किसके आदेश पर कोऑपरेटिव बैंक ने जारी किया रिकवरी लेटर? - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Wednesday, August 21, 2024

किसके आदेश पर कोऑपरेटिव बैंक ने जारी किया रिकवरी लेटर?


उत्तर  प्रदेश : (मानवी मीडिया69000 शिक्षकों की भर्ती को लेकर आए हाई कोर्ट के आदेश के बाद बांदा में कोऑपरेटिव बैंक ने कई शिक्षकों को रिकवरी लेटर लारी किया है। बैंक के शाखा प्रबंधकों को निर्देश जारी हुए है कि उन शिक्षकों की सूची बनाएं जिन्होंने बैंक से लोन लिया है और उनसे वसूली की जाए। इस पत्र के जारी होते ही पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया। हालांकि कुछ ही घंटे बाद इस पत्र को निरस्त कर दिया गया। 

जब शासन ने किसी तरह के निर्देश नहीं दिए थे तो कोऑपरेटिव बैंक ने यह कदम क्यों उठाया, यह एक बड़ा सवाल है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर योगी सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि शिक्षक भर्ती में यूपी की भाजपा सरकार की बदनीयत की जिस तरह फजीहत हुई है, शायद उसका बदला वो अभ्यर्थियों से लेना चाहती थी। तभी ऐसे फरमान निकलवा रही है। इससे पहले से ही नौकरी खोने के डर से डरे हुए शिक्षकों पर अत्यधिक मानसिक दबाव बढ़ेगा।

आपको बता दें कि हाई कोर्ट में 16 अगस्त को अपने फैसले में कहा है कि 2019 में हुई 69000 शिक्षकों की भर्ती के चयनित अभ्यार्थियों की सूची नए सिरे से बनाई जाए। पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सेवा पर भी इस आदेश से संकट खड़ा हो गया। नई सूची बनने से उन शिक्षकों की सेवा में भी आंच आ सकती है। तमाम शिक्षकों ने नौकरी के बाद बैंकों से लोन ले रखा है।


हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद बांदा जिला कोऑपरेटिव बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी जगदीश चन्द्रा ने बांदा और चित्रकूट में संचालित सहकारी बैंकों के शाखा प्रबंधकों को पत्र जारी किया। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि 69000 भर्ती वाले शिक्षकों में से किसी को यदि ऋण दिया गया हो, तो उनकी सूची तैयार की जाए। शाखा प्रबंधक खुद उनके खाता खंगाले, बैंक की धन सुरक्षा को देखते हुए समय से ब्याज सहित लोन की वसूली की जाए। जब तक स्थिति स्पष्ट न हो जाए, तब तक इन शिक्षकों को बैंक से नया ऋण स्वीकृत न किया जाए।


इस फरमान के जारी होने से पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों में हड़कंप पहुंच गया। जारी हुए पत्र की सत्यता की जांच के लिए इधर-उधर फोन आने लगे। कुछ ही देर में यह पत्र सोशल मीडिया में भी वायरल हो गया। मामला शासन तक पहुंच गया। इस मामले में जानकारी मिलते ही शासन स्तर पर इस फरमान को निरस्त कर दिया गया। साथ ही कोऑपरेटिव महाप्रबंधक को फटकार भी लगाई गई है।

Post Top Ad