लखनऊ (मानवी मीडिया)(1) केन्द्र सरकार अपने हित के मामलों पर जब चाहे संसद का सत्र बुला लेती है तो फिर एससी-एसटी आरक्षण के अति-महत्वपूर्ण मुद्दे के आश्वासन को पूरा किये बिना ही संसद को क्यों अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया?
(2) अगर एससी-एसटी आरक्षण के मामले में केन्द्र की नीयत पाक-साफ है तो संसद का सत्र बुलाकर सम्बंधित संविधान संशोधन जरूर पारित करे, जिससे इस मुद्दे पर कांग्रेस व सपा सहित अन्य सभी पार्टियों की भी नीयत व नीति देश के सामने साफ हो जाएगी।
(3) मायावती ने प्रेसवार्ता में कांग्रेस व सपा आदि तथा उनके उन सभी नेताओं को आड़े हाथ लिया जो लोकसभा चुनाव के समय में संविधान बचाने के नाम पर संविधान की प्रति लेकर घूमते थे तथा रैलियों में उसे लहराया करते थे तथा बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे और अब उनसे पूछें कि आज वे लोग कहाँ हैं जब आरक्षण के माध्यम से संविधान पर वास्तव में हमला हो रहा है। आज वे लोग चुप क्यों हैं? उन लोगों का ऐसा कृत्य विश्वासघात नहीं है, तो ओर क्या है?
लखनऊ,, आज शनिवार बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती ने आज यहाँ एक प्रेसवार्ता को सम्बोधित किया जिसका मूल अंश इस प्रकार से है मीडिया बन्धुओं, जैसा कि विदित है कि मैंने अपनी प्रेसवार्ता दिनांक 04 अगस्त 2024 में और फिर पुनः अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट में दिनांक 09 अगस्त 2024 के द्वारा बीजेपी की केन्द्र सरकार से इस देश के समूचे अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) समाज की ओर से यह अनुरोध किया कि वर्तमान में चल रहे संसद सत्र में ही संविधान में संशोधन करके व कानून बनाते हुये दविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य के केस में माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिनांक पहली अगस्त 2024 के आये निर्णय में, जिसमें की SC व ST वर्गों को आरक्षण देते समय "क्रीमी लेयर" लागू करने तथा इन वर्गों के लोगों का उप-वर्गीकरण यानि की Sub-Classification करके समूचे आरक्षण (Reservation) को ही एक प्रकार से खत्म कर दिया गया है अर्थात् निष्प्रभावी बना दिया गया है, इसके संबन्ध में अपनी बात रखी थी।
इसी विषय पर कल दिनांक 09 अगस्त 2024 को टेलीवीजन के चैनलों में यह दर्शाया गया कि बीजेपी के SC व ST के सभी सांसद प्रधानमंत्री से मिले हैं और उन्होंने भी प्रधानमंत्री को सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से आरक्षण खत्म होने की स्थिति उत्पन्न हो गयी है इससे अवगत कराया, जिसपर प्रधानमंत्री ने उन्हें यह आश्वासन दिया कि SC व ST वर्गों के आरक्षण में "क्रीमी लेयर" तथा उनका उप-वर्गीकरण नहीं होने दिया जायेगा। प्रधानमंत्री द्वारा अपने सांसदों को दिये गये इस आश्वासन के बारे में कई न्यूज़ चैनल पर प्रसारण होने पर फिर मैंने कल ही दिनांक 09 अगस्त 2024 को एक्स पोस्ट पर अपनी बात रखते हुए कहा कि पीएम द्वारा जो यह आश्वासन दिया गया है अगर वो पूरा किया जाता है तो इसका हमारी पार्टी स्वागत करेगी तथा साथ ही मैंने यह भी कहा कि परन्तु इस आश्वासन को तो तभी पूरा किया जा सकता है जब केन्द्र सरकार वर्तमान में चल रहे संसद सत्र में ही एक संविधान संशोधन लाकर सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को निष्प्रभावी बनाते हुये यह प्राविधान लाती है कि SC व ST वर्गों के आरक्षण के लिये इन जातियों को कभी भी उप-वर्गीकृत नहीं किया जा सकेगा तथा इनपर "क्रीमी लेयर" भी लागू नहीं होने दिया जायेगा। इसके साथ ही मैंने यह भी कहा कि आज इस मामले में विषम स्थिति उत्पन्न ही ना होती अगर केन्द्र सरकार ने अपने अटार्नी जनरल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष SC व STसमाज के उप-वर्गीकरण एवं "क्रीमी लेयर" के पक्ष में जोरदारी से अपने कथन न रखे होते।
