लखनऊ : (मानवी मीडिया) वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में सोमवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई। जिसमें कई अहम चीजों पर चर्चा हुई, लेकिन सबसे अधिक चर्चा डेबिट और क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंन से 2,000 रुपये से कम के ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए बिलडेस्क (Billdesk) और सीसीएवेन्यू (CCAvenue) जैसे भुगतान एग्रीगेटर्स (Payment Aggregators) पर 18% GST लगाए जाने को लेकर होने वाले ऐलान पर नजर थी, लेकिन इसे लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है पर क्या हो अगर यह लागू कर दिया जाए, लोगों पर इसका क्या असर होगा। अभी के लिए इस मामले को फिटमेंट कमेटी के पास भेज दिया गया है। उसके फैसले के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
फिटमेंट कमेटी पर सारा दारोमदार
जीएसटी काउंसिल की बैठक में मौजूद उत्तराखंड के वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि 54वीं जीएसटी मीटिंग में छोटे ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस पर 18% जीएसटी लगाए जाने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। 2,000 रुपये से कम के ट्रांजैक्शन से होने वाली पेमेंट एग्रीगेटर्स पर ये टैक्स लगाने पर अभी सिर्फ बात की गई है। इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। पूरा मामला फिटमेंट कमेटी के पास भेज दिया गया है, अब कमेटी इस मुद्दे को लेकर गहन विचार करके काउंसिल को रिपोर्ट सौंपेगी। दरअसल, 2000 रुपये से कम ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने के प्रस्ताव में ये तर्क दिया गया था कि पेमेंट्स एग्रीगेटर ट्रांजैक्शन को कम करते हैं। इससे उन्हें बैंकों के रूप में वर्गीकृत नहीं किए जाना चाहिए। इसका मतलब है कि फिटमेंट पैनल इन पर जीएसटी लगाने के पक्ष में है। हालांकि पेमेंट्स एग्रीगेटर्स को 2,000 से कम की लेन-देन पर जीएसटी से छूट दी गई है।
80% ट्रांजिशन 2000 से कम
भारत में कुल डिजिटल पेमेंट्स में से 80 प्रतिशत ट्रांजैक्शंस 2,000 से कम के होते हैं। 2016 में की गई नोटबंदी के दौरान सरकार की ओर से एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें था कि पेमेंट्स एग्रीगेटर्स को इन लेनदेन पर व्यापारियों को दी जाने वाली सेवाओं पर टैक्स नहीं देना होगा। एग्रीगेटर अभी व्यापारियों से प्रति ट्रांजैक्शन पर 0.5% से 2% तक शुल्क ले रहे हैं। ऐसे में अगर छोटे पेमेंट्स पर GST लागू होता है, तो पेमेंट्स एग्रीगेटर्स व्यापारियों पर अतिरिक्त लागत डाल सकते हैं। आपको बता दें कि इसका कोई भी असर यूपीआई पेमेंट करने वालों पर नहीं पड़ेगा। ये नियम सिर्फ डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और नेट बैंकिंग द्वारा किए गए पेमेंट पर ही देनी होगी.
ऑनलाइन ट्रांजिशन पर होगा असर
अगर यह नियम लागू हो जाता है तो लोग ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने से बचेंगे और एक बार फिर ऑफलाइन ट्रांजैक्शन की ओर जा सकते हैं। एक ओर सरकार डिजिटल इंडिया की बात करती हैं पर इसके लागू होने से पारदर्शिता खत्म होगा जाएगी। इसका लोगों पर निगेटिव असर पड़ेगा।
संतोष यादव, असिस्टेंट प्रोफेसर, नेशनल पीजी कॉलेज
18% GST के लागु होने से लोगों की जेब पर असर पड़ेगा क्योंकि ज्यादातर पेमेंट 2000 के नीचे की ही होती है। इसके लागू होने से लोग ऑनलाइन पेमेंट से कतराएंगे। एग्रीगेटर अभी व्यापारियों से प्रति ट्रांजैक्शन पर 0.5% से 2% तक शुल्क ले रहे हैं। धीरे-धीरे पारदर्शिता भी खत्म हो जाएगी।