लखनऊ : (मानवी मीडिया) राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज राजभवन में छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित करती लोक नृत्य और लोक गायन की प्रस्तुतियाँ दी गईं, साथ ही छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं विकास पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री का भी प्रदर्शन किया गया।
राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कलाकारों द्वारा छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर आधारित प्रस्तुतियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्य की संस्कृति राज्य के स्वाभिमान को प्रतिबिम्बित करती है। राज्यपाल जी ने छत्तीसगढ़ के औद्योगिक विकास, विशेषकर विलासपुर में स्थापित सेल का स्टील प्लांट, भिलाई में रेल पटरियों के निर्माण और कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रदेश में शिक्षा के माध्यम से लोगों की सोच में बदलाव से नक्सलवाद और आतंकवाद की प्रवृत्तियों में कमी आने की बात कही।
राज्यपाल ने जनजातीय संस्कृति की विशेषताओं को बताते हुए कहा कि जनजातीय लोग कार्यशील होने के साथ आनंदित रहते हैं और उनकी नृत्य परंपरा उनकी एक महत्वपूर्ण पहचान है। उन्होंने जनजातीय संस्कृति को बचाए रखने की अपील की, ताकि यह संस्कृति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंच सके। इस समारोह में छत्तीसगढ़ के विभिन्न लोक नृत्य, जैसे रेला नृत्य, सुआ नृत्य, मारिया नृत्य, राऊत नृत्य, और राजा भर्तृहरी एवं पिंगला रानी के कथाओं पर आधारित लोक गायन पर उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज एवं संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के कलाकारों द्वारा जोशीली प्रस्तुति की गई।
समारोह से पहले, राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति, वाद्य यंत्र, हस्तकला, तीर्थ स्थल, लोक कला, नृत्य, भाषा, धातु कला, महत्वपूर्ण स्थलों, टेराकोटा एवं महान विभूतियों पर आधारित प्रदर्शनी और रंगोली का अवलोकन किया। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, विशेष सचिव राज्यपाल श्रीप्रकाश गुप्ता, विशेष सचिव कारागार वैभव श्रीवास्तव, अपर पुलिस महानिदेशक नवीन अरोड़ा, विशेष कार्याधिकारी अशोक देसाई, और विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ. पंकज एल0 जानी समेत छत्तीसगढ़ से आए गणमान्य अतिथि, विश्वविद्यालय से आए छात्र-छात्राएं और राजभवन के अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित थे।