अगर अल्पसंख्यक अपने संस्थान चला सकते हैं, तो हिंदू क्यों नहीं - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Wednesday, September 25, 2024

अगर अल्पसंख्यक अपने संस्थान चला सकते हैं, तो हिंदू क्यों नहीं


(मानवी मीडिया) : तिरुपति मंदिर में प्रसाद विवाद के बाद, अब मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण को लेकर सवाल उठने लगा है. विश्व हिंदू परिषद ने मंगलवार को देशभर में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का संकल्प लिया और कहा कि वह इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जल्द ही एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगी.पत्रकारों को संबोधित करते हुए वीएचपी के महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा कि अगर राज्य सरकारें मंदिरों को हिंदू समाज को नहीं सौंपती हैं, तो संगठन अदालत का दरवाजा भी खटखटाएगा. 

उन्होंने कहा मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए पहले हर राज्य में प्रदर्शन और आंदोलन किए जाएंगे और संबंधित मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को अपना ज्ञापन सौंपेगें. जैन ने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा मंदिरों को अपने नियंत्रण में रखना संविधान का उल्लंघन है और अदालतें बार-बार कह रही हैं कि मंदिरों को चलाना सरकारों का काम नहीं है. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश का तिरुपति मंदिर ही एकमात्र ऐसा मंदिर नहीं है, जहां से ‘प्रसाद’ बनाने में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल की खबरें आई है. इससे पहले, केरल के सबरीमाला मंदिर से भी शिकायत आई थी. 

उन्होंने कहा कि देश भर में राज्य सरकारों के नियंत्रण वाले मंदिरों की संपत्तियों के वित्तीय अनियमितताओं की खबरें आती रहती है. जैन ने तमिलनाडु और राजस्थान का उदाहरण देते हुए कहा कि आप लोग देख सकते है कि कैसे इन राज्यों में मंदिरों के संपत्तियों का बंदरबाट किया है. तमिलनाडु सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले 10 साल में 50,000 करोड़ का अनियमितता बरती है.

जबकि राजस्थान के पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार पर मंदिर की जमीन को ईदगाह को देने का आरोप लगाया. जैन ने कहा, जब अल्पसंख्यक अपने संस्थान चला सकते हैं तो हिंदू क्यों नहीं.उन्होंने कहा, संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 हमें अपने संस्थान चलाने की अनुमति देते हैं. तिरुपति लड्डू विवाद पर विहिप ने मांग की कि मामले की न्यायिक जांच की जाए और प्रसादम के अपमान में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए

Post Top Ad