लीमा (मानवी मीडिया)पेरू के लीमा में भारतीय दूतावास ने असमिया, बंगाली, मराठी, पाली और प्राकृत को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिए जाने का जश्न मनाया।
हाल ही में भारत सरकार की ओर से पांच नई भाषाओं को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया गया है, जिसके बाद देश में शास्त्रीय भाषाओं की कुल संख्या 11 हो गई है। इन नई भाषाओं को सम्मान एवं प्रोत्साहन दिए जाने पर विभिन्न जगहों पर विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास की ओर से भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस कड़ी में लीमा में आयोजित उत्सव जीवंत हो उठा, जिसमें स्थानीय भारतीय समुदाय के सदस्यों ने बड़े उत्साह के साथ हिस्सा लिया। कार्यक्रम में पेरू के गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए, जिन्होंने भारतीय मूल के लोगों द्वारा प्रस्तुत की गई विभिन्न रोचक गतिविधियों का लुत्फ उठाया। इस कार्यक्रम में इन भाषाओं के ऐतिहासिक महत्व और स्थायी सांस्कृतिक प्रभाव को प्रदर्शित करने के लिए विविध गतिविधियां शामिल थीं।
कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय राजदूत विश्वास सपकाल के संबोधन के साथ हुई, जिसमें उन्होंने सरकार के निर्णय के महत्व को रेखांकित किया और बताया कि कैसे यह अकादमिक शोध निधि और सरकारी सहायता के अन्य रूपों के माध्यम से इन भाषाओं को और बढ़ावा देगा। राजदूत ने हमारी विविधता को पोषित करने की प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने में भारत सरकार द्वारा किए जा रहे ठोस प्रयासों पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर प्रवासी बंगाली और मराठी भाषी लोगों ने अपनी-अपनी भाषाओं के समृद्ध इतिहास, स्वतंत्रता आंदोलन में उनके प्रेरणादायक योगदान, उनके प्रसिद्ध लेखकों और उनके पुरस्कार विजेता साहित्यिक कार्यों के बारे में जानकारी साझा की। इस कार्यक्रम में असम, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के पारंपरिक नृत्य भी पेश किए गए। आयोजन में 100 से अधिक आमंत्रित लोग शामिल हुए, जिनमें भारतीय समुदाय के सदस्यों के अलावा पेरू के लोग शामिल थे, जिन्हें भारत की भाषाओं, संगीत, जीवंत संस्कृति और विविधता ने काफी प्रभावित किया।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)