लखनऊ (मानवी मीडिया)लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग में 'वैज्ञानिक कदाचार , फालसीफिकेशन, फैब्रिकेशन एवं प्लेज़रिज्म और प्रकाशन कदाचार' विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
जिसमें रिसोर्स पर्सन के रूप में प्रोफेसर गौरव राव ( प्रोफेसर, शिक्षाशास्त्र विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) उपस्थित रहे।
प्रोफेसर गौरव राव ने वैज्ञानिक कदाचार , वैज्ञानिक कदाचार के प्रकार, वैज्ञानिक कदाचार के कारणों , अकादमिक ईमानदारी, बौद्धिक संपदा अधिकार , साहित्यिक चोरी नीतियाँ और दंड, एंटीप्लेजरिज्म साफ्टवेयर की विशेषताओं एवं कार्यक्षमताओं पर विस्तृत प्रकाश डाला।
वैज्ञानिक कदाचार के तहत उन्होंने बताया कि हमें उन अनुचित गतिविधियों से बचना है जो शोध की नैतिकता , निष्पक्षता और विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं।
सत्यनिष्ठा या ईमानदारी की कमी हमें वैज्ञानिक कदाचार की तरफ ले जाती है।फाल्सीफिकेशन, फैब्रिकेशन एवं प्लेज़रिज्म को उन्होंने महापाप बताया।
प्लेजरिज्म के तहत उन्होंने बताया यह केवल शब्दों की चोरी नहीं है , थीम, तकनीक, विचारों, साहित्य, कला और उत्पादों की चोरी भी इसमें शामिल है। जिससे बचना आवश्यक है। कॉपी-पेस्ट करके , विचार की चोरी कलात्मक चोरी, पैराफ्रेजिंग, एक्सपायर्ड लिंक, अनुवादित साहित्य, व उद्धरण का सही प्रयोग न करके व्यक्ति प्लेज़रिज्म में फँस सकता है।
इसके अलावा उन्होंने 'प्रीडेटरी प्रकाशक और जर्नल तथा डेटाबेस अनुक्रमण और उद्धरण' के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया । उन्होंने बताया शोधकर्ताओं को शिकारी प्रकाशकों और जर्नल्स से सावधान रहना चाहिए। इनसे बचने के लिए डायरेक्ट्री ऑफ ओपन एक्सेस जर्नल, कोप गाइडलाइंस, बील्स की सूची, यूजीसी क्लोन जर्नल सूची का प्रयोग करना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में प्रो दिनेश कुमार , विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष, शिक्षाशास्त्र संकाय ने प्रो राव को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में प्रो मुनेश कुमार, डॉ नीतू सिंह, डॉ सूर्य नारायण गुप्ता, डॉ बीना इन्द्राणी सहित अन्य शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।