नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर भारत में स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित करता रहता है। आज शुक्रवार यानि 29 नवंबर से भारत का पहला ‘लंगलाइफ स्क्रीनिंग’ कार्यक्रम दिल्ली के एक निजी अस्पताल से शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के जरिए फेफड़ों के कैंसर का जल्द पता लगाया जा सकेगा। इतना ही नहीं यह कैंसर कार्यक्रम अपोलो कैंसर सेंटर (एसीसी) द्वारा शुरु कर दिया गया है।
आपको बताते चलें कि, इस कैंसर कार्यक्रम को लेकर अपोलो कैंसर सेंटर (एसीसी) ने बयान जारी किया है। इसके अनुसार, देश में सभी प्रकार के कैंसरों के कुल मामलों में से 5.9 प्रतिशत मामले फेफड़ों के कैंसर के होते हैं तथा कैंसर के कारण होने वाली मौत के मामले में इसकी हिस्सेदारी 8.1 प्रतिशत है। बयान में कहा गया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य जीवित रहने की दर और उपचार के परिणामों में सुधार लाना है।
दरअसल फेफड़े में कैंसर होने से सेहत को ज्यादा खतरा रहता है। आपको बताते चलें कि, इसमें कहा गया है कि इस कार्यक्रम के तहत उन लोगों की जांच का लक्ष्य रखा गया जिनके इस बीमारी के ग्रस्त होने का खतरा अधिक है। इनमें वे लोग शामिल हैं, जिनकी उम्र 50 से 80 वर्ष के बीच है, जो पहले धूम्रपान करते हों या जिनके परिवार में किसी को पहले फेफड़ों का कैंसर हुआ हो।
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) द्वारा प्रस्तुत कैंसर की घटनाओं और मृत्यु दर के GLOBOCAN 2020 अनुमान से पता चलता है कि फेफड़ों का कैंसर कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण बना हुआ है, जिसके कारण 2020 में अनुमानित 1.8 मिलियन मौतें (18%) हुई।