लखनऊ : (मानवी मीडिया) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजना अटल आवासीय विद्यालयों के छात्र इन दिनों अपनी नियमित पढ़ाई के साथ-साथ अंतरिक्ष विज्ञान, मशीन क्रिएशन और ड्रोन टेक्नोलॉजी जैसी एडवांस एक्टिविटीज से भी जुड़ रहे हैं। छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ ही तकनीकी शिक्षा से जोड़ने के प्रयासों के क्रम में अटल आवासीय विद्यालयों में 15 दिवसीय स्पेशल एकेडमिक्स एवं एक्टिविटीज का आयोजन किया गया। छात्रों को इन नई तकनीकों से जोड़ने के लिए अटल आवासीय विद्यालय की ओर से विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम में छात्रों को अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने के साथ ही भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी गई।
साथ ही उन्हें मशीनों, कोडिंग और सेंसर तकनीक की बुनियादी जानकारी भी दी गई और उन्हें व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से आधुनिक तकनीकों से रूबरू कराया गया। इसके बाद छात्रों ने भी ऑटोमैटिक लाइट, स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक, स्मार्ट डस्टबिन और फुल रोवर ड्रोन जैसे एडवांस तकनीकी मॉडल बनाकर सभी को हतप्रभ कर दिया। इस दौरान स्पेस आर्ट और बेस्ट प्रोडक्ट डेवलपमेंट कांप्टीशन का भी आयोजन हुआ, जिसमें विजेता रहे छात्रों को भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के भ्रमण का अवसर मिलेगा, जहां वो इसरो के वैज्ञानिकों से मुलाकात कर सकेंगे।
हर विद्यालय से एक छात्र का होगा चयन
अटल आवासीय विद्यालयों का संचालन उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा किया जा रहा है। बोर्ड की सचिव और मुख्य कार्यकारी अधिकारी गजल भारद्वाज ने बताया कि अटल आवासीय विद्यालय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा से भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बहुत अच्छे नतीजे देखने को मिल रहे हैं। 15 दिवसीय उत्कृष्ट अटल प्रोग्राम के माध्यम से छात्रों की प्रतिभा एवं कौशल को निखारने का प्रयास किया गया। इस दौरान स्पेस आर्ट और बेस्ट प्रोडक्ट डेवलपमेंट कांप्टीशन में विजेता रहे छात्रों को इसरो भेजे जाने की योजना है। इसके लिए प्रत्येक विद्यालय से एक विजेता छात्र का चयन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्माण श्रमिकों के बच्चों और कोरोना काल में अपने माता-पिता को गंवाने वाले बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के लिए अटल आवासीय विद्यालयों का शुभारंभ किया है। सरकार ने समस्त 18 मंडलों में इन विद्यालयों की शुरुआत की है और अब सरकार की योजना बाकी बचे 57 जनपदों में भी विद्यालय शुरू करने की है।
छात्रों ने इसरो के साथ की ब्रह्मांड की खोज
कार्यक्रम के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए एक अनोखा अवसर प्रदान करते हुए,"इसरो के साथ ब्रह्मांड की खोज" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस सत्र में छात्रों को अंतरिक्ष अन्वेषण के मूलभूत सिद्धांतों का परिचय दिया गया। खगोलशास्त्र के इतिहास और आधुनिक अंतरिक्ष मिशनों पर चर्चा की गई। इसके अलावा, दूरबीन के माध्यम से खगोलीय पिंडों की पहचान करने का प्रशिक्षण भी दिया गया। कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण में से एक इसरो की अंतरिक्ष प्रदर्शनी थी, जिसमें छात्रों को भारत की अंतरिक्ष यात्रा की झलक दिखाई गई। प्रदर्शनी में इंटरैक्टिव प्रदर्शनियां, मॉडल, और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर आधारित प्रस्तुतियां शामिल थीं। छात्रों के लिए एक स्पेस आर्ट प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें उन्होंने अपनी कल्पनाओं को कला के माध्यम से प्रस्तुत किया। इसरो के विशेषज्ञों द्वारा आयोजित हाइड्रो रॉकेट कार्यशाला में छात्रों को हाइड्रो रॉकेट के निर्माण और प्रक्षेपण का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ। इस कार्यशाला ने छात्रों के बीच रचनात्मकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया। इसरो के इस कार्यक्रम ने न केवल छात्रों में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि को बढ़ाया, बल्कि उन्हें भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों पर गर्व करने का भी अवसर प्रदान किया।
मॉडल बनाकर छात्रों ने दिखाई अपनी तकनीकी क्षमता
तकनीकी शिक्षा और नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छात्रों के लिए दूसरी गतिविधि के तहत "मशीन निर्माण" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के पहले सत्र में छात्रों को मशीनों, कोडिंग के बुनियादी सिद्धांतों और सेंसर तकनीकों का परिचय दिया गया। इसके साथ ही, छात्रों को कोडिंग के मूल सिद्धांतों और इलेक्ट्रॉनिक घटकों को नियंत्रित करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया। इसके अलावा, ड्रोन तकनीक का परिचय और ड्रोन उड़ाने की गतिविधि भी शामिल थी, जिसने छात्रों में खासा उत्साह पैदा किया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में छात्रों ने अनुभवात्मक शिक्षा के माध्यम से बुनियादी मशीन परियोजनाओं का निर्माण किया। इसके जरिए छात्रों ने ऑटोमैटिक लाइट, स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक, स्मार्ट डस्टबिन और फुल रोवर ड्रोन जैसी तकनीकी परियोजनाओं पर काम किया और इसके मॉडल बनाकर शिक्षकों को भी आश्चर्यचकित कर दिया। तकनीकी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला ने छात्रों को न केवल तकनीकी कौशल सीखने का अवसर मिला, बल्कि उनकी रचनात्मकता और समस्या-समाधान की क्षमता को भी प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने अपने निर्मित प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन किया, जिसने उनकी सीखने की प्रक्रिया को और अधिक सार्थक बना दिया।