लखनऊ( मानवी मीडिया)राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रान्तीय वरिष्ट उपाध्यक्ष नारायण जी दूबे ने बताया कि अध्यक्ष जे एन तिवारी ने आज प्रदेश के मुख्यमंत्री के आधिकारिक ईमेल आईडी पर एक पत्र भेज कर पुरानी पेंशन का दायरा बढ़ाने का अनुरोध किया है। उन्होंने अवगत कराया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत सरकार की तर्ज पर उन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन की परिधि में ले लिया है जिनका विज्ञापन 1 अप्रैल 2005 से पहले निकाला गया था तथा नियुक्ति 1 अप्रैल 2005 के बाद हुई है। लेकिन अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने उन कर्मियों को पेंशन के दायरे में नहीं लिया है, जो पहले पेंशनबल विभागों में कार्यरत थे और तकनीकी कारणों से त्यागपत्र देकर ऐसे विभागों में नियुक्ति प्राप्त कर ली जहां पर 1 अप्रैल 2005 के बाद पेंशन नहीं है। केंद्र सरकार ने ऐसे प्रकरणों पर विचार किया था। 11 जून 2020 को एक आदेश जारी कर ऐसे सभी कर्मियों को जो पहले पेंशनबल विभाग में थे और तकनीकी कारणों से त्यागपत्र देकर ऐसे विभागों में कार्यभार ग्रहण कर लिया है, जहां पर वर्तमान में पेंशन नहीं है, पुरानी पेंशन चुनने का विकल्प दिया है।राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी ऐसे प्रकरणों पर कार्यवाही करने का मुद्दा उठाया है। निवर्तमान मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में पुरानी पेंशन के दायरे में दोनों प्रकार के कर्मचारियों पर सहमति बनी थी। सरकार ने पुरानी पेंशन का दायरा बढ़ाते हुए एक हिस्से का तो क्रियान्वन कर दिया है परंतु अभी दूसरे हिस्से का कार्यान्वयन बाकी है। केंद्र सरकार ने 29 अक्टूबर 2009 तक कार्यरत ऐसे सभी कर्मियों को पुरानी पेंशन की परिधि में लाने के लिए विकल्प का अवसर दिया है जिनकी नियुक्ति पहले पेंशनबल विभागों में थी लेकिन बाद में तकनीकी कारणों से त्यागपत्र देकर ऐसे विभागों में कार्यभार ग्रहण कर लिया है जहां 1 अप्रैल 2005 के बाद पेंशन है।सरकार ने अभी तक इस पर आदेश जारी नहीं किया है । जे एन तिवारी ने मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त किया है कि उन्होंने अप्रैल 2005 से पहले विज्ञापित पदों पर चयनित कर्मचारियों को पुरानी पेंशन की परिधि में ले लिया है लेकिन अभी तक उन कर्मियों पर आदेश होना बाकी है जिनको केंद्र सरकार ने तकनीकी कारणों के आधार पर पेंशन का लाभ दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार में ऐसे कर्मचारियों की संख्या भी हजारों में जो पहले पेंशनबल विभागमें कार्यरत थे तथा बाद में त्यागपत्र देकर ऐसे विभागमें कार्यभार ग्रहण कर लिया, जहां पेंशन नहीं है। ऐसे कर्मियों की पुराने विभाग में की गई सेवाओं को जोड़ने, जीपीएफ को पुरानी पेंशन व्यवस्था के अनुकूल ही भुगतान किए जाने की मांग किया है।