भारतीय भाषा उत्सव 2024’ आयोजित - मानवी मीडिया

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Wednesday, December 11, 2024

भारतीय भाषा उत्सव 2024’ आयोजित


लखनऊ: (मानवी  मीडिया)केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर द्वारा 11 दिसम्बर, 2024 को परिसरीय सभागृह में ‘भारतीय भाषा उत्सव 2024’ के अवसर पर व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर परिसर निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि ‘भारत शासन के शिक्षा मन्त्रालय के निर्देशानुसार, इस वर्ष ‘भाषाओं के माध्यम से एकता’ थीम पर सप्ताहव्यापी कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। परिसर में भी इस थीम के आधार पर व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया है। तमिल कवि, पत्रकार, समाज सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती की जन्म-जयन्ती के अवसर पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रभक्ति पर आश्रित कविताओं का सर्जन करके देश की महती सेवा की थी। समाज के वंचित और निर्धन वर्ग के प्रति उनकी कविताओं में एक स्वर प्राप्त होता है। उनके इस अविस्मरणीय योगदान को याद करने के लिए भारत सरकार ने भारतीय भाषा दिवस के आयोजन का क्रम आरम्भ किया, जो अब ‘भारतीय भाषा उत्सव’ के रूप में परिणत हो चुका है। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तथा उसके अंगीभूत परिसर एक ‘लघु भारत’ के रूप में आख्यात हैं और संस्कृत, पालि एवं प्राकृत के साथ देश की समस्त भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित हैं। आगामी दिनों में संस्कृत के साथ पालि एवं हिन्दी आदि भाषाओं में निहित ज्ञान-सम्पदा को लोकानुमुख बनाने के लिए कार्यशालाओं एवं संगोष्ठियों के आयोजन की विस्तृत योजना है। ’

इस अवसर पर प्रो. धनीन्द्र कुमार झा ने कहा कि ‘यह सत्य है कि भौगोलिक रूप से भारत एक विशाल एवं वैविध्यपूर्ण देश है, किन्तु वैचारिक रूप से भी यह विविध प्रकार की संस्कृतियों को समेटे हुए है। जिस प्रकार किसी बगिया में विविध प्रकार के पेड़-पौधों पर अलग-अलग प्रकार के पुष्प सुन्दर लगते हैं। उसी प्रकार विविध संस्कृतियों एवं भाषाओं से समन्वित भारत देश एक सुन्दर देश है। निश्चित रूप से भारत अनेकता में एकता का सुन्दर उदाहरण है। यह देश अपने विशाल भौगोलिक क्षेत्र में असंख्य भाषाओं, संस्कृतियों एवं मतों के सह-अस्तित्व के माध्यम से अनेकता में एकता का अद्भुत उदाहरण है।’

  परिसर सह-निदेशक एवं बौद्धदर्शन एवं पालि विद्याशाखा के अध्यक्ष प्रो. गुरुचरण सिंह नेगी ने कहा कि ‘भारत सरकार के द्वारा विगत 03 अक्टूबर, 2024 को पालि सहित चार अन्य भाषाओं को क्लासिकल लैंग्वेज बनाये जाने से इन भाषाओं के विकास के मार्ग उद्घाटित हुए हैं। निश्चित रूप से केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत के साथ पालि एवं प्राकृत भाषाओं के संवर्धन एवं विकास के लिए यह एक मार्गविधायक कार्य है। इसी सप्ताह भारत सरकार के द्वारा भोटी भाषा को केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख की आधिकारिक राजभाषा का दर्जा दिया गया। इससे क्लासिकल भोटी की परम्परा को बल प्राप्त होगा और प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों के रेस्टोरेशन के कार्य में प्रगति होगी। इसके साथ ही विश्वविद्यालय अन्य भारतीय एवं मातृभाषाओं के प्रोत्साहन के लिए भी कार्य करता है। इस प्रकार प्राचीन काल से ही भाषायी संवाद और विनिमय की प्रक्रिया भी सम्पुष्ट होगी। भाषाओं की पारस्परिकता और सहिष्णुता से देश के विकास में सहायता होगी। इससे देश में आपसी सह-अस्तित्व एंव सर्वसमावेशी समाज एवं संस्कृति से राष्ट्र समधिक उन्नत बनेगा।’

कार्यक्रम में विशिष्ट भाषण में संस्कृत साहित्य विद्याशाखा के समन्वयक प्रो. पवन कुमार ने बताया कि ‘संस्कृत व्याकरण की परम्परा ने समस्त भारतीय भाषाओं की व्याकरण परम्परा को एक आधार प्रदान किया है। संस्कृत भाषा के सहारे अन्य भारतीय भाषाओं को संरक्षित करने का कार्य किया जाना चाहिए। भारतीय भाषाओं को शिक्षा के सभी स्तरों में संवर्धन की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पाठ्यचर्या में भारतीय भाषाओं के समावेश पर जोर दिया गया है तथा भाषायी और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण पर विशेष प्रावधान किये गये हैं। बहुभाषावाद इस नीति का केन्द्रीय विचार है।’

डाॅ. प्रफुल्ल गड़पाल ने इस कार्यक्रम का संयोजन किया। उल्लेखनीय है कि इग्नू के लखनऊ क्षेत्रीय केन्द्र द्वारा 10 दिसम्बर, 2024 को आयोजित आॅनलाईन व्याख्यान कार्यक्रम में संस्कृत साहित्य विद्याशाखा के समन्वयक प्रो. पवन कुमार ने विशिष्ट व्याख्यान प्रदान किया तथा परिसरीय इग्नू अध्ययन केन्द्र के समन्वयक डाॅ. प्रफुल्ल गड़पाल के मार्गदर्शन में शताधिक छात्रों ने भागग्रहण किया। इस अवसर पर हिन्दी के प्राध्यापक डाॅ. संजय कुमार मिश्र ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के केन्द्रीय कार्यक्रम में भोजपुरी भाषा का संक्षिप्त परिचय दिया तथा कविता प्रस्तुत की।

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