लखनऊ (मानवी मीडिया) द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल के लेखक तथा निर्देशक को फिल्म निर्देशन का काफी लम्बा अनुभव है लगभग आधी जिसमें निकल गई है इसी क्रम में पश्चिम बंगाल में हो रहें हिंदुओं पर अत्याचारों को लेकर जैसी ही फिल्मका निर्माण किया वैसे ही फिल्म रिलीज के ठीक पहले बगाल पुलिस नोटिस आना शुरू हो गये क्योंकि इस फिल्म को लेकर पिछले एक साल से मैं पश्चिम बंगाल सरकार फिर मुझे लगा कि शारीरिक जाने क्योंकि एक साल के आर्थिक एवं मानसिक से टूट चुका था। फिल्म निर्माण छत्रपाल पाल सूर्यवंशी जयकुमार सिंह की आर्थिक सहायता निर्माता का नामधारक मात्र जितेन्द्र नारायण सिंह को कराई थी लेकिन कानूनी लड़ाई में मेरी अर्जित सम्पत्ति भी बिकने लगी थी/तीन साल के कठोर परिश्रम रिसर्व और तकनीकी कामों के बाद जबफिल्म प्रदर्शन को तैयार हुई तो बंगाल पुलिस ने मुझे फिर पूछताछ के लिए बुलाया इसबार में पश्चिम बंगाल की जाँच अधिकारी से बात की और सेंसर से अनुमति मिलने की बात भी बताई और प्रमाणपत्र भी दिया उसके बाद भी पुलिस गिरफ्तार करने को कहा स्थानीय पुलिस के जरिये मुम्बई स्थित घर और कार्यालय पर नोटिस भेजना शुरु किया जिससे पिरेशान होकर लखनऊ आ गये। चौदह अगस्त को सुबह की फ्लाइट से कोलकाता पहुँचकर अपने अधिवक्ता शान्तनु सिंह से इस बारे में कानूनी राय भौगी कोलकाता हाई कोर्ट में फिर से अर्जी लगाने की सलाह मिली अगले दिन स्वतंतता दिवस का अवकाश के दिन माँ काली के दर्शन को पहुंचे जहाँ द्वार शाम चार बजे खुलने वाला था पंद्रह मिनट शेष । तभी अचानक मुझे अपने आस पास अनापेक्षित लोगों का जमावडा महसूस हुआ जो मेरी घेराबंदी तथा किडनैपिंग करने की फिराक में थे खतरे को भापकर भीड के बीच से खुद को बचाते हुए में बाहर निकला वो लोग पीछा कर रहे थे मुझे लगा कि मोबाइल लोकेशंस की वजह से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है मैंने अपने दोनो मोबाइल कचरे में फेंक दिए और वहाँ से सीधा हावडा रेलवे स्टेशन
पहुंच कुछ समझ नही आ रहाथा कि क्या करे मुझे जानकारी थी कि पुलिस पकड़ेगी फिल्म की बदनामी होगी फिल्म की रिलीज नजदीक थी इसलिए पन्द्रह अगस्त की रात हरिद्वार जाने के लिए निकले लेकिन मन बहुत विचलित था रास्ते में ही वाराणसी में ही खतरा भाप कर उतर गये लोग अभी भी पीछा कर रहे थे किसी तरह स्वयं को बचाकर अस्सी घाट पहुंचे वहां खुले आसमान के नीचे बारिश में सोने से अत्यंत बीमार हो गया बुखार दिमाग पर चला गया अत्यंत खराब होता गया। इधर पत्नी को चिंता सताने लगी। उन्होंने निर्माता छत्रपाल सूर्यवंशी को बुलाकर 16 अगस्त को गोमती नगर विस्तार थाने में अपने पति गुमशुदगी की तहरीर दी उन्होने सांसद रविकिशन मनोज तिवारी के साथ कई अन्य सामाजिक संगठनों से मदद मांगी जिसमे एकमात्र अभिनेत्री और सांसद कंगना राणावत मदद के लिए आगे आई और उन्होंने गृह मंत्रालय के साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी इसमें मदद करने को कहा। गोमती नगर विस्तार थाना प्रभारी ने अपनी टीम को सनोज मिश्रकी पत्नी के साथ पश्चिम बंगाल को कार्यवाही हे भेजा क्योकि लापता हुए काफी अधिक समय होगया था। जब टीम बंगाल पहुँचने वाली थी तभी पत्नी क फेसबुक पर एक मैसेज आया कि सनोज अस्सी घाट पर भिखारियों के बीच पड़े है इस पर पुलिस सनोजोश को बरामद कर पत्नी और परिवार के हवाले कर दिया दो दिन बाद हॉस्पिटल से छुट्टी दी गई है। मैं कल मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने का समय मांगा है।