कर्नाटक : (मानवी मीडिया) इस तेज रफ्तार भागती दुनिया के साथ कदम से कदम मिला कर भागने के चक्कर में हम सब कहां और किधर भाग रहे हैं कभी सोचा है आपने? ख्वाहिशों का गुलाम बन कर हर ख्वाहिश को पूरी करने के चक्कर में कहीं हम और आप भी अपने पांव चादर से बाहर तो नहीं निकाल रहे? किसी शायर ने कहा था कि हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान----फिर भी कम निकले। कहते हैं कि इंसान की एक ख्वाहिश पूरी होती नहीं कि दूसरी जाग उठती है। और फिर इन्हीं जायज़-नाजायज़ ख्वाहिशों को पूरी करने के चक्कर में कब उसका पांव चादर के बाहर निकल जाता है उसे पता ही नहीं चलता। और जब पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। फिर अंजाम कुछ इसी तरह सामने आता है।
भागती दौड़ती जिंदगी और कर्ज का बोझ
15 अगस्त की छुट्टी के बाद गुरुवार को हासन जिलें में लोगों ने आंखें खोली ही थीं कि तभी पूरे शहर को झकझोर देने वाली एक दर्दनाक खबर ने दस्तक दे दी। वक्त, हालात, नसीब और ख्वाहिशों ने एक हंसते-खेलते परिवार को मौत के आगोश में पहुंचा दिया था। कर्नाटका के हासन शहर में एक ही परिवार के तीन लोगों ने मुफ्लिसी और कर्ज से हार कर खुदकुशी कर ली। हासन में स्कूल शिक्षक श्रीनिवास और श्रीनिवास की पत्नी श्वेता ने अपनी 13 साल की बेटी नागाश्री के साथ हेमावती नहर में कूद कर खुदकुशी कर ली। दरअसल श्रीनिवास के परिजनों और दोस्तों ने पुलिस में तीनों की गुमशुदगी की शिकायतें दर्ज कराई थीं।
परिवार के तीन लोग अचानक कहां हुए गायब
पुलिस भी हैरान थी कि आखिर एक ही परिवार के तीन लोग अचानक कहां गायब हो गए। तलाश जारी ही थी कि पुलिस को गुमशुदगी के एक हफ्ते बाद दो शव शहर से 40 किलोमीटर दूर बागुर होबली में एक नहर में तैरते हुए पाए गए। हैरानी की बात ये है कि पुलिस की काफी कोशिशों के बाद भी अब तक श्रीनिवास की बेटी नागाश्री का शव अब भी गायब है। गोताखोरों की टीम लाश की तलाश में जुटी है। एक ही वक्त में एक ही परिवार के दो लोगों की लाशें मिलने से पुलिस के साथ-साथ हर कोई सन्न था।
पुलिस तब तक उलझन में थी कि आखिर ये मामला कत्ल का है या फिर खुदकुशी का? उलझन ये भी थी कि आखिर श्रीनिवास ने परिवार के साथ खुदकुशी की तो क्यों की। लिस अभी इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश ही कर रही थी कि श्रीनिवास के परिजनों ने बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया।
खुलासा ये कि श्रीनिवास कर्ज के बोझ तले दबे हुए थे। श्रीनिवास पेशे से एक कार ड्राइवर थे और उनकी पत्नी श्वेता एक निजी स्कूल में शिक्षिका थीं। बताया जाता है कि श्रीनिवास ने कई जगहों से कर्ज लिया था और वह उसे चुकाने में सक्षम नहीं थे। कर्ज ने घर की माली हालत बिगाड़ कर रख दी। ऊपर से कर्जदारों का दबाव भी बढ़ रहा था। तीनों लोग पिछले मंगलवार को लापता हो गए थे और उनके परिजन उनकी तलाश कर रहे थे। उन्होंने चन्नरायपटना पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की शिकायत भी दर्ज कराई थी।
कर्ज ने घर की माली हालत बिगाड़ी
श्रीनिवास और श्वेता के शव अग्निशमन और आपातकालीन सेवा कर्मियों ने गुरुवार को मदापुरा के पास नहर से बरामद किए। एसपी मोहम्मद सुजीता ने घटनास्थल का दौरा किया। उन्होने बताया कि नग्गेहल्ली पुलिस ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार नहीं किया है कई एंगल पर जांच की जा रही है इसीलिए मामला दर्ज किया गया है। अब तक आप समझ गए होंगे कि खबर की शुरुआत में हम किस ख्वाहिश की बात कर रहे थे। श्रीनिवास की जिंदगी में जो कुछ हुआ वो किसी के भी साथ हो सकता है। जिंदगी में उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं।
पर इसका ये मतलब नहीं कि इंसान इनसे हार मान ले। बस अगर इंसान अपनी ख्वाहिशों पर काबू रखे तो बहुत सी मुश्किलें खुद ही दूर हो जाएंगी। ये आप सब को पता होना जरुरी है कि लोन डिफॉल्टर्स बैंक आरबीआई और पुलिस से मदद मांग सकते हैं। आरबीआई ने बैंकों को स्पष्ट रूप से ऐसे मामलों को सहानुभूति के साथ संभालने का निर्देश दिया है। लेकिन ऋण वसूली एजेंटों द्वारा उत्पीड़न और धमकाना अक्सर असहनीय हो सकता है।