किन्तु अब संसद के इसी सत्र में संविधान संशोधन न लाकर अचानक वर्तमान सत्र को ही तय की गई निश्चित तारीख के पूर्व ही कल दिनांक 09 अगस्त 2024 की शाम को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दिया गया है, जिससे कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया यह असंवैधानिक निर्णय बना रहे और बीजेपी की केन्द्र की सरकार की मंशा, जिसकी वकालत उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में की थी, वह बनी रहे जिसके तहत् इस देश के समूचे SC व ST वर्गों के लोगों को "क्रीमी लेयर" के बहाने तथा उनके बीच में उप-वर्गीकरण करके उन्हें आरक्षण से ही हमेशा-हमेशा के लिये वंचित कर दिया जाये और इस प्रकार से फिर बिना संविधान बदले ही SC व ST वर्गों का आरक्षण हमेशा के लिये खत्म कर दिया जाये
इस प्रकार, एक ओर वर्तमान संसद सत्र को निश्चित तिथि से पूर्व ही समाप्त करना और दूसरी तरफ माननीय प्रधानमंत्री जी का यह हवा-हवाई आश्वासन देना कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को नहीं लागू किया जायेगा और फिर इस मामले में कोई भी कदम न उठाना तथा कोई भी कार्यवाही आदि न करना यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि या तो माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा इस तरह का कोई आश्वासन अपने SC व ST वर्गों के सांसदों को दिया ही नहीं गया है और या फिर ऐसा आश्वासन केवल इन वर्गों के लोगों को भ्रमित व गुमराह करने के लिये ही दिया गया है और इसी लिये अभी तक अधिकारिक तौर से मा. प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रेस के माध्यम से या अपने आधिकारिक पोस्ट के माध्यम से इस आश्वासन की कोई पुष्टि नहीं की गई है।
इन सब कारणों से आज इस देश में SC व ST वर्गों के रह रहे लगभग 40 करोड़ से ज्यादा लोग पूर्व में कांग्रेस की रही सरकार की तरह, वर्तमान बीजेपी की केन्द्र की सरकार के द्वारा भी अपने आपको काफी ठगा सा महसूस कर रहे हैं, जिनको यहाँ वर्षों से छुआछूत एवं अनेकों अन्य शोषण व उत्पीड़न आदि सहने पड़े हैं और जो आज भी सहने पड़ रहे हैं जिसकी वजह से ये लोग आज भी सामाजिक एवं आर्थिक तौर से पिछड़े हुये है जिन्हें यह आरक्षण दिलाने का कार्य परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा कांग्रेस पार्टी के भी विरोध के बावजूद अपने अथक प्रयासों से दिलाया गया है, जबकि केन्द्र की सरकारों ने इस आरक्षण को खत्म करने के लिये
समय-समय पर लगातार अनेकों प्रयत्न (कोशिशें) किये हैं जैसे कि, I. सरकारी नौकरियों को खत्म करके कान्ट्रेक्ट (ठेकेदारी प्रथा) के माध्यम से कार्य कराना जिनमें उनके द्वारा नियुक्त कर्मचारियों पर कोई आरक्षण लागू नहीं होता है।
II. सरकारी उपकर्मों (संस्थानों) को निजी हाथों में बेचकर उनमें मिल रही लाखों की संख्या में नौकरियाँ जिसमें SC व ST वर्गों को भी आरक्षण उपलब्ध था वो भी खत्म कर देना। III. लाखों की संख्या में पदों को खाली रखना।
IV. देश में लाखों पद जो कि SC व ST वर्गों के लिये आरक्षित थे उन्हें सालों से खाली रखना और बाद में उन्हें समाप्त करके सामान्य वर्ग को दे देना।
