लखनऊ (मानवी मीडिया)लखनऊ में बांग्लादेशी नागरिकों की उपस्थिति को लेकर उठे विवाद और इससे संबंधित घटनाओं ने न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी गंभीर चिंता का विषय है। इस संबंध में सीएम योगी को कांग्रेस नेता मुकेश चौहान ने पत्र लिखा।
पत्र के माध्यम से उन्होंने इस मुद्दे पर सीएम योगी और प्रदेश सरकार का ध्यानाकर्षण कराया।
उन्होंने कहा कि दिनांक 29, दिसम्बर 2024 को भाजपा के विधायक और महापौर ने सार्वजनिक रूप से दावा किया है कि लखनऊ में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं और वे नगर निगम के अंतर्गत कूड़ा प्रबंधन जैसे काम कर रहे हैं। इस दावे को लेकर उठे विवाद ने कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब राज्य और केंद्र सरकार को देना चाहिए।
मुकेश चौहान ने आगे लिखा कि इस सम्बन्ध में हमें ज्ञात हुआ है कि इन लोगों के पास आधार कार्ड हैं, अगर उनके पास इस देश के आधार कार्ड मौजूद है तो इन्हें बंगलादेशी नागरिक कहना कहा तक उचित है, यह समझ से परे है। अगर ये लोग बंगलादेश नागरिक नहीं है तो इनके साथ दिनांक 29-12-2024 को किये गये अमानवीय कृत्य की निन्दा होनी चाहिए, जिसके चलते इस भीषण ठंड के मौसम में उनके बच्चों को खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर होना पड़ा है। जहॉं तक बंगलादेशी नागरिकों का सवाल है, इस सम्बन्ध में उन्होंने निम्न बाते रखी।
पार्षद मुकेश सिंह का कहना है कि बांग्लादेशी नागरिकों की अवैध घुसपैठ को लेकर केंद्र सरकार का रुख हमेशा से सख्त रहा है। पिछले एक दशक से केंद्र में भाजपा सरकार है, और इस दौरान देश की सीमाओं की सुरक्षा मजबूत करने के दावे किए गए हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बांग्लादेशी नागरिकों की उपस्थिति न केवल प्रशासनिक विफलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किए जा रहे दावे जमीनी स्तर पर कमजोर हैं।
उन्होंने इसके लिए स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े किये। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पिछले सात वर्षों से भाजपा की सरकार है, और मुख्यमंत्री स्वयं गृह विभाग की जिम्मेदारी संभालते हैं। अगर लखनऊ में अवैध रूप से बांग्लादेशी नागरिक रह रहे हैं, तो यह प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इनकी पहचान करे और इन पर उचित कार्रवाई करे। अब तक ऐसी कोई ठोस कार्रवाई न होना यह दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन इस मामले में गंभीर नहीं है।
नगर निगम विवाद के मामले पर भी रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा कि इन्द्राप्रियदर्शनी वार्ड में नगर निगम कर्मचारियों और प्राइवेट ठेलिया से कूड़ा उठाने वाले नागरिकों से नगर निगम के कर्मचारियों के बीच हुए विवाद के पश्चात बांग्लादेशी नागरिकों की संलिप्तता की आशंका जाहिर की गई है। इस मामले की पारदर्शी जांच होना आवश्यक है। यदि इस घटना में बांग्लादेशी नागरिक शामिल हैं, तो यह नगर निगम की ठेकेदारी प्रक्रिया और निगरानी तंत्र की विफलता को उजागर करता है। साथ ही जिन अराजक तत्वों द्वारा नगर निगम के कर्मचारियों के साथ मार-पीट की गयी उनके साथ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
कांग्रेस नेता पार्षद मुकेश सिंह ने बताया कि यह भाजपा की राजनीतिक विफलता है कि अवैध नागरिकों की पहचान और निष्कासन नहीं हो सका। इस स्थिति में यह स्पष्ट होना चाहिए कि सरकार का इरादा और प्रयास इस दिशा में कितना प्रभावी है। यदि यह मुद्दा महज राजनीतिक लाभ के लिए उठाया जा रहा है, तो यह जनता के साथ धोखा है।
लखनऊ में बांग्लादेशी नागरिकों की उपस्थिति पर लगाए गए आरोप न केवल प्रशासनिक कमजोरी को दर्शाते हैं, बल्कि यह राज्य और केंद्र सरकार की जवाबदेही का भी प्रश्न उठाते हैं। इस गंभीर मुद्दे पर आपकी सरकार से ठोस और पारदर्शी कार्रवाही की अपेक्षा है।