नवयुग में जेंडर सेंसटाइजेशन विषय पर कार्यशाला का आयोजन - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Saturday, September 28, 2024

नवयुग में जेंडर सेंसटाइजेशन विषय पर कार्यशाला का आयोजन

लखनऊ (मानवी मीडिया ) नवयुग कन्या महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग एवं आई क्यू ए सी के संयुक्त तत्वावधान में "जेंडर सेंसटाइजेशन: चेंजिंग परसेप्शंस एंड एंपावरिंग लॉज"_ विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ दीप प्रज्जवलन तथा सरस्वती मां की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के साथ किया गया।प्राचार्या प्रो.मंजुला उपाध्याय द्वारा सभी अतिथि वक्ताओं का स्वागत अभिनंदन पौध एवम स्मृति चिह्न द्वारा किया गया। कार्यशाला में विशिष्ट वक्ता के रूप में  प्रो सारिका दूबे, प्राचार्या, कृष्णा देवी गर्ल्स डिग्री कॉलेज, लखनऊ ने  छात्राओं को अपने व्याख्यान में  लिंग संवेदनशीलता पर छात्राओं को प्राचीन काल से चली आ रही सीता अपहरण, द्रौपदी चीरहरण जैसी दुखद घटनाओं से लेकर आज तक होती आ रही समस्याओं के बारे में बताया। सेक्स आधारित कार्यों का विभाजन ही महिलाओं के दमन का मुख्य कारण है। पुरुषो का वर्चस्व समझाते हुए उन्होंने महादेवी वर्मा की पंक्तियों को याद किया – " महिलाओं का ना तो पिता का घर होता है, ना पति का; उनका अपना कोई घर नही होता" । प्रकृति ने महिलाओं को पुरुषों से अधिक शक्तिशाली बनाया क्योंकि उसके पास प्रकृति प्रदत्त ऐसी जीवनी शक्ति है, जिससे वह बच्चे को जन्म दे सकती है; किंतु समाज में महिलाओं को कमजोर माना गया।
यदि देखा जाए तो दुनिया की पहली गुलाम महिला को  ही बनाया गया। क्योंकि वह अपने बच्चों को छोड़कर भाग नही सकती। उदारवादी नारीवाद महिलाओं को समान अवसर देने की बात करता है। वही मार्क्सवादी नारीवाद मानता है की समाज का संपूर्ण ढांचा बदलना होगा। अमर्त्य सेन जैसे भारतीय अर्थशास्त्री विचारक भी मिसिंग वूमेन की बात कर कन्या  भ्रूण हत्या की बात करते हैं। हमें बच्चों के समाजीकरण में जेंडर को विकेंद्रित करना होगा। एंड्रोसेंट्रिक व्यू को तभी बदला जा सकता है। डॉ दीपा दुआ, शकुंतला मिश्रा यूनिवर्सिटी, लखनऊ ने  लिंग संवेदीकरण को अन्य आर्थिक, राजनीतिक मुद्दों की तरह ही महत्वपूर्ण बताया क्यों कि बच्चे सोसायटीफेस करने के लिए रेडी हो सके कि वह समाज में कैसे रहेंगे और कैसे आगे बढ़ेंगे। साथ ही उन्होंने सेक्स एवम जेंडर में अंतर बताते हुए कहा की जेंडर एक सोशल कंस्ट्रक्ट है। महिला एवम पुरुषों की सामाजिक आर्थिक परिस्थिति अलग है। जिसमे महिलाओं को हमेशा दूसरे पायदान पर रखा गया। जिससे जेंडर आधारित हिंसा का जन्म हुआ। जेंडर संवेदनशीलता एक  यात्रा है, जो हमारे घर से शुरू हो कर राष्ट्रीय स्तर तक जाती है। जिसके लिए कानूनों का निर्माण किया गया जैसे की बीजिंग प्रोटोकॉल, यू एन कन्वेंशन आदि। समाज के रूढ़िवादी मानकों को बदलने के लिए मानसिकता का बदलना आवश्यक है। यह हमारे समाज का दुर्भाग्य है कि जिन्हें न्याय का मंदिर माना जाता है; वह न्यायालय ही महिलाओं पर अभ्रद टिप्पड़ी कर रहे हैं। किंतु भारतीय मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ऐसे लोगो के लिए आदर्श है जिन्होंने कहा की उन्होंने अपनी  महिला सहकर्मियों से बहुत कुछ सीखा है।

तत्पश्चात मुख्य वक्ता प्रो. दीपा द्विवेदी, डीन, स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी, बी बी ए यू केंद्रीय विश्वविद्यालय ने पीपीटी प्रेजेंटेशन द्वारा छात्राओं को जागरूक किया। पुरुष एवम महिला  एक गाड़ी के दो पाहियों के समान है। दोनों ही समान रूप से जिम्मेदार है; समाज के सृजन के लिए। महिलाओं का सशक्त होना जितना जरूरी है, उन्हें अपनी गरिमा को स्वयं समझना भी जरूरी है। कानून से आगे बढ़कर संविधान में " प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट एट वर्क प्लेस" बनाया गया। इन सभी नियमों का प्रयोग अपनी सुरक्षा के लिए करना चाहिए उसका दुर्प्रयोग ना किया जाए। जीजामाता, अहिल्याबाई होलकर, रानी दुर्गावती जैसी विरांगनाओं को आदर्श के रूप में याद किया जाए।

साथ ही महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो मंजुला उपाध्याय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में छात्राओं को समकालीन समाज में चल रही महिलाओं से जुड़ी  वीभत्सपूर्ण घटनाओं से जुड़े तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए आज की स्थिति को महिलाओं के परिप्रेक्ष्य में चिंता जनक बताया । उन्होंने महिला सुरक्षा से जुड़े विभिन्न कानूनों के प्रति जागरूक करते हुए उनका उचित एवं सही जगह पर  उपयोग करने का आह्वान किया।  कार्यक्रम के अंत  में आईक्यूएसी समन्वयक प्रो. संगीता कोतवाल ने समस्त उपस्थित  विद्वतजनों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए समाजशास्त्र एवं आईक्यूएसी समिति के सदस्यों  को साधुवाद दिया। कार्यशाला में महाविद्यालय की सभी सम्मानित प्रवक्तागण और समस्त महाविद्यालय की छात्राएं उपस्थित रहीं।कार्यक्रम का सफ़ल संचालन समाजशास्त्र की विभाग अध्यक्षा डा. विनीता सिंह द्वारा किया गया।

Post Top Ad