उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया) रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तर्ज पर अब दीपोत्सव के आमंत्रण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि उन्हें दीपोत्सव में नहीं बुलाया गया। यह भाजपा की सोच और उनकी विचारधारा है। अब त्योहारों का भी राजनीतिकरण किया जा रहा है। लोग कह रहे हैं कि मुझे इसलिए नहीं बुलाया कि मीडिया में फिर सिर्फ मेरी चर्चा होती। आयोजक की अनदेखी हो जाती।
त्योहारों के राजनीतिकरण से देश की एकता और अखंडता को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। हमारी गंगा जमुनी संस्कृति के विपरीत भाजपा काम कर रही है। भाजपा के दीपोत्सव में सिर्फ वही लोग गए जिनको कार्ड दिया गया था। इस कार्यक्रम में किसानों और गरीबों के लिए कोई जगह नहीं थी। दूसरी तरफ महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने सपा सांसद पर पलटवार करते हुए कहा कि वह झूठ बोल रहे हैं। उन्हें आमंत्रण पत्र भी भेजा गया था और यहां का जनप्रतिनिधि होने के चलते दीपोत्सव में उनके लिए कुर्सी भी आरक्षित थी। फिर भी वे अपनी तुष्टिकरण की मानसिकता के चलते नहीं आए।
महापौर ने कहा कि दीपोत्सव के आध्यात्मिक वैभव को पूरी दुनिया ने देखा। यहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधि का दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार निंदनीय है। अयोध्या का प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें अपना दायित्व निभाना चाहिए था। यहां के विकास में सहभागी बनना चाहिए। वह सपा की उस छोटी मानसिकता से नहीं उबर पा रहे हैं, जिसके तहत अयोध्या में कारसेवकों के खून की नदियां बहाई गई थीं। जिस मानसिकता के तहत अयोध्या को विकास से वर्षों तक वंचित रखा गया।
चार से छह घंटे बिजली मिलती थी। सड़कें जर्जर हालत में तब्दील थीं। उनकी पार्टी के शासन में विकास यहां से पलायन कर गया था। इसी मानसिकता से वे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। भगवान उन्हें सद्बुद्धि दें और वह अपने दायित्व के साथ न्याय करें। दीपोत्सव में ना आकर इस आयोजन को समाजवादी पार्टी और भाजपा के खांचे में बांटकर देखना सांसद की घृणित मानसिकता का परिचायक है।