उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया) मैं साइको हूं...सो नहीं पाती, पिछले साल हिम्मत नहीं जुटा पाई, इसलिए जिंदगी खत्म करने का तय किया है... यह उक्त बातें सुसाइट नोट में लिखकर आईआईटी की प्रोफसर आयुषी शर्मा (33) ने घर में फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। आयुशी पिता विनोद शर्मा के साथ इंदिरानगर-ए ब्लॉक में रहती थी। जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने मौके पर मौजूद परिजनों से पूछताछ कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। इस दौरान पुलिस ने आयुषी के कमरे से सुसाइट नोट बरामद किया है।
गाजीपुर प्रभारी निरीक्षक विकास राय के मुताबिक, इंदिरानगर-ए ब्लॉक प्रोफसर आयुषी शर्मा पिता विनोद शर्मा के साथ रहती थी। गुरुवार शाम आयुषी ने घर में दुपट्टे का फंदा बनाकर खुदकुशी कर ली। पड़ोसी अर्चना चिन्डियाल ने पुलिस कंट्रोल रुम पर सूचना दी थी। पड़ोसी अर्चना ने बताया कि शाम करीब सात बजे वह विनोद शर्मा के घर पर आयुषी से मिलने गई थी, घर में कोई दिखा तो वह कमरे के भीतर पहुंची तो उन्होंने आयुशी को फंदे से लटकता पाया। यह देखकर अर्चना शोर मचाते हुए बाहर निकली। इसके बाद स्थानीय लोगों की भीड़ महिला प्रोफेसर के घर के बाहर एकत्र हो गई। प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना कर महिला प्रोफेसर को फंदे से उतारा। इसके बाद उसे नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया। जहां, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि पुलिस ने मौके से एक सुसाइट नोट बरामद किया है। सुसाइट नोट की पहली लाइन में महिला प्रोफेसर ने लिखा है कि ’’ खुदकुशी करने के लिए हम खुद जिम्मेदार है। मैं किसी से नाराज नहीं हूं, न किसी पर कोई आरोप है।
मुझे कोई भी रोक नहीं सकता, 2019 में मेरी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। कुछ साल से मैं किसी से बात नहीं करती हूं। मैं सो नहीं पाती हूं, मैं हमेशा डरी और दर्द में रहती हूं..मैं साइको हूं, इसलिए जिंदगी खत्म करने का तय किया है प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि पिता विनोद शर्मा पैरालाइज हैं। परिवार में आयुषी के अलावा बड़ी बहन हैं। उसकी शादी हो चुकी है। वह बेंगलुरु में रहती है। जबकि बहन का पति यूएस में नौकरी करता है। बड़ी बहन ने बताया कि आयुषी सुशांत गोल्फ सिटी थाना अंतर्गत अहिमामऊ के एक आईआईटी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर थी। लखनऊ के इंदिरानगर ए-ब्लॉक में वह पिता विनोद शर्मा के साथ रहती थी। बहन का कहना है कि आयुषी अकेलेपन का शिकार थी। वह किसी के भी खुलकर बातचीत नहीं करती थी। प्रभारी निरीक्षक का कहना है प्रथम दृष्टया में अवसाद के कारण महिला प्रोफेसर ने आत्मघाती कदम उठाया है।