लखनऊ : (मानवी मीडिया) कानून व्यवस्था को बरकरार रखने की जिम्मेदारी पुलिस पर है। जान जोखिम में डालकर जनता को सुरक्षा देने वाले कानून के रक्षकों की जान थाना कार्यालय व आवास के बीच असुरक्षित है। पुलिसकर्मियों को आवंटित किए गए आवास जर्जर हैं। कहीं प्लास्टर टूटकर गिर रहा है, तो वहीं हल्की सी बारिश में आवासों की छत टपकने लगती है। दिन में तो किसी तरह पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर लेते है, लेकिन रात में जर्जर आवासों में पुलिसकर्मियों की खौफनाक गुजर रही है। कब हादसा हो जाए, कुछ भी कहा नहीं जा सकता। दरअसल, आजादी से पूर्व सन 1902 में मलिहाबाद कोतवाली की स्थापना हुई थी। कोतवाली परिसर में ही पुलिसकर्मियों को रहने के लिए 08 आवास आवंटित किए है। इसके अलावा 09 बैरक बनाई गई हैं।
इन आवासों की दीवारें बुढ़ी हो चुकी है, बड़ी-बड़ी दरारों के साथ ही छत टपकती हैं। शासकीय आवासों की कमी के चलते अधिकांश पुलिसकर्मी पूरी तरह से जर्जर हो चुके क्वार्टरों में रहने को मजबूर हैं। हालांकि बीते साल पुलिस विभाग द्वारा कुछ सरकारी क्वार्टरों की मरम्मत कराई गई थी लेकिन अभी भी दर्जनों क्वार्टर ऐसे हैं जो किसी खतरे से खाली नहीं हैं। यही आलम, माल और रहीमाबाद थाने परिसर में बने पुलिस क्वार्टर का है। गौरतलब है कि सितम्बर 2022 में मुख्यमंत्री के बजट घोषणा के अनुसार लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र में मलिहाबाद के अंतर्गत रहीमाबाद थाने का शुभारंभ किया गया था। तत्कालीन एडीजी जोन ब्रजभूषण शर्मा ने फीता काटकर भवन का उद्घाटन किया था। पूर्व में यह मलिहाबाद कोतवाली से सम्बद्ध रहीमाबाद पुलिस चौकी थी। इसके परिसर में पुलिसकर्मियों के रहने के लिए दो आवास बनाए थे। भवन अंग्रेजों के जमाने का बना हुआ है जरा सी बरसात होने पर स्थिति गंभीर हो जाती है छत से टपकते पानी से पुलिसकर्मियों को खुद के साथ अभिलेखों का बचाव करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।