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Friday, November 15, 2024

सुपर रिच टैक्स लगाने पर हो विचार

लखनऊ (मानवी मीडिया)देश में संसाधनों की कमी नहीं है जरूरत है उनको बेहतर तरीके से उपयोग करने की। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की गारंटी, सरकारी विभागों में रिक्त पदों को भरा जाना, सम्मानजनक जीवन की गारंटी देना सरकार का उत्तरदायित्व है। रोजगार राजनीतिक अर्थनीति के साथ जुड़ा है। बेरोजगारी, बड़े  पैमाने पर देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है एवं सामाजिक असंतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। पुरानी पेंशन की बहाली, आंगनवाड़ी, आशा, स्कीम वर्कर ठेका , संविदा कर्मी को पक्की नौकरी होनी चाहिए। 2003 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने बजट प्रबंधन के लिए जो अधिनियम बनाया उससे बड़ी पूंजी को काफी लाभ  हुआ। सरकार यदि निर्णय लेने की  हिम्मत दिखाएं तो चंद कॉर्पोरेट घरानों की संपत्ति पर थोड़ा सा टैक्स लगाकर समस्याओं का समाधान किया  सकता है। कॉर्पोरेट घरानों पर टैक्स लगाना 2003 के अधिनियम से कहीं बेहतर विकल्प है।

आज देश में सुपर रिच टैक्स लगाने की जरूरत है। चंद कॉरपोरेट घराने पूरे देश की अर्थव्यवस्था नियंत्रित कर रहे हैं, उनके इस आर्थिक नियंत्रण से देश का  आर्थिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो गया है। बेरोजगारी बढ़ गई है। लोगों को सम्मानजनक  जीवन जीने की सुविधा नहीं मिल रही है। यदि बड़े कॉर्पोरेट घरानों की संपत्ति पर 3% संपत्ति टैक्स तथा 33% विरासत टैक्स लगा दिया जाए तो देश में संसाधनों की कमी नहीं रह जाएगी । इससे बड़े घरानों की संपत्ति पर भी कोई असर नहीं होगा। यह इतना मामूली  होगा जैसे समुद्र से अंजुली भर  पानी उलच लिया गया हो।  सुपर रिच टैक्स से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, रोजगार का अधिकार मिलेगा। चंद धनाढ्य घरानों पर सुपर रिच टैक्स लगाने से आम आदमी को पांच अधिकारों की गारंटी दी जा सकती है। 

1.रोजगार का अधिकार 

2.भोजन का अधिकार 

3.बेहतर मुफ्त शिक्षा का अधिकर 4.स्वास्थ्य का अधिकार 

5.,वृद्धजनों को पेंशन का अधिकार 

सुपर रिच टैक्स से इतनी पूंजी  एकत्र हो जाएगी, जिससे पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा हल हो सकता है। आंगनवाड़ी, आशा, स्कीम वर्कर, ठेका  कर्मचारी, संविदा कर्मचारी को पक्की नौकरी दी जा सकती है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने कहा है कि पूंजी के  एकाधिकार का विकेंद्रीकरण करना होगा। अभी देश की पूंजी कुछ अमीर घरानों तक सीमित है। आम आदमी बेहाल है, उसका हाथ खाली है।  सरकार  जब तक रोजगार  की व्यवस्था नहीं करती है तब तक न्यूनतम वेतन का 50% बेरोजगारी भत्ता के रूप में दिया जाना चहिए। रोजगार देना सरकार  का कर्तव्य है। पेंशन देना भी सरकार का उत्तरदायित्व है। सरकार अपने इन सारे उत्तरदायित्व से पल्ला झाड़ रही है और सिर्फ वोट की राजनीति कर रही है। 4800 तक ग्रेड वेतन पाने वाले जितने भी कर्मचारी हैं ,उनको एवं पेंशन भोगी  कर्मचारियों को टैक्स सीमा से अलग करना होगा। ऐसा करने से मध्य  वर्गीय लोगों की क्रय क्षमता  बढ़ेगी ।बाजार में पैसे का फ्लो बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था बेहतर होगी। इसका सीधा असर देश की जीडीपी पर होगा। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने अपनी आज की बैठक में कर्मचारियों की सामान्य मांगों पर चर्चा के अलावा सरकार के  पास संसाधन बढ़ाने के उपायों पर भी विचार किया। इसके लिए सुपर रिच टैक्स पर भी  विचार किया गया। संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने देश के  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ईमेल आईडी पर पत्र लिखकर पूंजी एकत्र करने वाले चंद धनाढ्य घरानों पर तीन 3% संपत्ति टैक्स एवं 33% विरासत टैक्स लगाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा  है कि इससे  देश में संसाधन बढ़ेगा और रोजगार की गारंटी ,रिक्त पदों को भरे जाने, सम्मानजनक जीवन जीने की गारंटी ,भोजन का अधिकार बेहतर मुफ्त शिक्षा का अधिकार , स्वास्थ्य का अधिकार, वृद्धजनों को पेंशन का अधिकार, कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन की बहाली , आंगनवाड़ी, आशा स्कीम वर्कर, ठेका एवं संविदा कर्मियों को पक्की नौकरी मिलने का रास्त साफ होगा। जे एन तिवारी ने यह भी कहां है यदि सरकार सुपर रिच टैक्स लगाने   की हिम्मत कर सके तो आज देश के विभिन्न वर्गों में आंदोलन की स्थिति को भी रोका  जा सकता गई। धरना प्रदर्शन आंदोलन में लगी हुई ऊर्जा देश के विकास में  लगाई जा सकती है। बहुतायत कर्मचारी असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उनका कोई भविष्य नहीं है। सरकार के  पास वोट साधने के अलावा अन्य मद में कोई बजट नहीं है। ऐसी स्थिति मे सुपर रिच टैक्स एक बढ़िया विकल्प हो सकता है। उक्त जानकारी उत्तर-प्रदेश राज कर्मचारी संयुक्त परिषद के नारायण जी दूबे प्रान्तीय बरिष्ट उपाध्यक्ष द्वारा यह जानकारी दी गई है

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