रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ मेला क्षेत्र में संत समाज के साथ संवाद कर रहे थे। इस बैठक में सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि तथा खाक-चौक परंपरा, दण्डीबाड़ा परंपरा और आचार्यबाड़ा परंपरा के प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों की उपस्थिति रही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पावन त्रिवेणी संगम में स्नान की अभिलाषा लिए महाकुंभ आने वाले हर संत और श्रद्धालु को अविरल-निर्मल गंगा-यमुना के दर्शन होंगे। पवित्र नदियों की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए सरकार के स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन साधु-संत समाज का सहयोग भी अपेक्षित है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि महाकुंभ के दौरान ब्रह्मलीन होने वाले साधु-संतों की समाधि के लिए प्रयागराज में शीघ्र ही भूमि आरक्षित कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि संतों के मार्गदर्शन में ही सनातन समाज का उत्कर्ष संभव है। महाकुंभ 2025, कुंभ 2019 से भी अधिक भव्य हो, इसके लिए सभी को योगदान करना होगा। संतों की कृपा और प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में आज अयोध्या, वाराणसी और ब्रजधाम के नए स्वरूप का दर्शन पूरी दुनिया कर रही है। विशेष अवसर पर ब्रह्मलीन नरेंद्र गिरी जी महराज की स्मृति को नमन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज लेटे हुए हनुमान जी मंदिर के पास कॉरीडोर का निर्माण भी हो रहा है। उन्होंने सभी संतों से स्वच्छ महाकुंभ के अभियान से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि स्वच्छता के संकल्प के लिये यह सभी के लिए उचित होगा कि प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग न किया जाए।
संत समाज की ओर से गो-हत्या पर प्रतिबंध की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में गोहत्या अपराध है। गोहत्या के विरुद्ध उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही, राज्य सरकार 07 हजार से अधिक गोवंश आश्रय स्थल का संचालन कर रही है, जहां 14 लाख से अधिक गोवंश संरक्षित है। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सामान्य लोगों को भी गोसेवा से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि गोवंश संरक्षण के इस सेवाकार्य को आगे बढ़ाने में संत समाज का सहयोग अपेक्षित है। यह सर्वथा उचित होगा कि सभी आश्रमों में गोवंश संरक्षण स्थल का विकास हो। हर आश्रम में गोसेवा हो।
महाकुंभ में सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए मुख्यमंत्री ने सभी संतों-संन्यासियों, आचार्यों से अनुरोध किया कि अपने आश्रम में तब तक किसी को प्रवास की अनुमति न दें जब तक कि उनका विधिवत सत्यापन न कर लिया जाए।
इससे पहले वैदिक मंत्रोच्चार और सनातन धर्म की जयघोष के बीच मुख्यमंत्री ने एक-एक सभी पूज्य साधु-संतों, आचार्यों को अंगवस्त्र पहना कर अभिनंदन किया। संतगणों के समक्ष महाकुंभ 2025 के प्रबन्धन एवं व्यवस्थाओं के संबंध में एक लघु फिल्म का प्रस्तुतीकरण भी किया गया।
संगम तट पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित अखाड़ों एवं साधु-संतों के साथ संवाद के इस कार्यक्रम में सभी 13 अखाड़ों और विभिन्न संत परंपराओं के साधु-संतों, आचार्यों ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सनातन धर्मध्वज के रक्षक हैं, जिनके नेतृत्व में आज सनातन समाज गौरवान्वित हो रहा है। संतों ने कहा कि योगी जी पहले मुख्यमंत्री हैं, जो महाकुंभ के विषय में साधु-संतों, आचार्यों से इस तरह से सीधे संवाद कर रहे हैं और उनकी समस्याओं/सुझाओं को सुनकर लिपिबद्ध कर रहे हैं। साधु-संतों, आचार्यों के लिए यह अवसर अतुलनीय है। संत गणों ने महाकुंभ-2025 की तैयारियों पर संतुष्टि जताई। साथ ही कहा कि मेला क्षेत्र में चल रही तैयारियों को देखकर यह साफ हो जाता है कि महाकुंभ-2025 प्रयागराज में पूर्व में आयोजित हुए सभी अर्धकुंभ/महाकुंभ से भव्य एवं दिव्य होगा। अखाड़ों और विभिन्न संत परंपराओं के प्रतिनिधियों ने एक स्वर में मुख्यमंत्री योगी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया में तनाव व्याप्त है। एक देश, दूसरे देश के साथ युद्ध को आतुर हैं। मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में आयोजित होने वाला महाकुंभ-2025 पूरे विश्व को शांति का संदेश देने वाला होगा। पूरा संत समाज इसमें अपना योगदान करने को आतुर है। अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने संत समाज की सुरक्षा के अच्छे प्रबंध की भी अपेक्षा जताई।