लखनऊ: (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि नये भारत का नया उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुसार भारत के विकास का ग्रोथ इंजन बनकर देश के विकास में अपना योगदान दे रहा है। राज्य को 01 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना प्रत्येक विभाग की सामूहिक जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री आज यहां लोक भवन में आयोजित वन विभाग के नवचयनित 647 वन रक्षक एवं वन्य जीव रक्षक तथा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नवचयनित 41 अवर अभियन्ताओं के नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने नवचयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये।
अभ्यर्थियों ने निष्पक्ष एवं पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने नवचयनित अभ्यर्थियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मिशन रोजगार के अन्तर्गत निष्पक्ष एवं पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से आज वन विभाग तथा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 688 पदों के लिए नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम सम्पन्न हो रहा है। इसमें 124 बेटियां सम्मिलित हैं। यह भर्ती प्रक्रिया उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले नियुक्ति प्रक्रिया सम्पन्न होने के पश्चात नियुक्ति पत्र प्राप्त होने में लगभग एक वर्ष का समय लगता था। अब अभ्यर्थियों को यही नियुक्ति समयबद्ध तरीके से प्राप्त हो रही है।
भर्ती प्रक्रिया से लेकर नियुक्ति पत्र वितरण की प्रक्रिया तक अभ्यर्थियों को कहीं भी सिफारिश की आवश्यकता नहीं पड़ी। प्रदेश सरकार नवचयनित अभ्यर्थियों से निष्पक्ष एवं ईमानदारी के साथ कार्य करने की अपेक्षा करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पारदर्शी तरीके से परीक्षा के पैटर्न को बदलने का काम किया है। थोड़ी सी सावधानी बरतकर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ को रोका जा सकता है। इसके लिए सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों की रोकथाम अधिनियम, 2024 को लागू किया गया है, जिसमें नकल माफिया, सॉल्वर गैंग तथा पेपर लीक करने की गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई की व्यवस्था की गई है। इसके अन्तर्गत एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना तथा आजीवन कारावास का प्राविधान किया गया है। परीक्षा को शुचिता पूर्ण तरीके से सम्पन्न करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फेस रिकॉग्निशन तथा बायोमेट्रिक सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है।
प्रदेश में सी0सी0टी0वी0 कैमरे की व्यवस्था के माध्यम से परीक्षा केन्द्रों की निगरानी कर अवांछित तत्वों की पहचान तथा उनसे निपटने का कार्य किया जाता है। इसी का परिणाम है कि हाल ही में 60,200 पुलिस कार्मिकों की परीक्षा कुशलतापूर्वक सम्पन्न की गई है। दुनिया में पहली बार सिविल पुलिस की इतनी बड़ी परीक्षा सम्पन्न की गई है। इस भर्ती प्रक्रिया के सम्पन्न होने पर 40 हजार अन्य पुलिस कार्मिकों की भर्ती के लिए अधियाचन की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार अगले 06 महीनों में 40 हजार युवाओं को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम से जोड़ने जा रही है। प्रदेश में उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन किया जा चुका है। इसके माध्यम से बेसिक, माध्यमिक, व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा से सम्बन्धित हजारों पदों पर भर्ती की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने भी हजारों युवाओं को सरकारी नौकरी के साथ जोड़ने की कार्रवाई को आगे बढ़ाया है।
जहां आवश्यकता पड़ी, वहां आवश्यक रिफॉर्म भी किए गए हैं। प्रदेश सरकार
ने आवश्यकता पड़ने पर शिथिलता तथा सख्ती करने की कार्रवाई भी की है। जैसे 647 वन रक्षकों तथा वन्य जीव रक्षकों को लिखित परीक्षा के साथ-साथ 04 घंटे में 25 किलोमीटर दौड़ की प्रक्रिया से भी जोड़ा गया। यह एक चुनौती पूर्ण प्रक्रिया है, लेकिन शारीरिक दक्षता भी आवश्यक है।
