लखनऊ : (मानवी मीडिया) HDFC बैंक की एक महिला अधिकारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मंगलवार को वह ऑफिस में बैठकर काम रही थीं। अचानक कुर्सी से नीचे गिर गईं। कर्मचारी उन्हें तुरंत अस्पताल लेकर गए। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्ट वजीरगंज की रहने वाली सदफ फातिमा (45) HDFC बैंक की गोमतीनगर की विभूतिखंड ब्रांच में एडिशनल डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट के पद पर तैनात थीं। मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे ऑफिस में काम कर रही थीं। तभी अचानक अचेत होकर गिर गईं। हार्ट अटैक की संभावना ऑफिस के कर्मचारियों ने बताया- काम को लेकर काफी प्रेशर था। जिसके चलते तनाव में रहती थीं। आज काम के दौरान ही यह घटना हुई। हालांकि मामले में कोई ऑफिशियल बात करने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि सब कुछ मुंबई से मैनेज होता है। इंस्पेक्टर विभूतिखंड सुनील सिंह का कहना है- मौत की वजह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही पता चल पाएगी। प्रारंभिक जांच में हार्ट अटैक की बात सामने आ रही है। एक रिश्तेदार ने बताया, सदफ फातिमा की दवा चल रही थी। परिजनों ने कोई शिकायती पत्र नहीं दिया है। 19 जून को महोबा में हुई थी बैंक मैनेजर की मौतमहोबा में 19 जून को एक बैंक मैनेजर की काम करते समय मौत हो गई थी। वह कुर्सी पर बैठे-बैठे बेहोश हो गए। दो मिनट के अंदर हुई यह पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। साथी कर्मचारी उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। यह मामला भी HDFC बैंक की मेन ब्रांच का था। यहां राजेश कुमार शिंदे (38) रीजनल मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। लैपटॉप पर काम करते-करते वह बेहोश हो गए। कुर्सी पर ही लुढ़क गए। यह देख बगल में बैठे कर्मचारी ने तुरंत बाकी साथियों को बुलाया। घटना 19 जून की है, इसका वीडियो 26 जून को सामने आया था। वर्कलोड से हो रही लाखों मौतें हाल ही में पुणे में काम करने वाली एक 26 साल की चार्टर्ड अकाउंटेंट की कथित तौर पर ज्यादा वर्कलोड के कारण असामयिक मृत्यु की खबर ने लोगों काे झकझोर कर रख दिया। इस घटना ने न केवल हर किसी को परेशान किया, बल्कि टॉक्सिक वर्कप्लेस कल्चर और कॉर्पोरेट जगत में ओवरवर्क इश्यू पर एक महत्वपूर्ण बहस भी खड़ी कर दी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) के मुताबिक, 2016 में लंबे समय तक काम करने के कारण स्ट्रोक और कोरोनरी हार्ट डिजीज से 7,45,000 लोगों की मृत्यु हुई, जो वर्ष 2000 की तुलना में 29% ज्यादा है। स्टडी ये भी बताती है कि 35-40 घंटे काम करने की तुलना में प्रति सप्ताह 55 या इससे अधिक घंटे काम करने से स्ट्रोक का खतरा 35% और कोरोनरी हार्ट डिजीज से मृत्यु का खतरा 17% बढ़ जाता है। सबसे ज्यादा घंटे काम करने वाले देशों में भारत दूसरे नंबर पर
एक सप्ताह में कितने घंटे काम करना चाहिए? WHO के अनुसार एक व्यक्ति को सप्ताह में औसतन 35-40 घंटे वर्क करना चाहिए। सप्ताह में कुल 168 घंटे होते हैं। प्रोफेशनल काम के कुल घंटे इसके एक चौथाई से ज्यादा नहीं होने चाहिए। हफ्ते के तकरीबन 56 घंटे सोने में जाते हैं, 16-17 घंटे घर के कामों में और बाकी का बचा समय रीक्रिएशन के लिए होना चाहिए। इससे आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में एक संतुलन बना रहता है। ज्यादा घंटे काम करने से सेहत पर क्या असर पड़ता है? तय मानक वर्किंग आवर से बहुत ज्यादा काम करने से थकान के कारण नींद संबंधी समस्या हाे सकती है। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है, जिससे स्ट्रोक, हार्ट डिजीज और किडनी फेलियर का खतरा रहता है। डिप्रेशन और एंग्जाइटी का शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है। टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है। फैमिली को टाइम न दे पाने से परिवार में अनबन हो सकती है, जिससे आपकी पर्सनल लाइफ भी प्रभावित होती है। आपकी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो सकती है। मेंटल हेल्थ खराब हो सकती है। आपको अपना काम निरर्थक लगने लगता है। लगातार अपने काम के प्रदर्शन के बारे में चिंतित रहते हैं। आपको घर और काम के बीच सीमाएं स्थापित करने में परेशानी होती है। आप खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं।