इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो० उमेश चन्द्र वशिष्ठ (पूर्व विभागाध्यक्ष / संकायाध्यक्ष), डा० किरन लता डंगवाल, डा० नीतू सिंह, डा० सूर्यनारायण गुप्ता, डा० बीना इन्द्राणी सहित विभाग के शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहें।
लखनऊ (मानवी मीडिया)शिक्षा शास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में आज 'समकालिक वैश्विक चुनौतियों एवं समस्याएं' विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी धर्मबन्धु, संस्थापक, श्री वैदिक मिशन ट्रस्ट, गुजरात उपस्थित रहे। कार्यक्रम के शुरूआत में प्रो० दिनेश कुमार, विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष, शिक्षा संकाय ने पुष्प गुच्छ देकर तथा प्रो० यू०सी० वशिष्ठ ने अंगवस्त्र देकर स्वामी जी को सम्मानित किया। स्वामी धर्मबन्धु ने वैश्विक चुनौतियों में मुख्य रूप से वैश्विक जल संकट, राजनैतिक-सामाजिक-आर्थिक संकट, खाद्य असुरक्षा, प्रोद्योगिकी असमानता, विकसित और विकासशील देशो में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दुरूपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी छात्रों को दी। प्रौद्योगिकी असमानता के अन्र्तगत उन्होंने बताया कि, हमारा भारत प्रौद्योगिकी क्षेत्र में केवल 0.72 प्रतिशत निवेश कर रहा है, जो अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। तत्पश्चात उन्होंने वर्तमान वैश्विक संकट की उत्पत्ति के बारे में बताया जिसमें उन्होंने समझाया कि मुख्य कारण अध्यात्मिकता की कमी है। उनका मानना था कि अत्यात्मिक मूल्यों का अभाव ही समस्याओं और नैतिक पतन का मुख्य कारण है। स्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, जिसके लिए हमे अपने आहार पर ध्यान देना, नियमित व्यायाम करना, गहरी नींद लेना, अनैतिक आचरण और तनाव से बचने की बात कही।उन्होंने आगे कहा कि आज की शिक्षा, पास और फेल पर ही केन्द्रित हो गयी है, न ही वास्तविक सीखने पर, जिससे छात्रों की पूर्ण शिक्षा में बाधा आ रही है। आगे बढ़ते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि धर्म के आधार पर किसी भी देश का विभाजन नहीं हो सकता। अपने व्याख्यान को समाप्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमें किसी समुदाय से नहीं, बल्कि संविधान से डरना चाहिए, तभी हम एक प्रगतिशील राष्ट्र बन सकते है। इन शब्दों के साथ स्वामी जी ने अपने व्याख्यान को समाप्त करते हुए छात्रों के प्रश्नों का उत्तर दिया।