पहले प्रदेश के युवाओं के सामने पहचान का संकट था। योग्य युवाओं को नौकरी नहीं मिल पाती थी। नियुक्ति प्रक्रिया बैक डोर से सम्पन्न की जाती थी। युवा आत्महत्या करने के लिए मजबूर था। न्यायालयों को भर्ती प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना पड़ता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश व दुनिया के लिए जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा चिंता का विषय है। अनियंत्रित तथा अनियोजित विकास मानवता के सामने नया संकट खड़ा कर चुका है। प्रदेश में नियोजित तथा वैज्ञानिक विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। हमें सतत विकास की अवधारणा को अपनाते हुए, लोगों को इसका लाभ प्रदान करने के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा भी करनी है। यदि हम सभी सामूहिक रूप से इस दिशा में प्रयास करेंगे तो इसके अच्छे परिणाम आएंगे।
जलवायु परिवर्तन के कारण असमय वर्षा तथा ओलावृष्टि देखने को मिल रही है। कहीं अतिवृष्टि हो रही है, तो कहीं सूखे से लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। ‘अति सर्वत्र वर्जयेत’ अर्थात् अति किसी भी परिस्थिति में अच्छी नहीं मानी जाती। घटता हुआ वनाच्छादन, प्लास्टिक का बेतरतीब उपयोग तथा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली अन्य वस्तुओं का उपयोग आज सबसे बड़ी समस्या है। नियंत्रण लगाने के बावजूद किसी न किसी स्तर पर पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालने वाली वस्तुओं का दुरुपयोग किया जाता है। वनों में आग लगने की समस्या के कारण पर्यावरण को नुकसान होता है। इस समस्या का सामना वन्य जीवों के साथ-साथ मनुष्यों को भी करना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन क्षेत्र में कमी के कारण मानव वन्य जीव संघर्ष की नौबत आती है, जिससे जनहानि का सामना करना पड़ता है। यह हमारे लिए चिन्ता का विषय है, क्योंकि एक भी व्यक्ति की मृत्यु परिवार तथा समाज की क्षति होती है। इसके कारण बहुत से परिवार अनाथ हो जाते हैं। कमाण्ड एरिया में जलभराव तथा पशुओं व मनुष्यों के अतिक्रमण से वन्य जीव हिंसक होकर दूसरे क्षेत्रों में पलायन करते हैं। मानव बस्तियां इसकी चपेट में आती हैं। मानव का शिकार करने पर वह नरभक्षी होकर अन्य मनुष्यों के लिए अत्यंत हिंसक हो जाते हैं।
तराई क्षेत्र के जिन जनपदों में यह शिकायतें प्राप्त हुई हैं, यह वे क्षेत्र हैं, जहां जंगल तथा खेती एक दूसरे से सटी हुए हैं। हमें इसके लिए स्वयं प्रशिक्षित होना चाहिए तथा स्थानीय नागरिकों को गाइड के रूप में प्रशिक्षित करना चाहिए। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा वन विभाग को धनराशि प्रदान की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जंगल तथा खेती को विभाजित करने वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में जंगली जानवरों को नुकसान पहुंचाए बिना इलेक्ट्रिक तथा सोलर फेंसिंग की जानी चाहिए। हल्के इलेक्ट्रिक शॉक से जंगली जानवर भयभीत होकर वहां से बाहर निकल सकेंगे, जिससे किसान तथा अन्य लोग सुरक्षित रहेंगे।
जीवन चक्र मनुष्य तथा जीव-जंतुओं से मिलकर बना है। जीवन चक्र को सुरक्षित किए बिना प्रकृति तथा पर्यावरण की रक्षा नहीं की जा सकती। प्रत्येक जीव-जन्तु एक दूसरे पर आश्रित हैं। जीव-जंतुओं को संरक्षित करने की दिशा में हमें आगे बढ़ना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश पहला राज्य है जिसने मानव वन्य-जीव संघर्ष को आपदा घोषित किया है। मानव वन्य-जीव संघर्ष से जनहानि तथा घायल होने पर सहायता राशि की व्यवस्था की गई है। प्रदेश सरकार ने जनहानि होने पर 05 लाख रुपये की सहायता राशि की व्यवस्था की है। किसी व्यक्ति की सर्पदंश से मृत्यु को आपदा घोषित करते हुए 05 लाख रुपये धनराशि की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक जिला अस्पताल तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एण्टी स्नेक वेनम रखने की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 07 वर्ष पूर्व प्रदेश में वनाच्छादन बढ़ाने के लिए कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया था। प्रदेश सरकार का लक्ष्य वर्ष 2028-29 तक 15 प्रतिशत वनाच्छादन करना है। इसके लिए प्रतिवर्ष रिकॉर्ड मात्रा में वृक्षारोपण का कार्यक्रम किया जाता है। अब तक 210 करोड़ वृक्षारोपण का कार्य पूरा किया गया है।