V. पदोन्नति (Promotion) में आरक्षण के लाभ से SC व ST वर्गों के कर्मचारियों को पहले ही माननीय सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व निर्णय जो कि नागराज के केस में दिया गया था, उसके तहत् खत्म कर दिया गया था तथा जिस निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिये संसद में संवैधानिक संशोधन विधेयक बीएसपी के अथक प्रयासों से राज्यसभा में तो पारित हो गया था परन्तु उसके बाद वह लोकसभा में आज तक भी पास करने के लिये नहीं लाया गया है।
VI. और यह वही बिल है जिसको की समाजवादी पार्टी ने अपने सांसदों के द्वारा कांग्रेस एवं बीजेपी के साथ मिलकर संसद के अन्दर ही फाड़ दिया था।
और अब इसी प्रकार ही भाजपा की केन्द्र सरकार ने अपने वकील अटार्नी जनरल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में उप-वर्गीकरण और "क्रीमी लेयर" के पक्ष में गलत दलीलें दिलवायीं थीं जिसकी वजह से ही नागराज के निर्णय की ही तरह दविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य के केस में भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक पहली अगस्त 2024 को आरक्षण के विरुद्ध निर्णय दिया गया है, जिसका सीधा असर यह होने लगा है कि अब सम्पूर्ण SC व ST वर्गों को आरक्षण प्राप्त नहीं हो सकेगा। क्योंकि इस निर्णय के अन्दर ऐसी व्यवस्था कर दी गई है कि अब पूरे देश में राज्य सरकारें अपने-अपने राजनैतिक फायदे के हिसाब से SC व ST वर्गों के लोगों को आपस में ही लड़वाने का काम करेंगी और इन वर्गों के लोगों को जीवन भर कोर्ट-कचहरी के ही चक्कर लगाने के लिये मजबूर कर देंगी और फिर अन्त में इनके सभी आरक्षित पद खाली पड़े रहने के कारण या तो यह पद खत्म कर दिये जायेंगे अन्यथा इन्हें सामान्य वर्ग को ही दे दिया जायेगा। ऐसे में मेरी इस देश के सभी SC व ST वर्गों के सांसदों एवं MLA व MLC तथा अन्य राजनैतिक
पदों में बैठे लोगों से भी चाहे वो किसी भी पार्टी से चुनकर आये हों उन सभी से यह कहना है कि ये लोग बीजेपी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी व अन्य पार्टियों की भी SC व ST वर्गों के आरक्षण के विरूद्ध उनकी नीयत व सोच से जरूर सजग हो जाये और अपने मूलभूत संवैधानिक आरक्षण के अधिकारों को खत्म होने से बचाने के लिये एकजुट होकर इसके विरुद्ध अपनी आवाज संवैधानिक और शांतिपूर्वक तरीकों से पूरी जोरदारी से उठायें, वरना अब इस देश के SC व ST वर्गों के लोगों को हमेशा-हमेशा के लिये आरक्षण से वंचित कर दिया जायेगा, फिर वो चाहे नौकरियों में
आरक्षण हो या किसी राजनैतिक पद के लिये हो जैसे की MP, MLA आदि के लिये हो।
(3) इसके साथ-साथ मेरा यह भी कहना है कि अब समय आ गया है जब कि उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय आदि की नियुक्तियों में भी SC व ST वर्गों के लिये पद आरक्षित किया जाये, जिससे कि इन उच्च अदालतों में इन वर्गों के लोगों की भी बात सुनी जाये और समझी जाये और भविष्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नागराज केस में दिये गये निर्णय एवं दिनांक पहली अगस्त 2024 को दविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य में दिये गये निर्णय की तरह के अन्य कोई ओर निर्णय SC व ST वर्गों के विरुद्ध देकर उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन न किया जा सके।
