निजामुद्दीन के उलेमाओं और मुस्लिम नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से इस बारे में मुलाकात की थी। इस प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में रह रहे अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें उनके देश वापस भेजने की मांग की थी।