लखनऊ:(मानवी मीडिया) राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में आज नवरात्रि के अवसर पर प्रेरणा संस्था के सौजन्य से 5100 से अधिक कन्याओं का पूजन कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।राज्यपाल ने कार्यक्रम के आयोजन पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि राजभवन का प्रांगण कन्याओं की उपस्थिति से पवित्र हो गया है। उन्होंने कन्याओं को मां दुर्गा, मां अंबा एवं सर्वशक्तिमान बताते हुए कहा कि भारत को विकसित बनाने और आजादी के 100 साल पूर्ण होने पर जश्न मनाने की जिम्मेदारी आज की पीढ़ी पर है। ये बच्चे ही हमारे आने वाले कल के निर्माता हैं। इसलिए हमें उनकी शिक्षा, लालन-पालन और स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इतने भव्य कन्या पूजन के लिए इतनी संख्या में कन्याओं का एकत्रित होना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में कन्याओं के महत्व को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट के कारण गरीब परिवार के बच्चों की परवरिश और शिक्षा प्रभावित हो जाती है। समाज का यह कर्तव्य है कि ऐसे बच्चों हेतु शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधा दायित्वपूर्वक उपलब्ध कराए। राज्यपाल ने राजभवन को सभी के लिए खुला बताते हुए कहा कि राजभवन को शैक्षणिक भवन बनाने का प्रयास किया गया है तथा पर्यावरण की दृष्टि से भी राजभवन को उत्कृष्ट बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कई स्कूलों के हजारों बच्चे राजभवन का भ्रमण कर चुके हैं और यह अनुभव उनके लिए एक अद्वितीय याद बनता है। उन्होंने सभी को अच्छा पढ़ने, अच्छा कार्य करने के लिए कहा तथा शिक्षकों को बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने हेतु कहा। उन्होंने कहा कि एक भी बच्चा शिक्षा से वंचित न हो। उन्होंने कहा कि समाज की अन्य संस्थाएं भी इस प्रकार के कार्यक्रमों से प्रेरणा लें एवं बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण एवं शिक्षा पर ध्यान दें। इस अवसर पर राज्यपाल जी ने देवी मां की पूजा-अर्चना एवं आरती की तथा कन्याओं का विधिवत पूजन कर उन्हें भोज भी कराया। कार्यक्रम के दौरान प्रेरणा संस्था की तरफ से 50 कन्याओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाव हेतु टीकाकरण कराने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम में 108 कन्याओं ने देवी मां के गीतों पर भक्तिमय प्रस्तुति भी दी। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अवध प्रान्त प्रचारक श्री कौशल जी ने कहा कि परिवारों में संस्कार महत्वपूर्ण होते हैं। भारतीय संस्कृति में वृद्धाश्रम की परम्परा नहीं थी किंतु समाज में संस्कारों की कमी होने के कारण वृद्धाश्रम की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। इस प्रकार के कार्यक्रम के माध्यम से संस्कार प्रदान करने का कार्य किया जाता है।