राजस्थान : (मानवी मीडिया) बाड़मेर की ज़िला कलेक्टर टीना डाबी ने लोकल प्रोडक्ट और ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। उन्होंने घोषणा की है कि जिले के सरकारी कार्यालयों में अब से केवल उन उत्पादों का ही उपयोग किया जाएगा, जो गांव की महिला समूहों द्वारा निर्मित हैं। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना और महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है।
लोकल प्रोडक्ट्स को सरकारी कार्यालयों में यूज करने का निर्देश
आटी गांव की पप्पूदेवी, जो एक बेकरी चलाती हैं, बताती हैं कि उनके गांव में 200 महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं। पिछले एक साल से ये महिलाएं देसी बाजरे, घी और शक्कर जैसे स्थानीय सामग्रियों से बिस्किट, लाडू, और नमकीन बना रही हैं। इनके उत्पादों में किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती, जो इन्हें अन्य उत्पादों से अलग बनाती है। लेकिन, प्रॉपर मार्केटिंग और मंच के अभाव में ये महिलाएं अपने उत्पादों को बाजार में नहीं ला पा रही थीं।
ग्रामीण महिलाओं की प्रदर्शनी में पहुंची थी टीना डाबी
जिला कलेक्टर टीना डाबी ने हाल ही में एक जिलास्तरीय कार्यक्रम में ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों की प्रदर्शनी का दौरा किया। उन्होंने इन उत्पादों की गुणवत्ता की सराहना की और महिलाओं की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। कलेक्टर ने भरोसा दिलाया कि अब सरकारी कार्यालयों में बाहरी कंपनियों के उत्पादों के बजाय, स्थानीय महिलाओं के बनाए गए देसी उत्पादों का ही इस्तेमाल होगा। महिलाओं के द्वारा बनाए गए बिस्कीट और अन्य उत्पाद ही अब सरकारी कार्यालय में काम में लिए जाएंगे।
जिला कलेक्टर के इस निर्णय से समूह चलाने वाली महिलाएं खुश
इस निर्णय से न केवल महिलाओं को एक मंच मिलेगा, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करेगा। महिलाएं अब अपने उत्पादों को सरकारी कार्यालयों में भी प्रस्तुत कर सकेंगी, जिससे उनकी मेहनत का सही मोल मिल सकेगा। टीना डाबी का यह कदम निश्चित रूप से जिले के ग्रामीण विकास में एक नया आयाम जोड़ेगा और अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगा।