लखनऊ (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश में अब पराली/गन्ने की अवशेष जलाने आदि से अब प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी। आगामी सी०बी०जी० प्लांट से एक संपीड़ित बायोगैस (एडवांस बायोफ्यूल) प्लांट शुरूवात कर रहे हैं, जिसमें सी०एन०जी० बनाने के लिए गाय के गोबर और पराली व वेस्ट प्लास्टिक उपयोग किया जाएगा। यह अभिनव व अविरल प्रयास स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने एवं अपशिष्ट को कम करने की सरकार की मंशा का समर्थन करता है। यह जानकारी कनिष्क आनन्द संस्थापक
एम०डी० ने दी। उन्नत जैव ईंधन से उत्तर प्रदेश में हमारी अग्रणी उन्नत जैव ईंधन परियोजना एक गेम चेंजर एवं मील का पत्थर साबित होगी। पराली और प्लास्टिक मिश्रण को मिलाकर, हम एक स्थायी ईंधन स्रोत बना रहे हैं, जिससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकें।
आनन्द ने बताया स्वीकृत बायो इथेनॉल प्लांट रूजो ग्रीन एनर्जी के बायो इथेनॉल प्लांट को UPNEDA से मंजूरी मिल गई है, जो अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। राज्य और केंद्र सरकारों के बीच यह सहयोग सतत विकास को बढ़ावा देने के सामूहिक प्रयास को रेखांकित करता है। मा० मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे है, इसी दिशा में रूजो ग्रीन एनर्जी स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने व मुख्यमंत्री योगी की मंशा को धरातल पर उतारने का सार्थक प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार की नीतियों और प्रोत्साहनों ने भी रूजो ग्रीन एनर्जी जैसी कंपनियों को अक्षय ऊर्जा में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी मुख्य विशेषताएं सतत् ऊर्जा उत्पादन हमारा सीबीजी संयंत्र और उन्नत जैव ईंधन परियोजना, स्वच्छ पर्यावरण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में योगदान देता है।
गोबर, वेस्ट प्लास्टिक एवं पराली, अपशिष्ट का प्रयोग कर डीजल व सी०एन०जी० में बदलाव से कृषि स्थिरता को बढ़ावा देगा। ये पहल भारत के अक्षय ऊर्जा परिदृश्य में प्राकृतिक स्रोतों का इस्तेमाल कर एक हरित क्रान्ति साबित होगा।
कनिष्क आनन्द एम०डी० रूजो ग्रीन एनर्जी ने बताया कि ब्रेक-थू नैनो-कैटेलिस्ट तकनीक के साथ अक्षय ऊर्जा में क्रांति लायेंगा। आई०आई०टी०, बी०एच०यू० व रूजो ग्रीन एनर्जी संयुक्तरूप से भारत के ऊर्जा परिदृश्य को बदलने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा। 'रूजो ग्रीन एनर्जी ने सतत् भविष्य के लिए अभिनव समाधान पेश किया है। उन्होंने बताया कि प्रौद्योगिकी विकास के लिए आई०आई०टी०, बी०एच०यू० के साथ ही 12 आविष्कार और पेटेंट दायर किए गये है साथ ही बढ़ी हुई ऊर्जा सुरक्षा के लिए आगामी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण किया जा चुका है। भारत को अक्षय ऊर्जा में वैश्विक स्तम्भ बनाने का विजन अब साकार होता दिख रहा है। संचालन निदेशक अक्षिता आनंद ने बताया कि आई०आई०टी०, बी०एच०यू० के साथ हमारे सहयोग से उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं, जिसके परिणाम स्वरूप आगामी 13 माह में संपीड़ित बायोगैस (एडवांस बायोफ्यूल) प्लांट क्रियाशील होकर धरातल पर दिखने लगेगा।
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