आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता वंशराज दुबे ने इस घोटाले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद में 186 पदों के लिए हुई परीक्षा के परिणामों में बड़ी संख्या में पद अधिकारी और नेताओं के रिश्तेदारों को मिले हैं।
उन्होंने कहा कि इस भर्ती के दौरान 38 पदों पर वीवीआईपी के रिश्तेदारों को नियुक्त किया गया, जो कि साफ तौर पर भ्रष्टाचार और नौकरी के बाजार में सत्ताधारी नेताओं की संलिप्तता को दर्शाता है।
वंशराज दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि भर्ती प्रक्रिया में जिस फर्म को हायर किया गया, वह एक छोटे से कार्यालय में काम कर रही थी, जो किसी गंभीर परीक्षा या चयन प्रक्रिया को संचालित करने के लिए पर्याप्त नहीं था। इस मामले में कुल 2.5 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, लेकिन भर्ती में पारदर्शिता की पूरी तरह से अनदेखी की गई और रिश्तेदारी के आधार पर नियुक्तियाँ की गईं।
उन्होंने योगी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि "बटेंगे तो कटेंगे" कुछ लोगों ने शायद गलत समझ लिया, लेकिन दरअसल इसका मतलब कुछ और था। यह योगी जी के शासन में सरकारी नौकरी में हुए भ्रष्टाचार और पारिवारिक संतुलन का प्रतीक था। यह नियुक्तियाँ पारदर्शिता और ईमानदारी से नहीं, बल्कि सत्ताधारी नेताओं और अधिकारियों के परिवारवालों के बीच बांटी गईं। उनके अनुसार, हर 5 में से 1 नौकरी किसी न किसी नेता या अधिकारी के रिश्तेदार को मिली, जो कि भ्रष्टाचार और अवसरवादिता को उजागर करता है।
आम आदमी पार्टी ने मांग की है कि इस भर्ती घोटाले के सभी पहलुओं की सीबीआई से निष्पक्ष जांच करवाई जाए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए।