नई दिल्ली(मानवी मीडिया)- भारत के विद्यार्थियों सहित उन सात लाख विदेशी विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में हैं जो कनाडा में लाखों रुपये खर्च कर पीआर व सिटीजन होने का सपना संजो रहे हैं। कनाडा में 2025 के अंत तक करीब 50 लाख अस्थायी परमिट समाप्त होने वाले हैं, जिनमें सात लाख भारतीय हैं और इसमें अधिकतर पंजाबी। कनाडा में अगर उनका वर्क परमिट की अवधि नहीं बढ़ी तो उनको देश छोड़ना होगा। कनाडा इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने बताया कि 50 लाख परमिट समाप्त होने वाले है। इसमें से 7 लाख परमिट विदेशी विद्यार्थियों के हैं।
अस्थायी वर्क परमिट आमतौर पर 9 महीने से 3 साल की अवधि के लिए जारी किए जाते हैं। ये वर्क परमिट कनाडा में स्थायी निवास के लिए आवेदन करने के लिए आवश्यक अनुभव प्राप्त करने के लिए डिप्लोमा या डिग्री वाले विदेशी छात्रों को जारी किए जाते हैं। इस साल अगस्त से पंजाब के छात्र विदेशी छात्रों के प्रति कनाडा की बदलती नीति के खिलाफ ब्रैम्पटन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन सरकार रोजाना नियम सख्त कर रही है। कनाडाई आव्रजन विभाग के आंकड़ों के अनुसार मई 2023 तक कनाडा में दस लाख से अधिक विदेशी छात्र थे। इनमें से 3,96,235 के पास 2023 के अंत तक पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट थे। कनाडा अब ये परमिट देने में बहुत सख्ती कर रहा है। वर्क परमिट की फाइलें दूतावास में लटकी हुयी हैं और उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
कनाडा के इमिग्रेशन एक्सपर्ट परविंदर मोंटू का कहना है कि अब ऐसे लोगों के पास तीन विकल्प हैं। या तो वह कनाडा छोड़कर चले गए और किसी अन्य देश में जाकर काम करें। दूसरा, उनका वर्क परमिट बढ़ जाए और तीसरा वह अवैध रूप से कनाडा में रहने लगे। एडमिंटन के रहने वाले परविंदर मोंटू का कहना है कि कनाडा सरकार जिस तरह से सख्त कदम उठा रही है, उससे यह महसूस हो रहा है कि ऐसे लोगों को देश छोड़ना पड़ेगा, जिनका वर्क परमिट समाप्त हो रहा है।