लखनऊ (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि बच्चे राष्ट्र के भविष्य हैं। देश को आगे ले जाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसलिए नेशन फस्ट का लक्ष्य सामने रखते हुए अपने दायित्वों का राष्ट्रहित में उपयोग करें ताकि भारत एक विकसित देश बन सके। उन्होंने यह भी कहा कि अपने सामर्थ्य एवं संसाधन से प्रकृति को जोड़ते हुए भारत को पुनः सोने की चिड़िया और विश्वगुरू बनाने का संकल्प लें। शहीदों ने भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए कुर्बानी दी थी। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ सहअस्तित्व बनाये रखते हुए भावी पीढ़ी को एक स्वस्थ वातावरण देने का संकल्प लें, यही शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
जयवीर सिंह आज राज्य संग्रहालय लखनऊ के परिसर में प्राकृतिक विज्ञान भवन में जिला स्तरीय, चित्रकला, फेस पेन्टिंग, फैंसी ड्रेस एवं भाषा प्रतियोगिता में विजयी छात्र-छात्राओं को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र वितरित कर रहे थे। उन्होंने पुरस्कृत छात्रों को बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि विभिन्न प्रतियोगिताओं में बच्चों ने अपनी ऊर्जा और प्रतिभा का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि ये मेधावी बच्चे आगे चलकर देश के निर्माण में अपना श्रेष्ठतम योगदान देंगे। उन्होंने उनके अभिभावकों को भी बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
पर्यटन मंत्री ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि प्रकृति के बिना हमारा जीवन अधूरा है। प्रकृति से तालमेल न बिठाने के कारण बहुत सी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और कई प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं। प्राकृतिक असंतुलन के कारण जैव विविधता तथा प्रकृति का चक्र टूटा है। इससे दैवीय आपदाएं जैसे कहीं अतिवृष्टि तो कहीं सूखा और बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं। इससे मानव का जीवन संकट में है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाने और जोड़ने की जरूरत है।
जयवीर सिंह ने कहा कि आज के दौर में सारा विश्व विस्फोटक स्थिति में आ गया है। उन्होंने कहा कि कहीं इजराइल में युद्ध की स्थिति बनी हुई है, कहीं यूक्रेन तथा रूस में जन-धन की हानि हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत ने सदैव शांति का मार्ग अपनाया है। वर्ष 2022 से 2047 तक अमृतकाल का दौर शुरू हो चुका है। इस दौरान भारत को अमेरिका जैसा विकसित राष्ट्र तथा तीसरी अर्थव्यवस्था की ओर ले जाना है। इसमें देशवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसलिए हमें आजादी के महत्व को समझना होगा। और युवा पीढ़ी को चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना होगा।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि प्रकृति से जुड़ाव के लिए एक पेड़ मां के नाम अवश्य लगाएं। जीव-जन्तुओं तथा धरती के श्रृंगार पेड़-पौधों की रक्षा करें। इसके अलावा प्राकृतिक असंतुलन को दूर करने का हरसम्भव प्रयास करें। इन प्रयासों से ही हम आगामी पीढ़ी को प्रदूषण रहित वतावरण सौंपने का कार्य कर सकेंगे। कार्यक्रम से पूर्व उन्होंने संग्रहालय में जैवविविधता की गैलरी एक व दो तथा तीन का निरीक्षण किया और निदेशक संग्रहालय को निर्देश दिय कि हर सप्ताह किसी एक स्कूल के बच्चों को निःशुल्क भ्रमण कराने की व्यवस्था करें।
इस अवसर पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण एवं चित्रकला प्रतियोगिता में 01 से 05 तक विजयी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र वितरित किये। इसमें हुमायरा फातिमा, बाल निकुंज इण्टर कालेज, लखनऊ के कक्षा-5 की छात्रा को द्वितीय तथा इसी संस्था के शैल कुमारी को प्रथम स्थान प्राप्त करने पर पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा उमंग चौरसिया कक्षा-08 को द्वितीय पुरस्कार, माही कश्यप एमिकस एकेडमी को तृतीय, खुशी गौतम को द्वितीय तथा अंशू रावत को प्रथम स्थान पाने पर पुरस्कृत किया गया। इसी प्रकार सुरभि, नरही कक्षा-10, वीरेन्द्र कक्षा-10 को द्वितीय तथा अनन्या मौर्या को प्रथम पुरस्कार दिया गया।इस कार्यक्रम को संयुक्त सचिव संस्कृति उम द्विवेदी तथा बेसिक शिक्षा अधिकारी लखनऊ पद्म शेखर, पर्यटन सलाहकार जे0पी0 सिंह एवं निदेशक संग्रहालय सृष्टि धवन ने सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय धरोहरों को संरक्षित करने पर जोर दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ० मीनाक्षी खेमका, सहायक निदेशक ने किया। इस मौके पर विभिन्न स्कूलों के 600 छात्र-छात्राएं तथा अभिभावक व राज्य संग्रहालय के अधिकारी एवं कर्मचारीगण मौजूद थे।