नई दिल्ली (मानवी मीडिया): संविधान दिवस के मौके पर कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने तालकटोरा स्टेडियम में शिरकत की और वहां उपस्थित लोगों को संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान जैसे ही राहुल गांधी ने बोलना शुरू किया, उनका माइक अचानक बंद हो गया, जिससे वहां हलचल मच गई। इसके बाद कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी।
यह घटनाक्रम खासतौर पर ध्यान आकर्षित करता है क्योंकि राहुल गांधी ने पहले भी संसद में अपने माइक को बंद करने का आरोप लगाया था। हालांकि, इस बार खुद उनकी पार्टी के आयोजन में माइक बंद होने पर राहुल गांधी ने मुस्कुराते हुए स्थिति को संभाला। माइक फिर से चालू होने के बाद राहुल गांधी ने कहा, इस देश में जो भी दलितों और पिछड़ों की बात करता है, उसका माइक इसी तरह से बंद कर दिया जाता है। इसके बाद उन्होंने जातीय जनगणना की मांग फिर से उठाई और कहा कि देश के प्रमुख उद्योगपतियों में किसी भी दलित, पिछड़े या आदिवासी वर्ग का व्यक्ति नहीं है।
उन्होंने कहा कि आपको कंपनियों के मालिक दलित या ओबीसी नहीं मिलेंगे? उन्होंने कहा कि मैं गारंटी के साथ कहता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान की किताब नहीं पढ़ी है। हिंदुस्तान की हजारों साल की सोच और 21वीं सदी में हिंदुस्तान की जो सोशल एंपावरमेंट की जो सच है, आंबेडर जी की, फूले जी की, बुद्ध भगवान, गांधी जी की वह इसके अंदर है। आप किसी भी स्टेट में चले जाइए केरल में नारायण गुरु जी, कर्नाटक में बसवन्ना जी, पुणे के शिवाजी महाराज, हर स्टेट में आपको ऐसे दो-तीन नाम मिलेंगे जिनकी सोच इस किताब में आपको मिलेगी।
राहुल ने कहा कि मैं आपसे पूछना चाहता हूं इसमें सावरकर जी की आवाज है क्या? इसमें कहीं लिखा है कि हिंसा का प्रयोग करना चाहिए। इसमें कहीं लिखा है कि किसी व्यक्ति को मारना चाहिए, डराना चाहिए या काटना चाहिए? यह सत्य और अहिंसा की किताब है। यह हिंदुस्तान का सत्य है और यह अहिंसा का रास्ता दिखाता है कुछ दिन पहले तेलंगाना में हमने जातिगत जनगणना का काम शुरू किया। जहां भी हमारी सरकार आएगी जिस स्टेट में चाहे कर्नाटक हो, तेलंगाना हो और आने वाले समय में जहां भी हमारी सरकार आएगी हम उसी प्रकार से जाति जनगणना कराएंगे।
उन्होंने कहा कि अगर हिंदुस्तान की आबादी को देखें तो पूरा देश जानता है कि देश में 15 फीसदी दलित आबादी है। आठ फीसदी आदिवासी हैं, तकरीबन 15 फीसदी अल्पसंख्यक हैं। मगर पिछड़े वर्ग के कितने लोग हैं? कोई नहीं जानता। कोई कहता है कि देश में पिछड़ा वर्ग 50 फीसदी है तो कई अलग आंकड़ा देता है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग आंकड़ें बताए जाते हैं। पिछड़ा वर्ग 50 फीसदी से कम नहीं है। अगर हम 50 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 15 फीसदी दलित, तकरीबन आठ फीसदी आदिवासी और 15 फीसदी अल्पसंख्यकों को मिला लें तो देश की तकरीबन 90 फीसदी आबादी पिछड़े वर्ग से आती है।