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Friday, September 27, 2024

भारत की इस सरकारी कंपनी पर 35,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा बकाया


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मानवी मीडिया) : 
भारी-भरकम कर्ज के बोझ में दबी सरकारी स्टील कंपनी आरआईएनएल (RINL) को संकट से उबारने के लिए सरकार हर संभव कोशिशों में जुटी हुई है। इसी सिलसिले में सरकार RINL को पब्लिक सेक्टर की स्टील कंपनी सेल (SAIL) के साथ उसके मर्जर की संभावनाओं पर विचार कर रही है। सूत्रों ने बताया कि आरआईएनएल के आंध्र प्रदेश स्थित प्लांट में काम चालू रखने के लिए पूंजी मुहैया कराने के लिए एनएमडीसी को जमीन बेचने के अलावा बैंक ऋण जैसी योजनाओं पर भी काम किया जा रहा है। हाल ही में आरआईएनएल के मुद्दे पर वित्तीय सेवाओं के सचिव, इस्पात सचिव और सार्वजनिक क्षेत्र के एसबीआई के टॉप अधिकारियों की एक अहम मीटिंग भी हुई।

RINL पर SBI का है काफी कर्ज

बताते चलें कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आरआईएनएल को काफी कर्ज दिया हुआ है। सूत्रों ने कहा, "सरकार इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालना चाहती है। जिन विकल्पों पर चर्चा की जा रही है उनमें से एक विकल्प आरआईएनएल का सेल के साथ मर्ज करना भी है।" इस्पात मंत्रालय के तहत काम करने वाले राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में 75 लाख टन क्षमता वाले स्टील प्लांट का संचालन करती है। देश की प्रमुख स्टील प्रोडक्शन कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) का कंट्रोल भी इस्पात मंत्रालय के पास है।

पूंजी की व्यवस्था करने पर भी हो रहा विचार

सूत्रों के मुताबिक, आरआईएनएल को चलाने के लिए पूंजी की व्यवस्था करने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अलावा वित्तीय सहायता के लिए कर्जदाताओं से बातचीत करने और एनएमडीसी को पेलेट प्लांट लगाने के लिए 1500-2000 एकड़ जमीन बेचने जैसे उपायों पर भी गौर किया जा रहा है। मजदूर संगठनों का मानना है कि दूसरे प्राथमिक इस्पात निर्माताओं की तरह आरआईएनएल को कभी भी निजी उपभोग वाली लौह अयस्क खदानों का लाभ नहीं मिला जो कि आरआईएनएल के समक्ष मौजूद संकट का प्रमुख कारण है।

कंपनी पर कुल 35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया 

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने जनवरी, 2021 में निजीकरण के जरिए आरआईएनएल में सरकारी हिस्सेदारी के 100 प्रतिशत विनिवेश को 'सैद्धांतिक' मंजूरी दी थी। इस्पात मंत्रालय के एक दस्तावेज के मुताबिक, आरआईएनएल गंभीर वित्तीय संकट में होने की वजह से अपनी न्यूनतम क्षमता पर चल रहा है और लगातार घाटे का सामना कर रहा है। इसका कुल बकाया 35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है।

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