पटना : (मानवी मीडिया) बिहार में सरकारी जमीन और रैयत की जमीन के अलावा सबसे ज्यादा जमीन जिसके हिस्से में आती है, वो है मठ-मंदिरों की जमीन। ये जमीन कई बार गांव के पुरखे मठ-मंदिर को दान में देते हैं। बिहार के कई मठ-मंदिरों के पास हजारों एकड़ जमीन है। कुछ जमीन विनोबा भावे भूदान आंदोलन के दौरान वितरित हुई। उसके बाद मंदिरों का काम चलाने के लिए जो जमीन उनके पास छोड़ी गई।
उन जमीनों को कई जगहों पर बेचने की बात सामने आई है। अब ऐसा नहीं होगा। इन जमीनों की तलाश में बिहार सरकार जुट गई है। जानकारी के मुताबिक तीन साल से अधिक समय से भी मठ-मंदिरों की जमीन ऑनलाइन नहीं हुई है। राज्य में मठ और मंदिरों के पास 289 हजार एकड़ से अधिक जमीन का पता चला है। हालांकि, इसे एक अनुमान बताया जा रहा है। बिहार सरकार के पास अभी तक सटीक आंकड़ा नहीं है।
बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक मंदिरों और मठ के पास मौजूद जमीन का पूरा ब्यौरा 2021 में विधि विभाग के अंतर्गत एक वेबसाइट तैयार कर उसमें सभी डिटेल को अपलोड करने का निर्देश दिया गया था। इसमें अपील की गई थी कि सभी जिलों के मंदिर अपने पास मौजूद कुल जमीन का रकबा और बाकी कागजात अपलोड करें। इसे लेकर संबंधित जिले के जिलाधिकारी को भी निर्देश जारी किया गया था। इसे अभियान के तौर पर शुरू किया गया था। लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी अब तक सभी जिलों ने इससे संबंधित ब्यौरा वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया है।उधर, बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की मानें, तो उसके बाद निबंधित मठ और मंदिरों की संख्या 4 हजार 371 है। सिर्फ इन निबंधित धार्मिक प्रतिष्ठानों के पास 29 हजार एकड़ जमीन होने की संभावना जताई जा रही है। उसके अलावा 500 के करीब ऐसे मठ और मंदिर हैं, जिसका निबंधन बोर्ड के पास नही है। उनके पास कितनी जमीन है।
उसका कोई हिसाब नहीं है। अब तक जिन 21 जिलों ने इनकी जमीन से संबंधित ब्यौरा ऑनलाइन अपलोड भी किया है, वो आधा-अधूरा बताया जा रहा है। कहने का मतलब ये है कि किसी एक जिले में मौजूद सभी मंदिरों और मठों के बारे में जानकारी नहीं है। साथ ही ये नहीं बताया गया है कि मंदिर और मठ के नाम पर कुल कितनी जमीन है। उसके देखभाल का जिम्मा किसके पास है। ऐसी कई जानकारी डाटा में मौजूद नहीं है।