लखनऊ : (मानवी मीडिया) माननीय उपराष्ट्रपति भारत सरकार जगदीप धनखड़ जी की गरिमामयी उपस्थिति तथा प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल जी की अध्यक्षता में आज राजा महेन्द्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, अलीगढ़ का प्रथम दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। दीक्षांत समारोह में माननीय उपराष्ट्रपति जी एवं राज्यपाल जी द्वारा 41 मेधावियों को 45 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।
समारोह में मास्टर आफ आर्ट्स, मास्टर ऑफ साइंस, बीएससी, बीसीए, एलएलबी, एलएलएम, बीकॉम, बीपीईस, बीपीएड पाठ्यक्रम में सर्वाधिक सीजीपीए अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। पदक पाने वालों में 22 छात्राएं और 19 छात्र सम्मिलित हैं। उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी द्वारा कई बड़े बदलाव किए गए हैं।
मैंने देखा है कि नाम, प्रमाण पत्र और मार्कशीट सभी इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपलोड किए गए हैं। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल सद्गुण और प्रतिबद्धता के उदाहरण के साथ कुलाधिपति की भूमिका को परिभाषित कर रही हैं। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल का यहां दो बार आगमन हो चुका है। प्रदेश भाग्यशाली है कि उसे ऐसी शिक्षाविद एवं विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र के लिए प्रेरक राज्यपाल मिली हैं।
माननीय उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि हम सभी को पर्यावरण के प्रति सजग रहना होगा। अपने जीवन में ’’एक पेड़ माँ के नाम’’ अवश्य लगाएं। इस दीक्षांत समारोह में उपस्थित होना एक सम्मान की बात है। इस राज्य विश्वविद्यालय का नाम देशभक्त, राष्ट्रीय नायक और स्वतंत्रता सेनानी राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर रखा गया है। बहुत ही आकर्षक पहलू यह है कि ब्रज भूमि में रहना हमेशा आध्यात्मिक रूप से फायदेमंद होता है। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने सभी स्नातक, पदक विजेताओं, उनके गौरवान्वित माता-पिता को अपनी तरफ से बधाइयां देने के साथ ही संकाय के सदस्यों को भी शुभकामनाएं दीं।
छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आपकी उच्च शैक्षणिक योग्यताएं देश के लिए संपत्ति हैं। आप जिस भी क्षेत्र में कार्य करते हैं उन क्षेत्रों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। आप भारत के विकासशील गाथा का अहम हिस्सा साबित होंगे। आगामी 25 वर्ष अपार संभावनाओं से भरे हैं, जिनका आप लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा अच्छी तरह से निश्चित है और वह 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाते हुए भारत का विकास करने की है।
युवाओं की उच्च और सकारात्मक सोच इस यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण हितधारक है। आप ही इस विकसित यात्रा को ऊर्जा देते हुए सभी को गौरवान्वित भी करेंगे। उन्होंने युवाओं को भविष्य का लीडर बताते हुए सकारात्मक परिवर्तन का निर्माता बताया और कहा कि वह आर्थिक तकनीक और सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने युवाओं से कहा कि आपको वह परिवर्तन बनना होगा जिस पर आप विश्वास करते हैं। किसी भी परिवर्तन के बहकावे में ना आकर अपनी योग्यता और दृष्टिकोण के अनुसार आप जो परिवर्तन चाहते हैं उसे लाएं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान शासन व्यवस्था का प्रमाण है कि यह विश्वविद्यालय इतने कम समय में अच्छी तरह से उभर कर सामने आया है। जिसका शिलान्यास मात्र 3 वर्ष पहले हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्री जी द्वारा किया गया था। उत्तर प्रदेश की अनुकरणीय कानून व्यवस्था, राजमार्ग और बुनियादी ढांचे के साथ ही यह उपलब्धि इसकी उत्तरोत्तर प्रगति और उत्थान के लिए शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में नालंदा, तक्षशिला के साथ ज्ञान और शिक्षा के कई अन्य वैश्विक प्रकाश स्तंभों की कल्पना करें तो इस विश्वविद्यालय की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम है। उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह को स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में अहम स्थान मिलना चाहिए था।
