(मानवी मीडिया) : अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम स्पष्ट हो गया है। रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को दुनिया भर से बधाईयां मिल रही हैं। वहीं भारतीय मूल की कमला हैरिस चुनाव हार गईं हैं। चुनाव परिणामों की बात करें तो रिपब्लिकन को स्पष्ट बहुमत मिल गया है। अमेरिका में कुल 538 सीटे हैं और बहुमत का आंकड़ा 270 है। जिसमें रिपब्लिकन को 277 सीटें मिली हैं। वहीं डेमोक्रेट बहुमत के आंकड़े दूर 224 सीटों तक ही सिमट गई। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव का पूरी दुनिया पर असर पड़ता है। इसलिए पूरी दुनिया की निगाहें इस चुनाव पर टिकी रहती हैं। इस चुनाव में 4 साल के अंतराल पर दोबारा जीत हासिल कर ट्रंप सत्ता में वापसी करेंगे। ट्रंप 2016 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे।
2020 का चुनाव वे जो बाइडेन से हार गए थे। इस हार के बाद ट्रंप समर्थकों ने कैपिटल हिल्स इलाके में दंगा फंसाद शुरू कर दिया था। जिसकी तस्वीरें दुनिया भर में वायरल हुईं थी, सभी लोकतंत्र समर्थकों के साथ डोनाल्ड ट्रंप ने भी इसकी निंदा की थी। इसके बाद लग रहा था रिपब्लिकन पार्टी अमेरिकी नागरिकों का विश्वास खो देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ट्रंप ने इतिहास रचते 4 साल बाद सत्ता में वापसी कर ली है।
इस राष्ट्रपति चुनाव देश की अर्थव्यवस्था को लोगों ने एक अहम मुद्दा बताया। ज्यादातर अमेरिकी नागरिकों लगता है कि जो बाइडेन के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था कई उतार-चढ़ाव से होकर गुजरी है, जिसके चलते आम नागरिक प्रभावित हुए। इत्तेफाक था कि ट्रंप जाने वाले थे तभी पूरी दुनिया को कोरोना अपने चपेट में ले रहा था। 2020 ट्रंप की जगर राष्ट्रपति बाइडेन बन गए। इस दौरान अमेरिका में कोरोना चरम पर था। जिसका व्यापक असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा। इस दौरान अमेरिका में भी उच्च स्वास्थ्य व्यवस्था के बावजूद 3.5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इस दौरान भी लोगों का बाइडेन पर गुस्सा फूटा था। इस चुनाव में ट्रंप ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था का मुद्दा खूब भुनाया।
जो बाइडेन सरकार को जिस समस्या ने सबसे अधिक परेशान किया वो महंगाई है। खाद्य उत्पादों के दाम में वृद्धि से अमेरिकी नागरिकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। आंकड़े बताते हैं सितंबर में फरवरी 2021 से महंगाई इस वर्ष कम रही, लेकिन बाइडेन के कार्यकाल के दौरान आंकड़ा ऊपर ही बना रहा था। खास बात यह है कि खाद्य महंगाई को छोड़कर बाकी मामलों में अर्थव्यवस्था में कोई खास समस्या नहीं रही थी। महंगाई के मुद्दों को ट्रंप लगातार मंचों से उछालते रहे। उन्होंने जनता को बीते चार की तुलना आज की महंगाई से करनी चाहिए।
किसी भी देश के चुनाव में राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का व्यक्तित्व काफी अहर रोल अदा करता है। ऐसे में रिपब्लिकन पार्टी चुनाव में पहले जो बाइडेन के साथ उतरी थी। इस दौरान सार्वजनिक मंचों पर जो बाइडेन अपने अजीव व्यवहार को लेकर काफी ट्रोल हुए। स्पष्ट है कि बाइडेन की अधिक उम्र होने की वजह से स्वास्थ उनका साथ नहीं दे रहा था। जिसका फायदा ट्रंप और उनके प्रचार तंत्र ने उठाया, उन्हें रोबोट तक कहा गया। वे पहली प्रेजिडेंशियल डिबेट में आक्रामक दिख रहे डोनाल्ड ट्रंप के सामने काफी फीके दिखाई दिए। इसके बाद उन्हें पार्टी के भीतर विरोध का सामना करना पड़ा।
जो बाइडेन के पीछे हटने के बाद कमला हैरिस को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया। जो बाइडेन ने ही उनके नाम को आगे बढ़ाया था। कमला हैरिस ने अपनी ओर से भरपूर कोशिश की और उनके आने के बाद से चुनावी सर्वेक्षणों में उनका असर भी काफी दिखने लगा था। जो सर्वेक्षण पहले डोनाल्ड ट्रंप की ओर झुके हुए दिख रहे थे वे बदलने लगे और मुकाबला काफी कड़ा लगने लगा था। लेकिन जुलाई में राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के बाद कमला हैरिस के लिए यह बहुत ही बड़ा काम था कि सभी राज्यों में जाकर लोगों को यह बताया और समझाया जा सके कि वे कैसे एक बेहतर राष्ट्रपति साबित होंगी।
हालांकि उन्होंने इस चुनौती को अच्छे नहीं पूरी कर पाईं। वहीं डोनाल्ड ट्रंप अपने अक्रामक प्रचार से जनता के बीच अपनी जगह बनाते चले गए। अगर ये कहा जाए कि ट्रंप ने अक्रामकता के साथ नरेंद्र मोदी की स्टाइल में प्रचार किया तो यह गलत नहीं होगा। ऐसा लिए कहा जा रहा है क्योंकि उन्हें ट्रंप को रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से कचरा कहा गया तो वह ड्रेस पहनकर कचरे की गाड़ी लेकर निकल पड़े।