(मानवी मीडिया) : आपने कभी सोचा है कि आपका चाय-समोसा खाने का प्लास्टिक डिस्पोजल कहां जाता है? या फिर वो प्लास्टिक की थैली जो आप सब्जी लाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, उसका क्या होता है? ये सारा कचरा हमारे समुद्रों और नदियों को प्रदूषित कर रहा है. एक नए अध्ययन के मुताबिक, भारत दुनिया में सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा पैदा करने वाले देशों में से एक है. हर साल भारत लाखों टन प्लास्टिक कचरा फेंकता है, जिससे हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है.रिसर्ज के अनुसार, भारत में प्लास्टिक प्रदूषण का एक बड़ा कारण ये है कि देश में अधिकांश प्लास्टिक कचरा पर्यावरण में फेंक दिया जाता है. इससे प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर रहे हैं.
भारत ने लगाया था सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध
भारत ने जुलाई 1, 2022 को सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस कदम से उम्मीद थी कि देश का प्लास्टिक पदचिह्न कम होगा. अनुमान था कि सालाना कम से कम 0.6 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा गायब हो जाएगा.लेकिन दो साल बाद भी हकीकत अलग है. दुकानों में अभी भी डिस्पोजेबल प्लास्टिक आइटम मिलते हैं. ज्यादातर लोग अभी भी सब्जियां प्लास्टिक कैरी बैग में घर ले जाते हैं और सितंबर की शुरुआत में नेचर में प्रकाशित एक नए शोध से पता चलता है कि भारत सालाना 9.3 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पर्यावरण में ‘छोड़ रहा है,’
जो दुनिया में सबसे अधिक है. ये अगले तीन शीर्ष प्रदूषकों नाइजीरिया (3.5 मिलियन टन), इंडोनेशिया (3.4 मिलियन टन) और चीन के कुल योग के लगभग बराबर है. ये एक चिंता का विषय है क्योंकि प्लास्टिक प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक है. माइक्रोप्लास्टिक्स हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं. इसके अलावा, प्लास्टिक प्रदूषण समुद्री जीवन के लिए भी खतरा है.इस समस्या से निपटने के लिए, भारत को सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करना होगा. इसके अलावा, लोगों को प्लास्टिक का उपयोग कम करने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है