उन्होंने 1915 में काबुल में भारत की पहली अस्थाई सरकार की स्थापना की, जो ब्रिटिश शासन के 1935 के भारत सरकार अधिनियम की कल्पना करने से भी दो दशक पहले की बात है। उनके जैसे नायकों के बलिदान के कारण ही आज हम एक स्वतंत्र वातावरण में फल-फूल रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से ऐसे महान नायकों की इन प्रेरक कहानियों को हमारी पाठ्य पुस्तकों में अब तक कोई उल्लेख नहीं मिलता है। यह स्वतंत्रता के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की एक दर्दनाक कहानी को बयां करता है।
कुलाधिपति एवं राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह में मेधावियों की संख्या को देखते हुए स्पष्ट है कि यहां भी छात्राओं ने ही बाजी मारी है। अलीगढ़ ताला उद्योग के साथ ही अब शैक्षिक उन्नयन का भी केंद्र बन रहा है। उन्होंने स्व0 शीला गौतम जी को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि उनकी मुहिम ’’एक पेड़ मॉँ के नाम’’ से एक कदम आगे बढ़कर यहां तो पूरा ऑडिटोरियम एवं पुस्तकालय भवन ही मॉँ की स्मृति में तैयार किया गया है। जब भी विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं यहाँ अध्ययन करेंगे तो उनको अवश्य ही याद करेंगे। स्व0 शीला गौतम जी के परिवार द्वारा यह अपनी माँ को सच्ची श्रद्धांजलि और छात्र-छात्राओं को अप्रतिम भेंट है। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के जीवन में ऐसा अवसर है जब उन्हें तय करना होता है कि अब उनकी आगामी भूमिका क्या है, उन्हें समाज और देश के लिए क्या करना है। उन्होंने कहा कि भारत पुरातन काल से ही विश्व में शिक्षा का केंद्र रहा है। यहाँ के नालंदा, विक्रमशिक्षा एवं कांचीपुरा विश्वविद्यालय में हजारों-लाखों की संख्या में देश-विदेश के विद्यार्थी ज्ञानार्जन करते थे। अभी हाल में प्रधानमंत्री जी द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण कराकर उसे संचालित कराया गया है। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में होने वाली तमिल संगम बैठक भी दीक्षांत समारोह का ही उदाहरण है, ये हमारी वैदिक परम्परा का हिस्सा है।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा मौसम की सटीक जानकारी के लिए पुणे, कोलकाता एवं दिल्ली में तीन नए सुपर कम्प्यूटिंग सेंटर आरम्भ किए गए हैं, चौथा सेंटर बैंगलोर में जल्द आरम्भ होेने वाला है। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि प्रधानमंत्री जी द्वारा छात्रहित में संचालित की जा रही विभिन्न योजनाओं को उन तक पहुँचाएं और उनको लाभ दिलाना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही समारोह में राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए पांच ग्राम- नादा वाजिदपुर, करसुआ, लोधा, हरदासपुर एवं ल्होसरा के प्राथमिक विद्यालयों के भाषण, लेखन व पोस्टर प्रतियोगिता के विजेता बच्चों को पुरस्कृत एवं सम्मानित करने के साथ ही उनकी शिक्षिकाओं को पाठ्य पुस्तकों का एक-एक सैट प्रदान किया। इसके साथ ही 200 आंगनबाड़ी केंद्रों केे लिए खेलकूद किट भी प्रदान की गई। माननीय उपराष्ट्रपति जी एवं राज्यपाल जी द्वारा जिलाधिकारी एटा प्रेमरंजन को ’’मेरा राजभवन’’ नामक पुस्तक एवं मेडिकल किट भेंट स्वरूप प्रदान की गई। कार्यक्रम में राज्यपाल जी एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 चन्द्रशेखर ने विश्वविद्यालय की स्मारिका का भी विमोचन भी किया गया।