छत्रपति शिवाजी प्रतिमा गिरने पर पीएम मोदी बोले- मैं माफी मांगता हूं - मानवी मीडिया

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Friday, August 30, 2024

छत्रपति शिवाजी प्रतिमा गिरने पर पीएम मोदी बोले- मैं माफी मांगता हूं


नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। पालघर के सिडको ग्राउंड में 76 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने के मामले पर माफी मांगी। सिंधुदुर्ग में लगाई गई यह प्रतिमा 26 अगस्त को गिरकर टूट गई थी। मोदी ने कहा- छत्रपति शिवाजी महाराज मेरे और मेरे दोस्तों के लिए सिर्फ एक नाम नहीं हैं। हमारे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज सिर्फ एक महाराजा नहीं हैं। हमारे लिए वे पूजनीय हैं। 

आज मैं छत्रपति शिवाजी महाराज के सामने नतमस्तक हूं और उनसे क्षमा मांगता हूं। मोदी से पहले महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे, डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी माफी मांग चुके हैं। PM के कार्यक्रम से पहले मुंबई में मूर्ति गिरने को लेकर विपक्ष के नेताओं ने विरोध-प्रदर्शन किया। पुलिस ने कांग्रेस नेताओं को नजरबंद भी किया है। उधर, कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर लिखा- 'महाराष्ट्र की जनता और विपक्ष के घोर विरोध ने आज नरेंद्र मोदी को छत्रपति शिवाजी महाराज से माफी मांगने पर मजबूर कर दिया। लेकिन ये माफी नहीं ढोंग है। अगर मोदी वाकई में अपने इस अक्ष्म्य पाप के लिए माफी मांग रहे हैं, तो वे महाराष्ट्र के CM और डिप्टी CM को अपने पद से हटाएं। साथ ही इस प्रोजेक्ट में जिन लोगों की संलिप्तता थी, उनपर कड़ी कार्रवाई करें। राजे का ये अपमान महाराष्ट्र न भूलेगा, न माफ करेगा।' मोदी ने वधावन पोर्ट का उद्घाटन किया

पीएम ने वधावन पोर्ट का उद्घाटन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी पालघर में उनके साथ मौजूद थे। पालघर में पीएम मोदी ने सिडको ग्राउंड में 76 हजार करोड़ के कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया। इसमें वधावन पोर्ट प्रोजेक्ट भी शामिल है। मोदी ने उद्घाटन करने के बाद कहा- महाराष्ट्र का विकास मेरी बहुत बड़ी प्राथमिकता है। 

आज भारत की प्रगति में महाराष्ट्र बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि महाराष्ट्र विरोधी दलों ने आपके विकास पर हमेशा ब्रेक लगाने की कोशिश की। मोदी ने कहा- हमारे देश को वर्षों से दुनिया के साथ व्यापार के लिए एक बड़े और आधुनिक पोर्ट की जरूरत थी, इसके लिए महाराष्ट्र का पालघर ही सबसे उपयुक्त जगह है, लेकिन इस प्रोजेक्ट को 60 वर्षों तक लटका कर रखा गया। इतने जरूरी काम को कुछ लोग शुरू नहीं होने दे रहे थे।

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