इसके इलावा, अब मेरा सावधानी के तौर पर SC व ST वर्गों के लोगों को यह भी कहना है कि दिनांक पहली अगस्त 2024 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा SC व ST वर्गों के आरक्षण के मामले में दिये गये निर्णय को लेकर अभी तक भी कांग्रेस पार्टी चुप क्यों बैठी है? इन वर्गों को यह भी सोचने की बात है।
इसके साथ ही, जहाँ-जहाँ इस पार्टी की अपनी राज्य सरकारें हैं तो वहाँ यह पार्टी अभी तक भी अपनी स्थिति क्यों नहीं स्पष्ट कर पा रही है अर्थात् वहाँ भी यह पार्टी चुप क्यों बैठी है? या फिर यह कहें कि हम इस निर्णय को ही मानते हैं और इस पर ही अमल करेंगे।
इसके साथ-साथ आम आदमी पार्टी जिनकी पंजाब व दिल्ली में इनकी अपनी सरकार है, यह
पार्टी भी इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करे कि यह पार्टी इस निर्णय को वहाँ लागू करेगी या नहीं। इस प्रकार इन पार्टियों की भी इस दोगली नीति से SC व ST वर्गों के लोग जरूर सावधान रहें जिन्होंने इस बार देश में 18वीं लोकसभा के हुए आमचुनाव में खासकर आरक्षण व संविधान को बचाने के नाम पर इन वर्गों का वोट हासिल करके अपनी अधिकांश सीटें जीत ली हैं और अपनी एक मात्र हितैषी पार्टी बी.एस.पी. को नुकसान पहुँचा दिया है।
अब अन्त में मेरा इन जैसी अन्य सभी पार्टियों से भी यह अनुरोध है कि वे भी इस देश के करोड़ों SC व ST वर्गों के लोगों के समक्ष इस निर्णय के मामले में अपनी-अपनी पार्टी का स्टैण्ड जल्दी ही स्पष्ट करें ताकि सही स्थिति सामने आ सकें। और अब मैं अपनी बात यहीं समाप्त करती हूँ। इसके बाद पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए मायावती ने खासकर कांग्रेस व सपा तथा उनके उन सीनियर नेताओं को आड़े हाथों लिया जो लोकसभा चुनाव के समय में संविधान बचाने के नाम पर संविधान की प्रति लेकर घूमते थे तथा रैलियों में उसे लहराया करते थे तथा बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे और अब उनसे पूछे कि आज वे लोग कहाँ हैं जब आरक्षण के माध्यम से संविधान पर वास्तव में हमला हो रहा है तो वे लोग चुप क्यों हैं? उन लोगों का ऐसा कृत्य विश्वासघात नहीं है, तो ओर क्या है?
इसीलिए देश के जिन राज्यों में विधानसभा के आमचुनाव होने वाले हैं उन राज्यों के खासकर एससी-एसटी वर्ग के लोगों को इस आघात का हिसाब-किताब जरूर लेना चाहिए, यही मेरा कहना है। आरक्षण का मुद्दा किसी व्यक्ति या पार्टी विशेष का मामला नहीं है बल्कि समाज व देशहित तथा संविधान की सुरक्षा व इसके सम्मान से जुड़ा विशेष तहत्व का मुद्दा है। इस बारे में सभी दलों को अपना स्टैण्ड स्पष्ट करना चाहिए।
इसके अलावा, अन्त में एक बार फिर प्रधानमंत्री से यही कहना है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 1 अगस्त 2024 के संविधान पीठ के उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर के सम्बंध में दिए गए निर्णय में आवश्यक सुधार करके पहले जैसी स्थिति बहाल करने के लिए संसद का सत्र बुलाकर अविलम्ब
ठोस कार्यवाही करें ताकि इस निर्णय के प्रभाव से पूरे एससी-एसटी वर्गे के लोगों का बचाया जा सके।
केन्द्र सरकार अपने हित के मामलों पर तो जब चाहे संसद का सत्र बुला लेती है तो फिर एससी-एसटी आरक्षण के अति-महत्वपूर्ण मुद्दे के आश्वासन को पूरा किये बिना ही संसद क्यों अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया? अगर इस मामले में उनकी नीयत व नीति पाक-साफ है तो संसद का सत्र फौरन बुलाकर सम्बंधित संविधान संशोधन जरूर पारित किया जाए, जिससे इस मुद्दे पर कांग्रेस, सपा सहित अन्य सभी पार्टियों की नीयत व नीति भी देश के सामने साफ हो जाएगी।