उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया) 70 से 72 हजार स्थायी कर्मचारी और करीब एक लाख से अधिक आउटसोर्सिंग कर्मचारी नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में कार्यरत हैं, लेकिन इनकी सुनवाई नहीं हो रही है। स्थाई कर्मचारियों को जो आर्थिक लाभ साल 2016 में मिलना चाहिए था, वह लाभ 2024 के बाद भी नहीं मिल रहा है, विभाग में कई संवर्गों को 6वेतन आयोग के सिफरिशों का लाभ भी नहीं मिल रहा है। जबकि स्थाई कर्मचारियों में से हर महीने 20 से 25 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जा रहे हैं। ऐसे में कर्मचारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, कर्मचारियों को सेवाकाल के दौरान मिलने वाला लाभ भी नहीं दिया जा रहा है। वहीं आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की हालत तो बहुत ही खराब है। अब दो दिन का समय प्रदेश सरकार के पास है,
यदि कर्मचारियों की सुनवाई नहीं होती है तो काम पूरी तरह से बंद कर दिया जायेगा। यह जानकारी उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र ने दी है। उन्होंने कहा कि 25 अक्टूबर तक यदि निकाय कर्मचारियों की मांगों की सुनवाई नहीं होती है तो 26 अक्टूबर से आंदोलन तय है। उन्होंने बताया है कि कर्मचारियों की कई मांगें हैं। जिनमें उनके मौलिक अधिकार, सेवा संबंधी समस्या,अकेन्द्रियत सेवा नियमावली, दैनिक वेतन, संविदा, तदर्थ कर्मचारियों का विनियमितीकरण, लिपिक, राजस्व, सफाई, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदोन्नति, कैशलेस इलाज व्यवस्था, आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, पद के अनुरूप वेतन, भत्ते, बीमा, खाली पड़े पदो पर नियमित नियुक्ति आदि मांगें शामिल हैं। इन मांगों को लेकर महासंघ ने कई आंदोलन किये, सरकार को पत्राचार के जरिये भी कर्मचारियों की समस्याओं से अवगत कराया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। इसी माह तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री एके शर्मा से मुलाकात हुई थी। उन्होंने 25 अक्टूबर तक बैठक कर समाधान निकालने की बात कही थी।