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Wednesday, September 18, 2024

SGPGI प्रोफेसर से 2 करोड ठगी करने वाले 5 अभियुक्त को UPSTF ने किया गिरफ्तार



लखनऊ (मानवी मीडिया)एस०जी०पी०जी०आई० की एसोसिएट प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट करके लगभग 02 करोड़ रूपये की ठगी करने वाले गैंग के 05 सदस्य जनपद लखनऊ से गिरफ्तार।

दिनांकः 18-09-2024 को एस०टी०एफ०, उत्तर प्रदेश को एस०जी०पी०जी०आई० की एसोसिएट प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट करके लगभग 02 करोड़ रूपये की ठगी करने वाले गैंग के 05 सदस्यों को जनपद लखनऊ से गिरफ्तार करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई।

गिरफ्तार अभियुक्तों का विवरणः-

1- ऋषिकेश कुमार उर्फ मयंक पुत्र मोहन प्रसाद निवासी वार्ड नं0 8, श्रीखण्डी भिट्टा पूर्वी, थाना सुरसंड, जिला सीतामढी बिहार।

2- गोपाल कुमार उर्फ रोशन उर्फ राहुल पुत्र स्व० विजय कुमार वर्मा निवासी स्टेशन रोड, थाना बाढ़ पटना बिहार।

3- गणेश कुमार पुत्र राजेन्द्र महतो निवासी ग्राम व पो० मुख्तियारपुर, थाना दलसिंह सराय, समस्तीपुर बिहार हाल पता परसा बाजार, पटना। मणिकान्त पाण्डेय उर्फ मिश्रा जी पुत्र मृत्युजंय पाण्डेय निवासी ग्राम नारायना पोस्ट नारायना 4-

थाना सकलडीहा, जिल चन्दौली।

5- राजेश गुप्ता पुत्र स्व० राजकुमार गुप्ता निवासी एस-14/38 बरईपुर, थाना सारनाथ, जनपद वाराणसी।

बरामदगी-1

2- 2,42,100/- रू0 नगद।15 अदद चेक बुक

3 18 अदद ए०टी०एम

4- 08 अदद यू०पी०आई स्कैनर

5 07 अदद मोबाइल फोन

6. 02 अदद लैपटाप

एस०टी०एफ०, उत्तर प्रदेश को विगत काफी समय से सोशल मीडिया के माध्यम से कॉल करके स्वयं को पुलिस / ई०डी०/सी०बी०आई० आदि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताकर लोगो को डरा-धमकाकर ठगी करने वाले संगठित गिरोहों के सक्रिय होने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थी। इस सम्बन्ध में एसटीएफ उ०प्र० की विभिन्न टीमों/ इकाईयों को आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया था। जिसके क्रम में  दीपक कुमार सिंह, पुलिस उपाधीक्षक, एस०टी०एफ०, उ०प्र० के निर्देशन में टीम गठित द्वारा अभिसूचना संकलन की कार्यवाही प्रारम्भ की गयी तथा अभिसूचना तन्त्र को सक्रिय किया गया।

