नई दिल्ली(मानवी मीडिया)- मणिपुर में ताजा हिंसा की घटनाओं और कानून व्यवस्था संबंधी मुद्दों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 20 अतिरिक्त कंपनियों को तत्काल भेजा है, जिनमें करीब 2,000 जवान हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार रात को इन जवानों को तत्काल हवाई मार्ग से भेजने और तैनात करने का आदेश जारी किया। मणिपुर के जिरीबाम में सोमवार को सुरक्षा बलों ने हमार समुदाय के संदिग्ध उग्रवादियों को मार गिराया था। इसके बाद इलाके से तीन बच्चों समेत मेइती समुदाय के छह लोग अभी भी लापता हैं। 12 नवंबर को जारी एक आदेश में गृह मंत्रालय ने कहा है कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 30 नवंबर तक सीएपीएफ की 20 कंपनियां तैनात रहेंगी, जिनमें 15 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और पांच सीमा सुरक्षा बल की कंपनियां शामिल हैं। आदेश में कहा गया है, “सीएपीएफ की 20 और कंपनियों की तैनाती के साथ अब सीएपीएफ की कुल 218 कंपनियां; सीआरपीएफ की 115, आरएएफ की आठ, बीएसएफ की 84, एसएसबी की छह और आईटीबीपी की पांच कंपनियां 30 नवंबर तक मणिपुर में तैनात रहेंगी।” केंद्र ने अपने आदेश में मणिपुर सरकार से संबंधित सीएपीएफ से परामर्श कर उसकी विस्तृत तैनाती योजना तैयार करने को कहा है।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के साथ सोमवार को मणिपुर के जिरीबाम जिले में भीषण मुठभेड़ में कम से कम 11 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए थे। यह मुठभेड़ तब हुई जब छद्म वर्दीधारी और अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों ने जिरीबाम जिले के जाकुराधोर स्थित बोरोबेकरा थाने और निकटवर्ती सीआरपीएफ शिविर पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी। सीआरपीएफ ने भीषण मुठभेड़ के बाद अत्याधुनिक हथियारों की एक बड़ी खेप भी जब्त की थी। राज्य में पिछले साल मई में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से सीएपीएफ की 198 कंपनियां पहले से ही तैनात हैं। इस हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। मणिपुर के जिरिबाम में नए सिरे से हिंसा भड़कने के बाद पिछले सप्ताह से तनाव की स्थिति बनी हुई है। मंगलवार को उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मणिपुर के हालात की समीक्षा करने के बाद अतिरिक्त 2000 जवान भेजने का फैसला किया गया।