अवैध रूप से नियुक्त बड़का बाबू ने फिर बुलाई 8 तारीख को बेइज्जती की कार्यशाला - मानवी मीडिया

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Monday, October 7, 2024

अवैध रूप से नियुक्त बड़का बाबू ने फिर बुलाई 8 तारीख को बेइज्जती की कार्यशाला

 

लखनऊ (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में अवैध रूप से विराजमान बड़का बाबू ने 8 अक्टूबर को फिर से बुलाया है पूरे प्रदेश के अधीक्षण अभियंताओं और मुख्य अभियंताओं को लखनऊ जहां फिर शुरू होगा सार्वजनिक रूप से बेइज्जती करने का सिलसिला... एक-एक अधिकारी को मंच पर बुलाया जाएगा और उसके बाद उसके ही समकक्ष  या अधीनस्थ के सामने उसको इस तरीके से बेइज्जत किया जाएगा कि जैसे वह कोई अधिकारी ना हो करके इन अवैध रूप से नियुक्त बड़का बाबू के जर खरीद गुलाम हो।  फिर दूसरे दिन सारे निदेशको को शक्ति भवन में बुलाया जाएगा और उनकी भी बेइज्जती की जाएगी। वैसे महीने के 30 के 30 दिन बड़का बाबू की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग चलती रहती है लेकिन सुधार तब भी नहीं हो रहा है बस अधिकारियों को निलंबित किया जाता है उसके बाद उनकी जगह अपने पसंदीदा अधिकारी को वहां बैठा दिया जाता है जैसे की पावर परचेज (ppa) जो कि एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य होता है। मांग के अनुरूप राज्य विद्युत उत्पादन निगम विद्युत की पैदावार नही कर पाता है जिसकी वजह से विभाग निजी कंपनियों से ऊर्जा की ख़रीदारी करता  है। उसके बाद वितरण निगम इसको प्रदेश की जनता उद्योगपतियों, किसानो आदि को उपयोग के लिए दिया जाता है, इसमें बहुत बड़ा खेल होता है, हजारों करोड़ों का लेन-देन होता है क्योंकि यह काम यांत्रिकी होता है और इसका जो मुख्य अभियंता होगा वह भी यांत्रिकी से ही होगा परंतु मजे की बात तो यह है यहां पर मुख्य अभियंता साहब तो सिविल /जानपद से संबंध रखते हैं  लेकिन जनाब लम्बे  समय से करते हैं पावर परचेज यानी ऊर्जा की खरीद। जिसको बिल्डिंग बनानी है, पावर हाउस बनाने हैं वह पावर परचेज करने लगा यानि ऊर्जा खरीद रहे हैं । 

इसी तरीके से विभिन्न विभिन्न जोनों में मुख्य अभियंताओं की जगह अधीक्षण अभियंताओं को बैठा दिया गया है जिसकी पूरी की पूरी एक सूची है वैसे सभी डिस्काम कंपनियों के सिविल के मुख्य अभियंताओं की जो कुर्सियां खाली है लेकिन सभी मुख्य अभियंता जानपद  पावर कॉरपोरेशन में मलाईदार पदो पर तैनात है और वहां पर यानि डिस्काम में बड़का बाबू के प्रिय अधीक्षण अभियंता मलाई काटने में व्यस्त है। चर्चा तो यहां तक है कि उस मलाई का हिस्सा शक्ति भवन में बैठे बड़का बाबूओ के पास भी आता है, तभी तो पश्चिमांचल में 120 निविदाओं को आज तक निरस्त नहीं किया गया है जबकि इस मामले में अधीक्षण अभियंता (सिविल) वेद प्रकाश कौशल को निलंबित किया जा चुका है परंतु निविदाओं को निरस्त अभी तक नहीं किया गया क्योंकि चांदी का जूता तो सब ने मिल बांट कर खाया है  इसलिए पश्चिमान्चल में ना तो कोई अधीक्षण अभियंता है ना मुख्य अभियंता है बस ले दे कर एक अधिशासी अभियंता है जो सारा काम देख रहा है वैसे जो पूर्व में अधीक्षण अभियंता (सिविल) मुनीन्द्र कुमार अतिरिक्त कार्यभार मुख्य अभियंता पद का देख रहे थे उनको तो साजिश करके निलंबित कर दिया गया क्योंकि 41 करोड़ रुपए का बड़ा खेल जो खेलना था इसी तरह ए के सेठ जो मुख्य अभियंता जनपद हैं और बड़का बाबू के खासम खास है जब को उत्पादन निगम के निदेशक कार्मिक प्रशासन का कार्यभार दिया गया इनके तो कहने हीं क्या ! 

 विभागीय चर्चा है कि उनकी पत्नी कई बैंकों की इंश्योरेंस एजेंट है और यह जनाब  अभियंताओं पर दबाव डालते हैं की पॉलिसी को वरना मैं तुम्हें यह कर दूंगा वह कर दूंगा । 

एक साहब है नरेंद्र पांडे यह भी अध्यक्ष महोदय को बहुत करीब है इनके पास शक्ति भवन के अधिशासी अभियंता का कार्यभार जुलाई 2013 से जब कि है यह अधीक्षण अभियंता वर्तमान में इनकी तैनाती अधीक्षण अभियंता पारेषण निगम लखनऊ व गोरखपुर के अधीक्षण अभियंता का अतिरिक्त कार्यभार भी है 

ई बी के ओझा यह भी मुख्य अभियंता जनपद है इनके लिए तो एक नई पद का सजन करके इनको उसे पर तैनाती दी गई है ।  एच के यादव मुख्य अभियंता जनपद को महत्वपूर्ण कार्य सी एम यू डी की जिम्मेदारी सौंपी गई है, 