विगत दिनों एस०पी० जी०आई० लखनऊ की एसोसिएट प्रोफेसर के मोबाइल पर किसी अज्ञात नम्बर से काल आया। जिस पर उनके द्वारा काल रिसीव करने पर कालर द्वारा स्वंय को सी०बी०आई० मुम्बई का पुलिस अधिकारी बताकर कहा गया कि मनी लाड्रिंग का केस हुआ जिसमें आपके खाते का इस्तेमाल किया गया है। इसी तरह बात करके उनको प्रभाव मे लेते हुए बैंक व उनकी सारी डिटेल प्राप्त कर लिया गया। जिसके उपरान्त लगभग 05 दिन से अधिक समय तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया एवं उनके खाते से लगभग 02 करोड़ से अधिक का पैसा विभिन्न खातो में ट्रान्सफर कर लिया गया। जब इनको इस बात का एहसास हुआ कि मेरे साथ ठगी की घटना हो गयी है तब इनके द्वारा थाना साइबर क्राइम, लखनऊ में मु0अ0सं0 132/2024 धारा 319(2), 318(2), 338, 336, 340, 61 (1) अ बी०एन०एस० व 66डी आई०एक्ट० का अभियोग पंजीकृत कराया गया। अभिसूचना संकलन के क्रम में तकनीकी विशेषज्ञता एवं मुखबिर के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई कि स्वयं को पुलिस अधिकारी / सी०बी०आई० अधिकारी बनकर ठगी करने वाले गिरोह के कुछ सदस्य लखनऊ आ रहे हैं, अगर जल्दी की जाय तो पकड़े जा सकते हैं इस सूचना पर उ०नि०  तेजबहादुर सिहं के नेतृत्व में गठित टीम द्वारा मुखबिर के द्वारा बताये गये स्थान वेव मॉल के निकट स्थित पेट्रोल पम्प के पीछे से 05 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया गया। जिनके पास से उपरोक्त बरामदगी हुई।

गिरफ्तार अभियुक्तों ने पछूताछ में बताया कि हम लोग एक साथ मिलकर साइबर फ्राड का काम करते हैं। हम लोगों ने मिलकर PGI, लखनऊ की डाक्टर रूचिका टण्डन को डिजिटल अरेस्ट करके फ्राड किया था। इस फ्राड के माध्यम से हम लोगों को काफी रूपये मिले थे। इन रूपयों को हम लोग अलग अलग खातों में तुरन्त ट्रांसफर करके उनसे अलग अलग लडको द्वारा Binance app के माध्यम से USDT खरीद कर उसे वापस मंगा लिये थे। इसी तरह से हम लोग फ्राड के रूपयों को USDT में बदलकर उसे कभी भी कैश करवा लेते हैं और हमारा नाम भी कहीं नहीं आता है। फ्राड करते समय अलग अलग व्यक्तियों से बात करने का काम रिषिकेश उर्फ मयंक, गोपाल उर्फ रोशन उर्फ राहुल और गणेश करते हैं। मणिकांत पाण्डेय उर्फ मिश्रा जी और राजेश गुप्ता इस काम के लिए अलग अलग लोगों से Current Account, Corporate Account की चेक बुक इंटरनेट बैंकिग की आई०डी० पासवर्ड बैंक खाते पर रजिस्टर्ड सिम की व्यवस्था करते हैं। जिससे कि उन खातों में अधिक से अधिक रूपये ट्रांसफर किये जा सके। इस गैंग द्वारा ही एस०जी०पी०जी० की एक डॉक्टर के मोबाईल नम्बरों पर काल करके खुद को पुलिस / सीबीआई अधिकारी बताकर उन्हे डराते-धमकाते हुए उनकी व्यक्तिगत जानकारी लेकर उनके खाते से रूपये ट्रांसफर कराकर हमारे गैंग के सदस्यों द्वारा उपलब्ध कराये गये अलग-अलग लोगों के खातों में रूपये ट्रांसफर कर दिया गया था। जिन लोगों को डिजिटल अरेस्ट करना होता है उनका डेटा इनको टेलीग्राम एप पर स्कैमरों व हैकरों द्वारा बनाए गये विभिन्न एकाउण्टों व चैनलों के माध्यम से प्राप्त होता है।

अभियुक्तों द्वारा बताये गये बैंक खाते, वालेट आदि की जानकारी व गिरोह के अन्य सदस्यो की गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे हैं। अभियुक्तों से बरामद इलेक्ट्रानिक उपकरणों का फारेसिंक परीक्षण कराया जायेगा।

उपरावेत गिरफ्तार अभियुक्तों को थाना साइबर क्राइम, लखनऊ में पंजीकृत मु०अ०सं० 132/2024 धारा 319(2), 318(2), 338, 336, 340, 61 (1) अ बी०एन०एस० व 66 डी आई०एक्ट० में दाखिल किया जा रहा है। अग्रिम विधिक कार्यवाही स्थानीय पुलिस द्वारा की जायेगी।

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