लखनऊ : (मानवी मीडिया) प्यास लगी है तो पहले पानी भरो। फिर इंतजार करो जब मिट्टी बैठ जाए तब जल पियो। यह हाल है आलमबाग नटखेड़ा रोड और आसपास से जुड़े उन सैकड़ों परिवारों का जो करीब एक माह से मिट्टी और बदबूदार पानी पीने और उसके इस्तेमाल को मजबूर हैं। कोई छानकर पानी पी रहा है तो कोई मिट्टी बैठने का घंटों इंतजार करता है। उसके बाद पानी निथारकर पीता है।
स्थानीय लोगों की मानें तो यह समस्या सरकारी ट्यूबवेल की बोरिंग के बाद करीब एक माह से बनी हुई है। समस्या से राहत मिलने पर फाल्ट ढूंढने के लिए तीन बार गलियों की सड़कें खोदी जा चुकी हैं लेकिन पानी के साथ मिट्टी का आना निरंतर बना हुआ है। मोहल्ले में सरकारी आपूर्ति के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ऐसे में लोग शाम को पानी भरते हैं और फिर उसे रातभर रखते हैं। सुबह उसकी मिट्टी बैठ जाने के बाद उसे साफ कर पिया जाता है। मिट्टी के कारण प्रेशर नहीं आता है और मोटर लगाने पर फुंक जाती है। वैसे मोहल्ले के लोग तीन वर्षों से दूषित पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। कभी पाइप लाइन में लीकेज से सीवर का पानी तो कभी नाली का पानी सीधे सप्लाई हो जाता था।
इस बदबूदार पेयजल आपूर्ति से लोग आयेदिन बीमार पड़ रहे थे। त्वचा के रोगी बहुत तेजी से बढ़े हैं। ज्यादातर घरों में सबमर्सिबिल नहीं है। ऐसे में सरकारी आपूर्ति के सिवाय कोई अन्य रास्ता नहीं है। मोहल्ले में सरकारी सीवर लाइन नहीं है। कुछ लोगों द्वारा जो निजी लाइन डलवाई गई वो छोटी होने की वजह से फुल है। परिवार बढ़ने के कारण समस्या बढ़ती जा रही है। गलियों में 15 दिन में एक बार सफाई होती है। इससे जगह-जगह कूड़ा फैला रहता है तो नालियां बजबजाती रहती हैं।
शाम होते ही मच्छरों का झुंड उड़ने लगता है। सच यह है कि नटखेड़ा रोड, चंदर नगर में महीनों से सफाई नहीं हुई है। इस कारण जगह-जगह कूड़ा फैला है। नालियां चोक हैं। फागिंग तो यहां दूर की बात है। सड़क जर्जर है। इस पर लोग पैदल व दो पहिया वाहन से अक्सर गिरकर घायल होते हैं। बोरिंग और उसका फाल्ट ढूंढने के लिए सड़क और गलियां खोद डाली गईं। तीन बार जगह-जगह उसकी खुदायी हुई लेकिन समस्या का कारण नहीं खोज पाए। अब हाल यह है कि गलियां खुदी पड़ी हैं और पानी गंदा आ रहा है।