राज्य में विगत साढ़े सात वर्षों में जनसहभागिता के माध्यम से इन वृक्षों को लगाने के साथ-साथ उन्हें बचाने के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। इसके लिए किसानों को भी प्रोत्साहित किया गया। अनेक अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने प्रदेश के इस कार्य की प्रशंसा की है। लगाए गए वृक्षों को बचाने के लिए जन जागरूकता की आवश्यकता है, क्योंकि जागरूकता के अभाव में लोग रोपे गए पौधों को उखाड़ देते हैं। वृक्षारोपण कार्यक्रम केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जीवन रक्षा का बेहतरीन उपाय होता है।
एन0सी0आर0 क्षेत्र में नवम्बर से लेकर फरवरी तक धान की पराली जलाने के कारण वातावरण में स्माॅग की समस्या रहती है। इससे श्वांस तथा हृदय रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है तथा पर्यावरण को क्षति पहुंचती है। न्यायालय लगातार इस मुद्दे पर दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं। अन्य न्यायिक तथा अर्धन्यायिक संस्थाओं द्वारा आदेश जारी किए जाते हैं। प्रदेश में धान की पराली के निपटान के लिए बायो कम्प्रेस्ड यूनिट्स लगाई जा रही हैं। इसके माध्यम से किसान धान का दाम प्राप्त करने के साथ-साथ पराली का दाम भी प्राप्त कर सकता है।
प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से समन्वय बनाकर इस दिशा में अनेक कार्यक्रम बनाए हैं। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में कम से कम 100 बायो कम्प्रेस्ड यूनिट्स लगाने का लक्ष्य है। इसकी कुछ यूनिट्स लगाई जा चुकी हैं तथा अन्य यूनिट्स लगाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा वैकल्पिक ऊर्जा विभाग को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए, जिससे प्रदेश पर्यावरण की रक्षा करने तथा एथेनॉल के उत्पादन में अग्रणी भूमिका का निर्वहन कर सके।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वनों की अवैध कटान रोकने की दिशा में व्यापक कार्य किए जाने की आवश्यकता है। वनों में अवैध खनन को भी रोकने की आवश्यकता है, क्योंकि इससे वनों को नुकसान पहुंचता है। वन्य-जीवों का शिकार करने वाले अपराधियों के अवैध अतिक्रमण को रोकना पड़ेगा। प्रशिक्षण प्रक्रिया के पश्चात नवनियुक्त वन रक्षकों एवं वन्य-जीव रक्षकों को भी इस दायित्व का निर्वहन करना पड़ेगा। नव नियुक्त वनरक्षक तथा वन्य जीव रक्षक ईमानदारी से कार्य करके जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को कम करने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं। प्रदेश में ऐसे लोगों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की गई है। परिणामस्वरूप प्रदेश में वनाच्छादन में वृद्धि हुई है तथा बाघ, तेंदुआ सहित अन्य वन्य जीवों की संख्या भी बढ़ी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल का बेहतरीन स्रोत प्रदान करने वालीं ज्यादातर नदियों का अस्तित्व आज खतरे में दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री ने देश की सबसे पवित्रम गंगा नदी को अविरल बनाने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम का शुभारम्भ किया था। इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। जनसहभागिता के माध्यम से फैक्ट्रियों, कारखानों, म्युनिसिपल कॉरपोरेशन तथा अन्य संस्थाओं को नदियों को प्रदूषणमुक्त करने वाले प्रयासों को अपनाने के लिए तैयार करना होगा। इन प्रयासों के माध्यम से प्रकृति तथा पर्यावरण को बचाने में सफलता प्राप्त होगी। इस कार्य में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकता है। इसके 41 अवर अभियन्ताओं को भी आज यहां नियुक्ति पत्र वितरित किया जा रहा है।
कार्यक्रम में मिशन रोजगार से सम्बन्धित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम को वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना ने भी सम्बोधित किया। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने स्वागत उद्बोधन किया।
इस अवसर पर वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री के0पी0 मलिक, अपर मुख्य सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मनोज सिंह, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना संजय प्रसाद, प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुधीर कुमार शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।