(मानवी मीडिया) : एक तरफ महिलाओं और छात्राओं को पीरियड या मासिक धर्म के दौरान काम और यूनिवर्सिटी से छुट्टी देने की व्यवस्था करने की मांग लंबे समय से उठ रही है। वहीं इन सबके बीच सिक्किम यूनिवर्सिटी ने अब छात्राओं के लिए हर महीने एक दिन की मेन्स्ट्रुअल लीव की परमिशन दी है। इस बाबत बीते 4 दिसंबर को यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार लक्ष्मण शर्मा ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया।
जानकारी दें कि, बीते महीने ही सिक्किम यूनिवर्सिटी छात्र संघ (SUSA) ने इसकी मांग की थी तब इस बाबत रजिस्ट्रार ने कहा था कि, वाइस चांसलर ने यूनिवर्सिटी की छात्राओं को प्रत्येक महीने एक दिन का मेन्स्ट्रुअल लीव देने की स्वीकृति दी है।
हालांकि, ये लीव परीक्षा के समय नहीं मिलेगी।जानकारी दें कि, बीते 25 अगस्त को सिक्किम हाई कोर्ट ने एक जरुरी कदम उठाते हुए अपनी महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश नीति शुरू की थी, जो भारत में किसी भी हाई कोर्ट के लिए पहली बार है। बीते 27 मई को घोषित की गई इस नीति में रजिस्ट्री में कार्यरत महिला कर्मचारियों को हर महीने “2-3 दिन की मासिक धर्म छुट्टी” लेने की अनुमति दी गई थी।
उल्लेखनीय रूप से, यह छुट्टी कर्मचारी के कुल अवकाश शेष से भी नहीं काटी जाएगी और इसके लिए हाई कोर्ट के चिकित्सा अधिकारी की परमीशन की आवश्यकता होगी। हालांकि दिसंबर 2023 में, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मासिक धर्म अवकाश के विचार का विरोध किया था।
उन्होंने तब इस बात पर जोर दिया था कि मासिक धर्म को एक बाधा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और संभावित भेदभाव के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा था कि समान अवसरों को मासिक धर्म पर अलग-अलग विचारों से प्रभावित नहीं होना चाहिए। लेकिन फिर दिसंबर 2023 को ही स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को रोकने के लिए घर से काम करने के विकल्प या सहायक अवकाश का सुझाव देते हुए मासिक धर्म स्वच्छता नीति का मसौदा भी तैयार किया था।