अधीक्षण अभियंता किशोर कुमार जो 11 साल में ही अधिशासी अभियंता से अधीक्षण अभियंता हुआ उनके पास मुख्य अभियंता दक्षिणांचल की जिम्मेदारी है , पश्चिमांचल के अवधेश कुमार जो मात्र अधिशासी अभियंता है और 2017 बैच के अधिकारी हैं इनके पास तो अधीक्षण अभियंता और मुख्य अभियंता का कार्यभार है, मुकुल सोनकर निर्देशक का कार्य प्रशासन पारेषण निगम, नीरज स्वरूप इन्होंने जिंदगी भर पारेषण निगम में कार्य किया है अब इनको निदेशक तकनीकी बनाकर मध्यांचल में बैठा दिया गया है, आर पी सिंह को पावर कारपोरेशन में सम्बन्ध कर दिया, इसी तरह यदुनाथ राम जो पूर्व में रायबरेली में तैनात थे उनको मध्यांचल के लखनऊ सर्किल नवम से उठाकर मेरठ में स्थानांतरण किया गया और मुख्य अभियंता मेरठ का अतिरिक्त कार्यभार भी दे दिया गया इसी तरह से कानपुर देहात के मुख्य अभियंता के साथ भी हुआ वहां पर जो अधीक्षण अभियंता बैठे हुए हैं जिन्होंने मुख्य अभियंता का कार्यभार देख रहे हैं इसी तरीके से आधा दर्जन से ज्यादा निदेशक वह एक दर्जन से ज्यादा मुख्य अभियंता का कार्य अधीक्षण अभियंताओं को सौंप दिया गया है ।

वैसे आजकल बिजनेस प्लान में शत् प्रतिशत काम न हो पाने ओर ई आर पी (ERP)  पर एम बी (mb ) न हो पाने की आड़ में अभियंताओं के वेतन  रोक कर प्रताडित किया जा रहा हैं यानी कार्यदायी संस्था काम न करें तो सारा का सारा दारोमदार अधीक्षण अभियंता  को ठहरा दिया जाता है। लेकिन इसके विपरित चाँदी के जूते मारने वाले चाटुकारों को शासनादेश और नियमावली को ताक पर रख कर पदोन्नति कर दिया जाता है, जिसका ताजातरीन उदाहरण 41 करोड़ के टेंडर में ढाई करोड़ कमीशन लेने के आरोप मे निलम्बित भ्रष्टाचारी अधीक्षण अभियंता वेद प्रकाश कौशल है, जिसको दो बार पदोन्नति में शिथिलता प्रदान की गई के पदोन्नति को निरस्त करने के अपीलों को इसलिए ठुकरा दिया जाता है क्योंकि इसमें सबसे बड़े बड़का बाबू की गर्दन फँसी है। वैसे यह कोई नई बात नहीं है कि अवैध रूप से नियुक्त बड़का बाबू किसी मामले में फंसे हो इसके पूर्व भी जैसे 2600 करोड़ के सीपीएफ घोटाले में सीबीआई को बड़का बाबुओं से पूछताछ करने की अनुमति शासन ने इस तर्क के साथ खारिज कर दी कि फोरेंसिक जाँच में इनके हस्ताक्षर फर्जी गये, जाहिर है बड़का बाबू जब सीबीआई के शिकंजे में नही आ रहे हैं तो भ्रष्टाचार कैसे रुकेगा ? 

पूरे विभाग को सुनियोजित तरह से लूटा जा रहा है। इसी तरह पूर्व में यूपीपीसीएल में निदेशकों की चयन प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप एक मंत्री पर भी लगा चुका है, लेकिन इस बार शुरू हो रहे प्रक्रिया में मंत्री जी ने दूरी बना रखी  है। निदेशको के पद का विज्ञापन निकले 2 माह हो चुके है, इस बीच खाली पड़े निदेशकों के पदों का चार्ज मुख्य अभियंताओ को नियम विरुद्ध तरीके से दे दिया गया है जिससे कि एक नई परंपरा शुरू की जा सके कि यह बड़का बाबू अपने प्रिय मुख्य अभियंताओं को निदेशकों के पद पर नियम विरोध तरीके से बैठा सके  जैसे कि वह खुद अवैध रूप से विराजमान होकर इस सोने की चिड़िया को नोच कर खा रहे हैं इस तरीके से अपने प्रिय को भी लूट की छूट देने के लिए गलत तरीके से सरकार को वा उच्च अधिकारियों को गुमराह करके अपने प्रिय अभियंताओं को निदेशक बनाया जा रहा है।

 अब रही बात मेमोरेंडम आर्टिकल की तो उसे बहुत पहले ही इन बड़का बाबूओ ने खूंटी पर टांग दिया है क्योंकि अगर मेमोरेंडम आर्टिकल के हिसाब से इस कंपनियों को चलाया जाता तो यह एक लाख करोड़ के घाटे में ना पहुंचती । बड़का बाबूओ ने  इस तरीके से विभागीय यूनियनों को रौंदा है कि वह उठ खड़े होने या  विरोध करने की स्थिति में नहीं है और उनके पदाधिकारियों को निलंबित कर के बची खुची हिम्मत भी तोड़ दी है तो विरोध कौन करें

 अब उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन और उसकी सहयोगी कंपनियों में अवैध रूप से तैनात इन बड़का बाबू  रूपी बिल्ली के गले में घंटी बांधेगा कौन ???????       खैर

   अविजित आनन्द 

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