लखनऊ : (मानवी मीडिया) लखनऊ विश्वविद्यालय में चल रहे दीक्षांत समारोह पूर्व सप्ताह के अंतर्गत कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें खेल से लेकर डिबेट और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल है। जिसमें सभी स्टूडेंट्स ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। राजनीति विज्ञान विभाग ने बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष प्रो. सुधीर मेहरोत्रा द्वारा व्याख्यान आयोजित किया। व्याख्यान का विषय था, "आधुनिक युग में बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्व"। अपने भाषण में प्रो. मेहरोत्रा ने आईपीआर की अवधारणा और इसके विभिन्न प्रकारों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि किसी राष्ट्र के लिए आईपीआर इतना महत्वपूर्ण क्यों है
भारत सहित राष्ट्रों द्वारा इसे कैसे संरक्षित और बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास में वृद्धि और अधिक पूंजी की आवश्यकता है और इन नई तकनीकों का पेटेंट कराया जा रहा है, जिससे देशों के लिए संसाधन पैदा हो रहे हैं। इस प्रकार, एक स्वस्थ आईपीआर व्यवस्था राष्ट्र की आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए फायदेमंद है। इससे पहले, विभागाध्यक्ष प्रो. संजय गुप्ता ने प्रो. मेहरोत्रा का स्वागत करते हुए आईपीआर का संक्षिप्त परिचय दिया। व्याख्यान में राजनीति विज्ञान विभाग के संकाय सदस्य, छात्र और शोधकर्ता शामिल हुए। डॉ. जितेंद्र कुमार ने प्रो. मेहरोत्रा को धन्यवाद ज्ञापन दिया।
विश्वविद्यालय का सांस्कृतिक बोर्ड आकर्षक और प्रभावशाली कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का आयोजन कर रहा है। इसमें हर दिन छात्र कुछ न कुछ नया लेकर आ रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय और विशिष्ट अतिथि डीन कला संकाय प्रो. अरविंद मोहन ने की। दोनों ने समग्र छात्र विकास को बढ़ावा देने में सांस्कृतिक गतिविधियों के महत्व पर प्रकाश डाला। सांस्कृतिक प्रदर्शनों में काव्यात्मक प्रदर्शन, गरबा नृत्य, मैथिल नृत्य, वाद्य संगीत प्रदर्शन, गायन के साथ-साथ काकोरी ट्रेन एक्शन और एनरीरैगिंग को श्रद्धांजलि देने वाला नाटक शामिल था जो विचारोत्तेजक था। अफगानिस्तान की मासिह एल्हम के एक गीत, सहित अन्य का बड़े पैमाने पर स्वागत किया गया।