नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की विधानसभा ने मंगलवार को राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने वाला एक प्रस्ताव पेश किया। ये सुझाव राष्ट्रीय कांग्रेस नेता और सीएम सुरिंदर चौधरी ने दिया था। राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्यों ने जहां इस प्रस्ताव का समर्थन किया, वहीं भाजपा सांसदों ने इसका विरोध किया। बता दें कि प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 का जिक्र नहीं है।
केंद्र शासित प्रदेशों में भी विभाजित
2019 में, भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था, जिससे जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया था। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में भी विभाजित किया गया था। इसके बाद करीब छह साल बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के लिए चुनाव हुए। इन चुनावों में एनसी की जीत हुई और उनकी सरकार बनी।
बता दें कि पीडीपी ने हाल ही में सदन सत्र की शुरुआत में ही राज्य में धारा 370 को बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया। लेकिन तब इस पर BJP विधायकों ने विरोध जताया था और सभी 28 विधायक इस कदम का विरोध करने के लिए खड़े हो गए थे। BJP विधायक श्याम लाल शर्मा ने पारा पर विधानसभा नियमों का उल्लंघन कर प्रस्ताव लाने का आरोप लगाया और इसके लिए उन्हें निलंबित करने की मांग की थी।
इस पर भी खूब हंगामा हुआ। चुनाव प्रचार के दौरान एनसी ने अनुच्छेद 370 को बहाल करने की भी बात कही थी, लेकिन इस प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 का जिक्र नहीं है। बता दें कि प्रस्ताव में कहा गया कि कांग्रेस विशेष दर्जे और संवैधानिक गारंटी की बहाली की मांग करती है। इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा होगी। मैं एकतरफा विलोपन को लेकर चिंतित हूं। कांग्रेस चाहती है कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने और संवैधानिक समाधान निकालने के लिए वहां के निर्वाचित प्रतिनिधियों से बातचीत शुरू करें।