उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया) मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह फाइलों की तेज रफ्तार के लिए जाने जाते हैं। वे मानते हैं कि यूपी को 10 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए निवेश संबंधी फाइलों पर त्वरित निर्णय अत्यधिक जरूरी है। कहते हैं कि यूपी में 'मैनुअल' फाइलें अतीत की बात हो गई है। आवेदन से लेकर एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) तक की पूरी व्यवस्था को ऑनलाइन कर दिया गया है। अगर ऑनलाइन फाइल किसी भी स्तर पर रुकती है तो जवाबदेही तय की जाती है। उनके पास मुख्य सचिव के साथ ही अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग की भी जिम्मेदारी है। यहां प्रस्तुत है अजित बिसारिया से हुई उनकी बातचीत के प्रमुख अंश:
सवाल : प्रदेश में किन योजनाओं पर फोकस कर रहे हैं?
जवाब : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विजन है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 10 खरब (वन ट्रिलियन) डॉलर का बनाया जाए। इससे जहां रेवेन्यू बढ़ेगा, वहीं रोजगार के अवसरों में भी आशातीत वृद्धि होगी। इस विजन पर काम करते हुए हम 25 नीतियां लाए हैं। इनमें औद्योगिक नीति के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी, सेमी कंडक्टर, ईवी, फूड प्रोसेसिंग और एमएसएमई आदि नीतियां शामिल हैं। इन नीतियों के आधार पर निवेश लाने पर फोकस किया जा रहा है। जो कठिनाइयां हैं, उन्हें दूर किया जा रहा है। सात साल में यूपी का सामाजिक व औद्यौगिक माहौल कुछ ऐसा बना है कि इसमें हमें बड़े पैमाने पर सफलता मिली है
सवाल : एक खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
जवाब : हमारा फोकस दो बातों पर है-एक, प्रदेश में भारी निवेश वाली परियोजनाएं आएं। दो, अधिक रोजगार देने वाले औद्योगिक प्रतिष्ठान यहां स्थापित हों। डाटा सेंटर सरीखी परियोजनाओं में भारी निवेश आ रहा है। वहीं, लखनऊ के पास स्थापित हो रहा टैक्सटाइल पार्क, रोजगार का हब भी बनेगा। अपनी अर्थव्यवस्था को दस खरब डॉलर का आकार देने के लिए मौजूदा आकार में करीब चार गुना की वृद्धि करनी होगी। इसके लिए अर्थव्यवस्था को तीन सेक्टरों-कृषि व सहायक, विनिर्माण व सेवा क्षेत्र (टूरिज्म व आईटी) आदि में बांटकर आगे बढ़ रहे हैं।
सवाल : आम लोगों को इन योजनाओं से कैसे जोड़ रहे हैं?
जवाब : आज यूपी में किसान आपस में मिलकर अपनी जमीन, औद्योगिक गतिविधियों के लिए दे सकते हैं। इस जमीन को डेवलेप करने की जिम्मेदारी अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग की है। जमीन सुविधायुक्त होने पर किसानों को जहां इसके अच्छे रेट मिलेंगे, वहीं इस जमीन का एक निश्चित रकबे का प्लॉट किसान को भी मिलेगा, जिसका वे व्यायवसायिक इस्तेमाल कर सकेंगे।
सवाल : मैन्युफैक्चरिंग सेंटर में अपेक्षित वृद्धि कैसे करेगें?
जवाब : हम कृषि व सहायक क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने के लिए मशीनों के इस्तेमाल की योजना को लागू कर रहे हैं। उद्योगों को स्थापित करने के लिए लैंड बैंक बना रहे हैं। इसके लिए भी नीति लेकर आए है। टूरिज्म और आईटी सेक्टर के विकास के लिए भी तमाम परियोजनाओं पर काम हुआ है।
सवाल : वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की ओर से प्रस्तावित मैन्युफैक्चरिंग सेंटर से प्रदेश को क्या लाभ होगा?
जवाब : दुनिया में इंडस्ट्री-4 विजन के अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), कम्प्युटर प्रोग्रामिंग, रोबोट और मशीनों के मिले-जुले प्रयोग से एमएसएमई सेक्टर को आगे बढ़ाने की योजना पर बड़े पैमाने पर काम हो रहा है। यूपी में इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेंटर की स्थापना की योजना बनाई गई है। इस सेंटर के माध्यम से एमएसएमई उद्यमियों को तकनीकी सलाह और सहायता मिलेगी, ताकि वे कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। जल्द ही हम इस सेंटर को यूपी में मूर्त रूप लेते हुए देखेंगे। इसके लिए विशेषज्ञों के साथ एक वर्कशॉप भी राजधानी लखनऊ में हो चुकी है।
सवाल : प्रदेश के आर्थिक विकास में किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं?
जवाब : उद्योगों की स्थापना के लिए जमीन मुहैया कराना एक चुनौती है, जिसे हम दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। अन्य प्रदेशों के मुकाबले अपने उत्पादन के लागत को कम करने की चुनौती लगातार बनी रहती है, क्योंकि हमारी वृद्धि दर काफी हद तक इस पर भी निर्भर करती है। यही वजह है कि प्राइवेट इंडस्ट्रियल पार्क समेत कई महत्वपूर्ण नीतियां हम लाए हैं।
सवाल : हम प्रदेश में कितना निवेश लाने में सफल रहे?
जवाब : वैश्विक निवेशक सम्मेलन के जरिये हमारे पास 36 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए थे। इनमें से 10 लाख करोड़ की परियोजनाओं के लिए जमीन ले ली गई है। इनमें से तमाम ने उत्पादन भी शुरू कर दिया है। हमारे पास देश में सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे हैं। जेवर समेत पांच अंतर्राष्ट्रीय। ईस्टर्न फ्रेट कॉरीडोर का 51 प्रतिशत हिस्सा यूपी में है। वाराणसी से हल्दिया जल मार्ग है। इसलिए भविष्य में हम और भी अधिक निवेश लाने में सफल होंगे।
सवाल : फाइलों में नौकरशाही अड़ंगा लगाती है, यह धारणा बदलने के लिए क्या कर रहे हैं?
जवाब : एक ही जवाब है :तकनीक। हम निवेश सारथी पोर्टल के जरिये सभी तरह के आवेदन ऑनलाइन ले रहे हैं। ऑनलाइन फाइल कहीं रुकती है तो जवाबदेही भी तय की जाती है। मैनुअल फाइलें अब यूपी में अतीत की बात हो गई है। ऑनलाइन प्रक्रिया में फाइल जिसके पास लेट होगी, उसे उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा। सीएम के स्पष्ट निर्देश हैं कि पूरी पारदर्शिता के साथ हर आवेदन का निपटारा हो। माहौल निवेश फ्रेंडली रहे। इसका पालन हर हाल में सुनिश्चित किया जा रहा है।